Pune

भाग्य क्यों नहीं दे रहा साथ? जानिए कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति का रहस्य

भाग्य क्यों नहीं दे रहा साथ? जानिए कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति का रहस्य


ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है। गुरु को ज्ञान, शिक्षा, धार्मिकता, भाग्य और नीति का कारक ग्रह माना गया है। अगर किसी की जन्म कुंडली में गुरु मजबूत स्थिति में हो, तो वह जीवन में तरक्की करता है, उसकी सोच में स्पष्टता होती है और फैसले लेने की क्षमता मजबूत रहती है। लेकिन जब यही गुरु ग्रह कमजोर हो, तो व्यक्ति जीवन के हर मोर्चे पर भ्रम, असमंजस और असफलता का शिकार हो सकता है।

कैसे पहचानें कि कुंडली में गुरु कमजोर है

अगर कोई व्यक्ति बार-बार अपने निर्णयों को लेकर उलझन में रहता है, या उसे शिक्षा में लगातार बाधाएं आ रही हैं, तो ये संकेत हो सकते हैं कि उसकी कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर है।

ऐसे लोगों में आत्मविश्वास की कमी दिखाई देती है। वे किसी भी विषय पर लंबा विचार करते हैं, लेकिन अंतिम फैसला लेने में उन्हें कठिनाई होती है।

कमजोर गुरु की वजह से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक दृष्टिकोण की कमी देखी जाती है।

आर्थिक जीवन भी प्रभावित होता है। कभी अचानक धन हानि होती है, तो कभी आमदनी और खर्च का संतुलन बिगड़ जाता है।

ऐसे लोग अकसर संपत्ति विवाद में उलझे रहते हैं या फिर पारिवारिक मतभेदों का सामना करते हैं।

अगर गुरु नीच राशि मकर में हो, या शनि और केतु जैसे ग्रहों के साथ स्थित हो, तो उसका प्रभाव कमजोर माना जाता है।

जब गुरु मजबूत हो तो क्या बदलाव आता है

मजबूत गुरु व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाता है। ऐसा व्यक्ति पढ़ाई में आगे होता है और उसे उच्च शिक्षा के अच्छे अवसर मिलते हैं।

ऐसे लोग अपने विचारों को स्पष्टता के साथ रख पाते हैं और निर्णय लेने में तेज होते हैं।

गुरु ग्रह भाग्य का कारक भी माना जाता है, इसलिए जिनकी कुंडली में यह मजबूत होता है, उनका भाग्य अक्सर कठिन समय में भी उनका साथ देता है।

धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु की दृष्टि जहां भी पड़ती है, वहां शुभ फल देती है।

ऐसे व्यक्ति आध्यात्मिक होते हैं और धार्मिक मार्ग को अपनाते हैं। उनके रिश्तों में पारदर्शिता और सम्मान बना रहता है।

कमजोर गुरु का असर क्या-क्या हो सकता है

अगर किसी की कुंडली में गुरु कमजोर होता है, तो उसे शिक्षा से जुड़े प्रयासों में बार-बार रुकावटें आती हैं।

आर्थिक स्थिति डगमगा सकती है, खासकर जब व्यक्ति के पास साधन होने के बावजूद वह उन्हें सही दिशा में उपयोग नहीं कर पाता।

इस स्थिति में मानसिक असंतुलन, चिड़चिड़ापन और आत्मविश्वास की कमी दिखाई देती है।

व्यक्ति अपनी बातों को लेकर असमंजस में रहता है और कई बार गलत निर्णय ले बैठता है।

धार्मिक और नैतिक पक्ष भी कमजोर हो जाता है, जिससे व्यक्ति भटकाव का शिकार हो सकता है।

वैवाहिक जीवन में तनाव और साझेदारी में विवाद की स्थिति बन सकती है।

शिक्षकों या बड़ों से अनबन, उनकी बातों की अनदेखी और मार्गदर्शन की कमी भी ऐसे लोगों में देखी जाती है।

गुरु ग्रह को मजबूत करने के कुछ खास उपाय

  • गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत करने के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं, जो अगर श्रद्धा और नियम से किए जाएं, तो लाभ मिल सकता है।
  • गुरुवार का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करना फायदेमंद माना गया है। पीले फूल, पीले वस्त्र और पीले फल भगवान को अर्पित करें।
  • गुरुवार को चने की दाल, हल्दी, पीले वस्त्र और पीले फल का दान करें। अगर संभव हो तो किसी जरूरतमंद विद्यार्थी को पाठ्य सामग्री दान करें।
  • रक्तदान करने से भी गुरु का प्रभाव शुभ हो सकता है।
  • हर गुरुवार को केले के पेड़ के नीचे गाय के घी का दीपक जलाएं। इससे गुरु ग्रह की कृपा बनी रहती है।
  • गुरु के मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ होता है। विशेष रूप से ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स गुरवे नमः या ऊं बृं बृहस्पतये नमः मंत्र का जाप रोजाना कम से कम 108 बार करें।
  • बृहस्पति यंत्र को घर में स्थापित कर नित्य पूजन किया जाए, तो इससे भी अच्छे परिणाम मिलते हैं।
  • अपने जीवन में सच्चाई और ईमानदारी को प्राथमिकता दें। रिश्तों में पारदर्शिता रखें और किसी तीसरे व्यक्ति की ओर गलत दृष्टि से न देखें।
  • गुरुजनों, शिक्षकों और ब्राह्मणों का सम्मान करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • गाय की सेवा और गोशाला में दान देना भी गुरु को प्रसन्न करने का तरीका माना गया है।
  • कुंडली देखकर किसी योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह पर पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है। यह रत्न गुरु ग्रह का प्रतीक होता है।

गुरु की दिशा तय करती है जीवन की दशा

गुरु ग्रह को जीवन में मार्गदर्शक माना जाता है। शिक्षा, धर्म, भाग्य, नैतिकता और निर्णय क्षमता जैसे पहलुओं में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अगर यह ग्रह कुंडली में कमजोर हो तो जीवन की दिशा भी भटक सकती है। ऐसे में इसकी स्थिति को पहचान कर समय रहते उपाय करना जरूरी हो जाता है। इससे व्यक्ति अपने जीवन को एक सकारात्मक मोड़ दे सकता है और सोच-समझ कर आगे बढ़ सकता है।

Leave a comment