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बीकानेर से हनुमान बेनीवाल का शक्ति प्रदर्शन, ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ नारे के साथ चुनावी तैयारी का ऐलान

बीकानेर से हनुमान बेनीवाल का शक्ति प्रदर्शन, ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ नारे के साथ चुनावी तैयारी का ऐलान

बीकानेर में आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने पार्टी के सातवें स्थापना दिवस पर विशाल शक्ति प्रदर्शन किया। ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ के नारे के साथ उन्होंने 2028 राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए मिशन सत्ता की शुरुआत कर दी।

बीकानेर: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने बीकानेर में पार्टी के सातवें स्थापना दिवस के मौके पर विशाल रैली आयोजित कर आगामी विधानसभा चुनाव 2028 की तैयारी का ऐलान किया। ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ के नारे के साथ बेनीवाल ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि आरएलपी अब प्रदेश की सत्ता में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की रणनीति बना चुकी है।

बीकानेर में सत्ता बदलने की हुंकार

बुधवार को बीकानेर के मैदान में आयोजित इस रैली में प्रदेशभर से हजारों समर्थक पहुंचे। मंच पर मौजूद बेनीवाल ने जोश भरे अंदाज में कहा कि अब वक्त आ गया है जब राजस्थान की राजनीति दो दलों के इर्द-गिर्द नहीं घूमेगी। उन्होंने कहा कि बीकानेर की यह हुंकार सत्ता तक पहुंचेगी और 2028 में जनता तीसरे विकल्प के रूप में आरएलपी को चुनेगी।

बेनीवाल ने अपने भाषण में कांग्रेस और भाजपा दोनों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों में इन दोनों पार्टियों ने सिर्फ कुर्सी की राजनीति की, जबकि जनता की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। अब आरएलपी जनता के मुद्दों पर निर्णायक राजनीति करने के लिए तैयार है।

‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ — आरएलपी का नया नारा

पार्टी के स्थापना दिवस पर बेनीवाल ने ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ का नारा देते हुए कार्यकर्ताओं को आगामी चुनाव के लिए तैयार रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आरएलपी अब विपक्षी राजनीति नहीं, बल्कि सत्ताधारी विकल्प बनने का इरादा रखती है।

उन्होंने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “राजस्थान की जनता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को मौका दिया, अब समय है कि जनता खुद की पार्टी को मौका दे।” इस दौरान उन्होंने युवाओं, किसानों और बेरोजगारों को पार्टी की ताकत बताया और कहा कि यही वर्ग राज्य की राजनीति की नई दिशा तय करेगा।

राजस्थान में तीसरी ताकत बनने की चुनौती

राजस्थान की राजनीति में अब तक तीसरे मोर्चे के कई प्रयास किए गए, लेकिन कोई भी स्थायी सफलता हासिल नहीं कर सका। ऐसे में बेनीवाल का यह कदम उनके राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी परीक्षा माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर आरएलपी को ग्रामीण और युवा मतदाताओं का समर्थन मिला तो यह प्रदेश की सत्ता समीकरणों में अहम बदलाव ला सकती है।

बेनीवाल के करीबी सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने अब जिलास्तर पर संगठन को मजबूत करने और 2028 के लिए जनसंपर्क अभियान शुरू करने की योजना बनाई है।

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