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Ayodhya: सप्त मंडप और सभी मंदिरों का निर्माण पूरा, भव्य उद्घाटन के लिए तैयार है रामनगरी

Ayodhya: सप्त मंडप और सभी मंदिरों का निर्माण पूरा, भव्य उद्घाटन के लिए तैयार है रामनगरी

रामनगरी अयोध्या से एक बड़ी खबर सामने आई है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के साथ-साथ परकोटे के छह मंदिरों का निर्माण कार्य पूरी तरह संपन्न हो गया है। इन छह मंदिरों में भगवान शिव, गणेश, हनुमान, सूर्यदेव, मां भगवती, मां अन्नपूर्णा और शेषावतार के मंदिर शामिल हैं।

अयोध्या: रामनगरी अयोध्या से बड़ी खबर सामने आई है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। मुख्य मंदिर के साथ-साथ परकोटे में स्थित सभी छह मंदिरों और सप्त मंडपों का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया है। इन सभी मंदिरों के शिखरों पर ध्वजदंड और स्वर्ण कलश भी स्थापित किए जा चुके हैं। यह जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने दी।

अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण पिछले कई वर्षों से देश और दुनिया के करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है। अब जब निर्माण कार्य अपने अंतिम पड़ाव पर है, पूरा देश ‘रामलला के प्रकट महोत्सव’ का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

मुख्य मंदिर और परकोटे के छह मंदिर तैयार

श्रीराम जन्मभूमि परिसर में मुख्य गर्भगृह मंदिर के साथ-साथ परकोटे के छह प्रमुख मंदिर — शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, मां भगवती, मां अन्नपूर्णा और शेषावतार — का निर्माण पूरी तरह संपन्न हो चुका है। सभी मंदिरों में ध्वजदंड और कलश स्थापित कर दिए गए हैं, जिससे मंदिरों का स्वरूप अत्यंत दिव्य और भव्य दिख रहा है।

चंपत राय ने बताया कि सभी मंदिरों का निर्माण पारंपरिक भारतीय वास्तुकला के अनुसार किया गया है। मंदिरों की दीवारों और स्तंभों पर रामायण और पुराणों के प्रसंगों की सुंदर नक्काशी की गई है।

सप्त मंडप का निर्माण भी हुआ पूरा

श्रीराम जन्मभूमि परिसर के अंदर स्थित सप्त मंडप — यानी महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी और ऋषिपत्नी अहिल्या — के मंदिरों का निर्माण कार्य भी पूर्ण हो गया है। ये सप्त मंडप भगवान श्रीराम के जीवन में जुड़े उन महान पात्रों को समर्पित हैं, जिन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों और जीवन दर्शन को आकार दिया। प्रत्येक मंडप को विशेष पत्थरों से बनाया गया है, जिन पर उनके योगदान को दर्शाती शिल्पकला उकेरी गई है।

इसके अलावा संत तुलसीदास जी का मंदिर भी पूरी तरह से तैयार हो गया है। परिसर में गिद्धराज जटायु और सेतुबंध की गिलहरी की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं, जो रामायण के अमर प्रसंगों की याद दिलाती हैं। इन मूर्तियों को अत्यंत कलात्मक ढंग से तैयार किया गया है, ताकि श्रद्धालु भगवान श्रीराम के जीवन की घटनाओं से आत्मिक रूप से जुड़ सकें।

दर्शनार्थियों की सुविधा के कार्य भी पूरे

चंपत राय के अनुसार, दर्शनार्थियों की सुविधा और व्यवस्था से जुड़े लगभग सभी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। दर्शन मार्ग, प्रवेश और निकास द्वार, सुरक्षा व्यवस्थाएं, पेयजल, और प्रकाश व्यवस्था — सब कुछ आधुनिक तकनीक के साथ तैयार किया गया है। 10 एकड़ में फैला पंचवटी क्षेत्र भी तेजी से विकसित किया जा रहा है, जहां वृक्षारोपण, हरियाली और भूमि सौंदर्यकरण का काम चल रहा है।

श्रीराम जन्मभूमि परिसर को घेरने वाली 3.5 किलोमीटर लंबी चारदीवारी (बाउंड्री वॉल) का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है। इसके अलावा ट्रस्ट कार्यालय, भव्य अतिथि गृह और सभागार के निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहे हैं। इन इमारतों में श्रद्धालुओं, संतों और विशिष्ट अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था की जाएगी। सभागार में धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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