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भारतीय आईटी कंपनियों को ट्रंप के फैसले से नहीं होगा बड़ा नुकसान, जेफरीज ने किया दावा

भारतीय आईटी कंपनियों को ट्रंप के फैसले से नहीं होगा बड़ा नुकसान, जेफरीज ने किया दावा

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने कहा है कि भारतीय IT कंपनियां अमेरिका के नए H-1B वीजा नियमों से आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकती हैं। खासकर TCS और इंफोसिस मजबूत स्थिति में हैं। हालांकि कुछ कंपनियों को ऑपरेशनल बदलाव और मुनाफे में 4% से 13% तक गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।

H-1B Visa: ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने भारतीय IT कंपनियों के लिए भविष्यवाणी की है कि वे अमेरिका के नए H-1B वीजा नियमों के बावजूद मजबूती बनाए रख सकती हैं। जेफरीज ने लार्जकैप सेक्टर में TCS और इंफोसिस को पसंदीदा कंपनियों में रखा है। नए नियमों के तहत $100,000 शुल्क लगाया गया है, जिससे कंपनियों को ऑपरेशनल बदलाव करने पड़ सकते हैं और मुनाफे में 4% से 13% तक गिरावट आ सकती है।

H-1B वीजा नियम और भारतीय आईटी सेक्टर

अमेरिका की ट्रंप सरकार ने 21 सितंबर से H-1B वीजा आवेदन शुल्क को बढ़ाकर $100,000 कर दिया है। इस फैसले का असर भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ा है क्योंकि अमेरिका में काम करने वाले अधिकांश भारतीय आईटी पेशेवर इसी वीजा के तहत काम करते हैं। जेफरीज का कहना है कि कंपनियों को इस बदलाव को समझने और एडजस्ट करने के लिए लगभग 4-5 साल का समय मिलेगा।

कंपनियों के लिए चुनौती यह है कि H-1B वीजा शुल्क बढ़ने से हर ऑनसाइट कर्मचारी की लागत बढ़ जाएगी। वर्तमान में कंपनियां हर ऑनसाइट कर्मचारी से $150-200 हजार सालाना कमाती हैं, जिसमें लगभग 10 प्रतिशत का मुनाफा शामिल होता है। नए $100,000 शुल्क का मतलब है कि कंपनियों को कई सालों के प्रॉफिट का हिस्सा खर्च करना पड़ेगा।

TCS और इंफोसिस को लेकर जेफरीज ने दी होल्ड रेटिंग

जेफरीज ने TCS को होल्ड रेटिंग दी है और 12 महीने का टारगेट प्राइस 3,230 रुपये बताया है। इसका मतलब है कि वर्तमान स्तर से यह करीब 2 प्रतिशत ऊपर जा सकता है। वहीं, इंफोसिस के शेयर की कीमत अगले साल 1,750 रुपये तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई है, जो लगभग 13 प्रतिशत की बढ़त दर्शाता है।

HCL टेक्नोलॉजीज के लिए भी ब्रोकरेज ने 1,680 रुपये का लक्ष्य रखा है और इसे खरीदने की सलाह दी है। यह स्पष्ट करता है कि जेफरीज का मानना है कि इन कंपनियों की मजबूती उन्हें H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि जैसी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएगी।

ऑपरेशनल मॉडल में बदलाव

H-1B कर्मचारियों की संख्या कम होने के कारण भारतीय आईटी कंपनियों को अपने ऑपरेशनल मॉडल में बदलाव करना पड़ सकता है। कंपनियां अब स्थानीय कर्मचारियों की भर्ती या सब-कॉन्ट्रैक्टिंग विकल्पों की ओर रुख कर सकती हैं। इसके अलावा, वे मेक्सिको, कनाडा और भारत जैसे देशों से भी कर्मचारियों को हायर कर सकती हैं। हालांकि, स्थानीय हायरिंग की लागत अधिक होगी, जिससे मुनाफे पर कुछ असर पड़ सकता है।

साथ ही, जेफरीज का कहना है कि आईटी कंपनियों को एआई टेक्नोलॉजी और वेतन बढ़ोतरी जैसी चुनौतियों का भी सामना करना होगा। इन कारकों के कारण कंपनियों के मुनाफे में 4 प्रतिशत से 13 प्रतिशत तक की गिरावट आने की संभावना है।

निवेशकों के लिए संकेत

ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि TCS और इंफोसिस जैसी कंपनियों की मजबूत वित्तीय स्थिति और वैश्विक स्तर पर स्थापित संचालन उन्हें H-1B वीजा शुल्क में बढ़ोतरी जैसी चुनौतियों से उबरने में मदद करेगी। कंपनियों के पास पर्याप्त समय और संसाधन हैं, जिससे वे नई रणनीतियों को लागू कर सकें।

इसके अलावा, कंपनियों के पास अन्य देशों में ऑपरेशन और डिजिटल सेवाओं की व्यापक पहुँच है, जिससे अमेरिकी नियमों का असर सीमित होगा। निवेशकों के लिए यह संकेत है कि भारतीय आईटी सेक्टर में चुनिंदा कंपनियों की स्थिति अभी भी मजबूत बनी हुई है।

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