भारत अब अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की सुरक्षा के लिए एक बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इस योजना के तहत भारत अंतरिक्ष में मौजूद अपने सैटेलाइट्स को संभावित खतरों से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें जमीन से नियंत्रित करके कक्षा में अलग जगह खिसकाने की क्षमता विकसित कर रहा है।
नई दिल्ली: भारत अंतरिक्ष यानों और कक्षा में चक्कर काट रहे उपग्रहों को दुश्मन हमलों से सुरक्षित रखने के लिए एक बड़ी योजना विकसित कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इस जरूरत पर ध्यान तब दिया गया, जब एक भारतीय उपग्रह दुश्मन के स्पेसक्राफ्ट से बाल-बाल बचा। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरे का अंदाजा लगाया गया।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ‘बॉडीगार्ड सैटेलाइट’ इस बड़ी योजना का हिस्सा होगा। इसके माध्यम से भविष्य में भारतीय उपग्रहों को दुश्मनों की बुरी नजरों और संभावित हमलों से सुरक्षित रखा जा सकेगा, जिससे देश की अंतरिक्ष संपदा और सुरक्षा मजबूत होगी।
क्या है सैटेलाइट बॉडीगार्ड योजना?
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य कक्षा में परिक्रमा कर रहे भारतीय सैटेलाइट्स को संभावित खतरों से बचाना है। इसके तहत किसी भी दुश्मन के स्पेसक्राफ्ट या अन्य खतरनाक गतिविधियों की पहचान होते ही जमीन से तत्काल कार्रवाई करके सैटेलाइट को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकेगा। इस तकनीक से न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, बल्कि भारत के उपग्रहों की लंबी अवधि तक सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना की संवेदनशीलता को देखते हुए कई जानकारों ने अपनी पहचान न छापने की शर्त पर जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैटेलाइट्स ने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अहम भूमिका निभाई थी।
बाल-बाल बचा भारतीय सैटेलाइट
सूत्रों के मुताबिक, इस योजना की जरूरत तब महसूस हुई जब 2024 के मध्य में भारत का एक सैटेलाइट कथित तौर पर पड़ोसी देश के स्पेसक्राफ्ट के बेहद करीब आ गया था। यह सैटेलाइट लगभग 500-600 किलोमीटर ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में था। इस घटना ने यह स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष में उपग्रहों की सुरक्षा के लिए उन्नत उपाय जरूरी हैं।
इस क्षेत्र में एलन मस्क के स्टारलिंक नेटवर्क की वजह से भारी भीड़भाड़ रहती है। इसी कारण भारत अब 'सैटेलाइट बॉडीगार्ड' परियोजना पर काम कर रहा है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
LiDAR सैटेलाइट और तकनीकी पहल
भारत का लक्ष्य है कि वह LiDAR (Light Detection and Ranging) सैटेलाइट विकसित करे। यह सैटेलाइट किसी भी खतरे का पता तुरंत लगा सके और समय रहते लक्षित सैटेलाइट को अपनी कक्षा में सुरक्षित स्थान पर खिसकाने का आदेश जारी कर सके। इसके अलावा, भारत ने स्टार्टअप्स के साथ मिलकर इस योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 50 सर्विलांस सैटेलाइट बनाए जाने की योजना है। इन सैटेलाइट्स की कुल लागत लगभग 270 अरब रुपये अनुमानित है।
पूर्व इसरो अधिकारी और कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के सलाहकार सुधीर कुमार एन के अनुसार, "हमारे पास अभी 24x7 आधार पर ऑर्बिट ट्रैकिंग क्षमता सीमित है। हालांकि कुछ स्टार्टअप्स इस दिशा में काम कर रहे हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी भारतीय सैटेलाइट्स ने निर्णायक भूमिका निभाई थी। इस ऑपरेशन में भारत ने अपने सटीक हवाई और जमीनी हमलों के लिए सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया। वहीं चीन अपने सैटेलाइट की मदद से पाकिस्तान को लाइव कवरेज प्रदान कर रहा था।