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भारत-UK FTA से दोगुना होगा व्यापार? जानिए 2030 तक क्या है सरकार का लक्ष्य

भारत-UK FTA से दोगुना होगा व्यापार? जानिए 2030 तक क्या है सरकार का लक्ष्य

भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी एफटीए पर सहमति बनने के बाद भारत के घरेलू उत्पादों के लिए यूरोप का दरवाजा और ज्यादा चौड़ा हो गया है। इस समझौते से जहां बड़ी-बड़ी भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहचान मिलेगी, वहीं छोटे किसानों, कारीगरों और स्थानीय कारोबारियों के लिए भी नए मौके तैयार होंगे।

ब्रिटेन में बिकेगा भारतीय स्वाद और परंपरा

एफटीए के तहत अब भारत से कोल्हापुर की मशहूर चप्पल, गोवा की पारंपरिक फेनी, नासिक की वाइन, केरल की ताड़ी, पंजाब का बासमती चावल और तमिलनाडु की मिर्च जैसे अनगिनत उत्पाद बिना आयात शुल्क के ब्रिटेन पहुंच सकेंगे। इसका मतलब है कि अब अंग्रेज भी भारतीय ज़ायके और परंपरा से रूबरू होंगे। खास बात यह है कि कुल 99 फीसदी भारतीय उत्पाद इस समझौते के तहत टैक्स फ्री रहेंगे।

कटहल और बाजरे की भी विदेशों में बढ़ेगी डिमांड

अब तक भारत के कई फल और सब्जियां ब्रिटेन में सीमित रूप से पहुंच पाती थीं, लेकिन इस व्यापार समझौते के बाद इनका निर्यात बड़ी मात्रा में होगा। कटहल, बाजरा, हल्दी, इलायची, काली मिर्च जैसे जैविक और पारंपरिक उत्पादों को भी वहां की बड़ी रिटेल चेन में जगह मिलने की उम्मीद है। खास बात यह है कि इन उत्पादों के लिए पश्चिमी देशों में पहले से ही स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छी मांग बनी हुई है।

गोवा की फेनी और केरल की ताड़ी को मिलेगा नया बाजार

भारतीय पारंपरिक पेयों को लेकर भी अब माहौल बदलने वाला है। गोवा की फेनी, केरल की ताड़ी और नासिक की वाइन को अब ब्रिटेन के पब और रेस्तरां में परोसे जाने की उम्मीद है। सरकार इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट कर रही है ताकि साल 2030 तक मादक पेयों के निर्यात को 1 अरब डॉलर तक पहुंचाया जा सके। फिलहाल यह आंकड़ा लगभग 370 मिलियन डॉलर है।

मछली और समुद्री उत्पादों की होगी बड़ी खेप

आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु जैसे समुद्री राज्यों के मछुआरों के लिए भी यह व्यापार समझौता वरदान साबित हो सकता है। उनके द्वारा पकड़े गए समुद्री उत्पाद अब ब्रिटेन के फूड मार्केट में सीधे भेजे जा सकेंगे। ब्रिटिश बाजार में भारतीय समुद्री उत्पादों की मांग पहले से ही अच्छी है, और अब जब शुल्क नहीं लगेगा, तो प्रतिस्पर्धा में भारत का पलड़ा भारी रहेगा।

बासमती चावल और मसालों की होगी भरमार

बासमती चावल भारतीय रसोई की पहचान है और ब्रिटेन में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से बासमती की बड़ी खेप अब टैक्स फ्री भेजी जा सकेगी। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के मसालों, खासकर नागालैंड की मिर्च, असम की काली मिर्च, मेघालय की हल्दी और त्रिपुरा के सुगंधित चावल जैसे उत्पाद भी ब्रिटेन के बाजारों में उतरने के लिए तैयार हैं।

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक और केमिकल सेक्टर को भी मिलेगा बूस्ट

सिर्फ खाद्य और पारंपरिक उत्पाद ही नहीं, बल्कि इलेक्ट्रिक मशीनरी, केमिकल्स, लेदर गुड्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टर भी इस समझौते से लाभान्वित होंगे। खास बात यह है कि भारत की दवाओं की ब्रिटेन में पहले से अच्छी साख है, और अब नियमों में ढील के बाद इनका निर्यात और ज्यादा आसान हो जाएगा।

भारत के छोटे किसानों और उत्पादकों को मिलेगा बड़ा मंच

इस डील का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारत के छोटे किसान, कारीगर और गांवों में काम करने वाले उद्यमी अब सीधे ब्रिटेन के बाजार तक पहुंच बना पाएंगे। सरकार की योजना है कि कृषि उत्पादों के निर्यात में गांवों को शामिल किया जाए, जिससे लोकल टू ग्लोबल की थीम को साकार किया जा सके।

व्यापार बढ़ाने का है बड़ा लक्ष्य

भारत और ब्रिटेन दोनों ने साल 2030 तक आपसी व्यापार को लगभग दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल यह आंकड़ा करीब 56 बिलियन डॉलर है, जिसे 120 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए दोनों देश आपसी व्यापार को आसान और तेज़ बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

शहरों के साथ गांवों तक पहुंचेगा फायदा

इस पूरे समझौते का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इसका असर सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रहेगा। महाराष्ट्र के अंगूर, गुजरात की मूंगफली, आंध्र की मछली, गोवा की फेनी, केरल की ताड़ी और पूर्वोत्तर के मसाले जैसे सैकड़ों उत्पाद अब ब्रिटेन में भारत की ताकत को दर्शाएंगे। इससे देश के छोटे उत्पादकों को एक नया बाजार और नई पहचान मिलने की पूरी संभावना है।

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