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भारत सरकार का बड़ा कदम, आईटीआई अपग्रेडेशन के लिए ₹60,000 करोड़ योजना को दी मंजूरी

केंद्र सरकार ने बुधवार को भारत की व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के उन्नयन और कौशल विकास के लिए पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना को मंजूरी दे दी।

नई दिल्ली: भारत सरकार ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) और कौशल विकास के क्षेत्र में एक बड़ी योजना को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य देशभर में व्यावसायिक शिक्षा को नई दिशा देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 60,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी, जिसका मुख्य उद्देश्य 1,000 सरकारी आईटीआई का अपग्रेडेशन करना और पांच राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) की क्षमता को बढ़ाना है। 

इस योजना का उद्देश्य देशभर के लाखों युवाओं को गुणवत्तापूर्ण कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है ताकि वे उद्योगों की बढ़ती मानव संसाधन की जरूरतों को पूरा कर सकें।

योजना का उद्देश्य और प्रमुख पहलू

यह योजना एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को आधुनिक और उद्योग-आधारित शिक्षा प्रणाली से जोड़ना है। इसके तहत, 1,000 सरकारी आईटीआई को अपग्रेड किया जाएगा और पांच राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) की क्षमता में वृद्धि की जाएगी। इस परियोजना में सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, पांच वर्षों के भीतर 20 लाख युवाओं को कुशल बनाया जाएगा। यह कार्यक्रम उद्योगों की बढ़ती मांग के अनुरूप तैयार किया जाएगा ताकि प्रशिक्षित श्रमिकों की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के मुताबिक, इस योजना के तहत स्थानीय कार्यबल आपूर्ति और उद्योग की जरूरतों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया जाएगा। इससे न केवल कौशल विकास होगा, बल्कि उद्योगों को रोजगार के लिए तैयार श्रमिक भी मिलेंगे। इसके अलावा, यह योजना एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी, क्योंकि यह उन्हें सक्षम और प्रशिक्षित कर्मियों तक पहुंच प्रदान करेगी।

योजना की वित्तीय संरचना

इस योजना का कुल खर्च 60,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है, जिसमें केंद्रीय सरकार का हिस्सा 30,000 करोड़ रुपये होगा, जबकि राज्य सरकारों का हिस्सा 20,000 करोड़ रुपये और उद्योगों का योगदान 10,000 करोड़ रुपये रहेगा। इसके अतिरिक्त, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) द्वारा केंद्रीय हिस्से के 50 प्रतिशत तक सह-वित्तपोषण भी किया जाएगा। यह सह-वित्तपोषण योजना को और भी सशक्त बनाएगा और इसके कार्यान्वयन में मदद करेगा।

प्रशिक्षकों की क्षमता वृद्धि पर ध्यान

इस योजना के अंतर्गत, प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) सुविधाओं को भी बेहतर बनाया जाएगा। इसके लिए पांच प्रमुख एनएसटीआई (भुवनेश्वर, चेन्नई, हैदराबाद, कानपुर और लुधियाना) में बुनियादी ढांचे का अपग्रेडेशन किया जाएगा। इसके अलावा, 50,000 प्रशिक्षकों को सेवा-पूर्व और सेवाकालीन प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे उनके कौशल को उन्नत किया जाएगा और वे प्रशिक्षु युवाओं को और अधिक प्रभावी तरीके से शिक्षा दे सकेंगे।

स्थायी सुधार और लंबी अवधि की योजना

यह योजना केवल एक तात्कालिक सुधार नहीं है, बल्कि यह भविष्य में किए जाने वाले निरंतर सुधारों का हिस्सा है। योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी आईटीआई केवल सरकारी उपक्रम नहीं रह जाएं, बल्कि ये उद्योग-प्रबंधित संस्थान बनें जो विभिन्न उद्योगों के विशेषज्ञों द्वारा संचालित हों। यह पहल भारत में तकनीकी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में स्थायी बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस योजना को मंजूरी देने के बाद, सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत इसका युवा कार्यबल है और इस कार्यबल को कुशल बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। योजना के तहत, राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकें।

यह योजना केंद्रीय सरकार द्वारा उठाया गया एक अहम कदम है, जो भारत को विश्व के कौशल विकास के मानचित्र पर अग्रणी स्थान दिलाने में मदद करेगा। इससे न केवल युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, बल्कि भारतीय उद्योगों को भी दक्ष और सक्षम श्रमिक प्राप्त होंगे, जो उनके विकास में सहायक साबित होंगे।

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