ट्रंप प्रशासन ने 5.5 करोड़ से अधिक विदेशी वीजा धारकों की समीक्षा शुरू की है, जिनमें विदेशी छात्र विशेष फोकस में हैं। जनवरी से अब तक 6,000 वीजा रद्द किए गए हैं। स्टेट डिपार्टमेंट के मुताबिक, वीजा रद्द करने का फैसला अपराध, सुरक्षा खतरे, आतंकवाद या वीजा शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में लिया जा रहा है।
Foreign Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन वीजा और आप्रवासन नीतियों पर सख्त रुख अपनाए हुए है। स्टेट डिपार्टमेंट ने बताया कि देश में वैध वीजा रखने वाले 5.5 करोड़ से अधिक विदेशी नागरिकों की स्थिति की समीक्षा की जा रही है। जनवरी 2025 से अब तक 6,000 वीजा रद्द किए जा चुके हैं, जिनमें विदेशी छात्रों पर खास ध्यान दिया गया है। वीजा रद्दीकरण उन मामलों में किया जा रहा है जहां सार्वजनिक सुरक्षा, अपराध, आतंकवाद या वीजा अवधि से अधिक ठहरने जैसी अयोग्यता पाई जाती है।
किन परिस्थितियों में रद्द हो सकता है वीजा
स्टेट डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुताबिक, जिन मामलों में वीजा कैंसिल किया जा रहा है उनमें अमेरिका में तय अवधि से ज्यादा रुकना, किसी भी तरह का अपराध करना, सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालना, आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होना या उनका समर्थन करना शामिल है। इसके अलावा ऐसे लोग भी जांच के दायरे में आ रहे हैं जिनकी गतिविधियों से अमेरिकी कानून व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठते हैं।
छात्र वीजा पर खास नजर
सरकार ने विशेष रूप से विदेशी छात्रों के वीजा की समीक्षा पर जोर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका में पढ़ाई कर रहे सभी छात्र वीजा धारकों की जांच की जा रही है। हाल ही में नियमों में बदलाव करते हुए यह भी अनिवार्य कर दिया गया है कि वीजा के लिए आवेदन करने वालों को अपनी सोशल मीडिया गतिविधियों की जानकारी देनी होगी। इसका मकसद यह देखना है कि कहीं कोई आवेदक किसी संदिग्ध या हिंसक विचारधारा से जुड़ा तो नहीं है।
मार्को रुबियो ने विरोधियों पर कड़ा रुख अपनाया
विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ जनवरी में पदभार संभालने के बाद से इजराइल विरोधी प्रदर्शनों में शामिल लोगों पर सख्ती दिखाई है। उन्होंने एक कम चर्चित कानून का सहारा लेते हुए ऐसे व्यक्तियों के वीजा रद्द करने की कार्रवाई शुरू की है, जो अमेरिकी विदेश नीति का खुलकर विरोध करते हैं। स्टेट डिपार्टमेंट के मुताबिक, जनवरी से अब तक जितने वीजा रद्द हुए हैं, वह राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल की समान अवधि की तुलना में चार गुना ज्यादा हैं।
रुबियो ने यह भी कहा कि प्रशासन के पास वीजा जारी करने और रद्द करने का पूर्ण अधिकार है। इस प्रक्रिया में न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता नहीं होती। इसका मतलब यह है कि सरकार अपने विवेक से किसी भी समय किसी भी वीजा धारक का वीजा रद्द कर सकती है। प्रशासन का दावा है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए उठाया जा रहा है।
न्यायपालिका ने सख्ती पर उठाए सवाल
हालांकि, ट्रंप प्रशासन को इस सख्ती के बीच अदालतों से झटका भी लगा है। कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में न्यायाधीशों ने सरकार के फैसलों को चुनौती दी है। उदाहरण के तौर पर, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले महमूद खलील, जो अमेरिका के कानूनी स्थायी निवासी हैं, उन्हें जून में अदालत ने रिहा कर दिया। इसी तरह टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की तुर्की की छात्रा रुमेइसा ओजतुर्क, जिन्होंने कैंपस अखबार में इजराइल के खिलाफ लेख लिखा था, उन्हें भी मई में सुनवाई तक रिहा किया गया।
ट्रंप प्रशासन की सख्ती
स्टेट डिपार्टमेंट ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या सभी 5.5 करोड़ वीजा धारक सक्रिय जांच के दायरे में हैं। लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि नियमित समीक्षा ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकता बनी रहेगी। इसका सीधा असर लाखों विदेशी नागरिकों, खासकर छात्रों और शोधकर्ताओं पर पड़ सकता है, जो अमेरिका में पढ़ाई या काम के लिए आए हैं।