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अफगान मंत्री मुत्ताकी ने बदला फैसला, अब महिला पत्रकारों की भी प्रेस वार्ता में होगी एंट्री

अफगान मंत्री मुत्ताकी ने बदला फैसला, अब महिला पत्रकारों की भी प्रेस वार्ता में होगी एंट्री

दिल्ली में महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर रखने पर आलोचना झेलने के बाद अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अपना फैसला बदल दिया। उन्होंने नई प्रेस वार्ता में सभी पत्रकारों को आमंत्रित किया, जिसे बड़ा डिप्लोमैटिक यू-टर्न माना जा रहा है।

World Update: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi) ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान बड़ा कदम उठाते हुए अब महिला पत्रकारों को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। पहले उन्हें बाहर रखने के फैसले पर व्यापक आलोचना हुई थी, जिसके बाद मुत्ताकी की टीम ने नया आमंत्रण जारी करते हुए सभी मीडिया प्रतिनिधियों को प्रेस वार्ता में शामिल होने की अनुमति दे दी। यह कदम उनके रुख में एक महत्वपूर्ण यू-टर्न (U-turn) माना जा रहा है।

पहले महिला पत्रकारों को प्रवेश से रोका 

अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी भारत दौरे पर आए हुए हैं। अपनी पिछली प्रेस वार्ता में उन्होंने किसी भी महिला पत्रकार को शामिल होने की अनुमति नहीं दी थी। यह प्रतिबंध भारतीय मीडिया जगत में तीखी प्रतिक्रिया का कारण बना। पत्रकार संघों और महिला संगठनों ने इसे लैंगिक भेदभाव (Gender Discrimination) बताया और मुत्ताकी की निंदा की।

अफगानिस्तान में तालिबान शासन द्वारा महिलाओं की शिक्षा, नौकरी और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी पर लगाई गई पाबंदियों के बीच यह फैसला और भी विवादास्पद बन गया। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और समान अवसरों के सिद्धांतों का उल्लंघन मानते हुए कई संगठनों ने मुत्ताकी से तत्काल माफी की मांग की।

एडिटर्स गिल्ड और आईडब्ल्यूपीसी ने जताई आपत्ति

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) और इंडियन विमेंस प्रेस कॉर्प्स (IWPC) ने मुत्ताकी के इस फैसले की कड़ी आलोचना की। दोनों संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि महिला पत्रकारों को प्रेस वार्ता से बाहर रखना “अत्यधिक भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य” है।

उन्होंने कहा कि राजनयिक विशेषाधिकार (Diplomatic Privileges) या वियना कन्वेंशन (Vienna Convention) का हवाला देकर ऐसे भेदभाव को सही नहीं ठहराया जा सकता। एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस स्वतंत्रता और लैंगिक समानता (Gender Equality) के खिलाफ इस तरह की घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

आलोचना के बाद मुत्ताकी का यू-टर्न

लगातार बढ़ते दबाव और आलोचना के बाद अफगान विदेश मंत्री की टीम ने रविवार को नई प्रेस कॉन्फ्रेंस की घोषणा की। इस बार जारी किए गए निमंत्रण में साफ तौर पर कहा गया कि कार्यक्रम सभी मीडिया कर्मियों के लिए खुला रहेगा।

यह बदलाव मुत्ताकी की ओर से एक बड़ा डिप्लोमैटिक करेक्शन (Diplomatic Correction) माना जा रहा है। इससे यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि अफगानिस्तान क्षेत्रीय देशों के साथ अपने संबंधों को लेकर लचीला रवैया अपना रहा है और संवाद के रास्ते खुले रखना चाहता है।

भारत सरकार ने खुद को किया अलग

मुत्ताकी की पहली प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों को शामिल न किए जाने पर जब विवाद बढ़ा, तो भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि उसका आयोजन में कोई रोल नहीं था। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि यह कार्यक्रम पूरी तरह अफगान दूतावास की ओर से आयोजित किया गया था।

सरकारी सूत्रों ने बताया, “अफगानिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।” मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत महिलाओं के अधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है।

तालिबान की नीतियों पर वैश्विक आलोचना

2021 में अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) के सत्ता में आने के बाद से ही महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक जीवन से दूर कर दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान शासन की नीतियों को महिला विरोधी करार दिया है।

तालिबान सरकार में आमिर खान मुत्ताकी जैसे वरिष्ठ नेता लगातार यह दावा करते हैं कि वे “इस्लामी सिद्धांतों के तहत महिलाओं के अधिकारों की रक्षा” कर रहे हैं। हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और है। देशभर में हजारों स्कूल और कॉलेजों से महिलाओं की पढ़ाई पर रोक है, जबकि मीडिया में महिला पत्रकारों की भूमिका लगभग समाप्त हो चुकी है।

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