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अंडमान में इको-टूरिज्म रिसॉर्ट्स की तैयारी, टाटा, हयात और द लीला जैसी बड़ी कंपनियां होंगी शामिल

अंडमान में इको-टूरिज्म रिसॉर्ट्स की तैयारी, टाटा, हयात और द लीला जैसी बड़ी कंपनियां होंगी शामिल

अंडमान में eco-tourism को बढ़ावा देने के लिए टाटा, हयात और द लीला जैसी कंपनियां चार द्वीपों पर लग्ज़री रिसॉर्ट्स बनाएंगी। सितंबर में बोली प्रक्रिया शुरू होगी।

Andaman Big Companies: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह अब केवल प्राकृतिक सुंदरता और समुद्र तटों के लिए ही नहीं, बल्कि eco-tourism का नया global hub बनने जा रहा है। प्रशासन ने यहां चार द्वीपों पर आधुनिक लेकिन प्रकृति-संरक्षण आधारित रिसॉर्ट्स बनाने की योजना बनाई है। इस प्रोजेक्ट में टाटा ग्रुप की आईएचसीएल (IHCL), हयात होटल्स, द लीला, क्लब महिंद्रा और जीवीके ग्रुप जैसी देश की नामी कंपनियां रुचि दिखा चुकी हैं।

किन द्वीपों पर बनेंगे रिसॉर्ट

अधिकारियों के अनुसार, ये eco-tourism रिसॉर्ट नील द्वीप, एव्स द्वीप, लॉन्ग द्वीप और स्मिथ द्वीप पर विकसित किए जाएंगे। ये सभी प्रोजेक्ट PPP मॉडल (Public Private Partnership) के तहत पूरे किए जाएंगे। साथ ही, पोर्ट ब्लेयर में मौजूद मेगापोड रिसॉर्ट को भी नए स्वरूप में विकसित करने की योजना है।

निवेशकों की बड़ी मीटिंग

14 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित एक महत्वपूर्ण मीटिंग में देश के कई होटल ग्रुप्स शामिल हुए। इसमें द लीला, क्लब महिंद्रा, हयात, अंबुजा नेओटिया हॉस्पिटैलिटी, शैलेट होटल्स, जुनिपर होटल्स, द पार्क, पोलो होटल्स और जीवीके ग्रुप जैसे बड़े नाम मौजूद थे। यह मीटिंग NIIDCO (Andaman Nicobar Islands Integrated Development Corporation Ltd) की ओर से आयोजित की गई थी। इस दौरान निवेशकों को प्रोजेक्ट से जुड़े सवाल पूछने और सुझाव देने का अवसर दिया गया।

15 सितंबर को लगेंगी बोलियां

NIIDCO की प्रबंध निदेशक चंचल यादव ने बताया कि लक्ष्य अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को nature-based और sustainable tourism का global destination बनाना है। उन्होंने कहा कि सितंबर के पहले हफ्ते में निवेशकों को प्रोजेक्ट साइट का दौरा कराया जाएगा। इसके बाद 15 सितंबर को टेंडर की बोलियां लगाई जाएंगी।

पहली बार खुलेगा एव्स द्वीप

प्रशासन ने जानकारी दी कि यह पहली बार होगा जब एव्स द्वीप को tourism के लिए खोला जाएगा। यह द्वीप अपने विशाल नारियल के बागानों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा यहां की 2 किलोमीटर लंबी बीच लाइन, जीवित और मृत corals की सतहें इसे पर्यटकों के लिए बेहद आकर्षक बनाती हैं।

रिसॉर्ट्स की लागत और क्षमता

प्रोजेक्ट के अंतर्गत अलग-अलग द्वीपों पर आधुनिक रिसॉर्ट्स बनाए जाएंगे। प्रत्येक प्रोजेक्ट की लागत और क्षमता अलग-अलग है।

  • नील आइलैंड – यहां 172 करोड़ रुपये की लागत से 120 कमरे बनाए जाएंगे।
  • एव्स आइलैंड – यहां 2.75 हेक्टेयर जमीन पर 36 करोड़ रुपये के निवेश से 50 कमरों वाला रिसॉर्ट बनेगा।
  • लॉन्ग आइलैंड (लालाजी बे) – यहां लगभग 391 करोड़ रुपये की लागत से 220 कमरों वाला रिसॉर्ट तैयार होगा।
  • स्मिथ आइलैंड – यहां 60 करोड़ रुपये के निवेश से 70 कमरे बनाए जाएंगे।

पर्यटन को मिलेगा नया आयाम

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पहले से ही अपने साफ-सुथरे समुद्र तट, diving spots और rich biodiversity के लिए मशहूर है। लेकिन इन नए eco-resorts से यहां का international tourism और तेजी से बढ़ेगा।

अधिकारियों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। साथ ही, यह क्षेत्र भारत के पर्यटन मानचित्र पर और अधिक प्रमुख स्थान हासिल करेगा।

Port Blair के मेगापोड रिसॉर्ट का कायाकल्प

अंडमान प्रशासन पोर्ट ब्लेयर में स्थित मेगापोड रिसॉर्ट को भी पूरी तरह modern design के साथ दोबारा विकसित करने की योजना बना रहा है। इसका मकसद राजधानी क्षेत्र में luxury और budget tourism दोनों को संतुलित रूप से बढ़ावा देना है।

Sustainable Development पर जोर

प्रशासन ने साफ किया है कि यह सभी प्रोजेक्ट eco-friendly तरीके से विकसित किए जाएंगे। पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय संसाधनों के जिम्मेदाराना इस्तेमाल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

Local Economy को बड़ा लाभ

इन रिसॉर्ट्स से केवल पर्यटन ही नहीं, बल्कि local economy को भी मजबूत किया जाएगा। स्थानीय लोगों के लिए रोजगार, छोटे व्यवसायों के लिए नए अवसर और hospitality industry का विस्तार होने की उम्मीद है।

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