भारतीय सेना अगले छह महीनों में 20 भैरव बटालियन सक्रिय करेगी। ये हल्की, मोबाइल यूनिटें सीमा पर त्वरित कार्रवाई, ड्रोन इंटेलिजेंस और विशेष बल जैसी क्षमताएँ जोड़ेंगी। प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स और समन्वय पर जोर दिया जा रहा है। ऑपरेशनल रेंज काफी बढ़ेगी।
New Delhi: भारतीय सेना अगले छह महीनों में 20 भैरव बटालियन बनाने की तैयारी में है। ये बटालियन पारंपरिक इन्फैंट्री और विशेष बल के बीच की क्षमता को पाटने के उद्देश्य से तैयार की जा रही हैं। पांच भैरव लाइट कमांडो पहले से ही तैनात हैं। सेना के इन्फैंट्री डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि पांच बटालियनों के अलावा करीब चार बटालियन तैयार दायरे में हैं और शेष 16 बटालियन अगले छह महीने में सक्रिय कर दी जाएंगी। यह पहल सीमाओं पर त्वरित कार्रवाई को और प्रभावी बनाएगी।
बटालियन की संरचना
एक भैरव बटालियन में लगभग 250 सैनिक होते हैं। यह यूनिट केवल पैदल सेना जैसा नहीं है। इसमें एयर डिफेंस, आर्टिलरी और सिग्नल जैसे आर्म्स के जवान भी शामिल किए जाते हैं। इन बटालियनों का मॉडल हल्का। मोबाइल और घातक है। उद्देश्य यह है कि पारंपरिक ब्रिगेड की तरह भारी फोर्स के साथ साथ ऐसे छोटे, तेज़ और निशानेबाज समूह भी हों जो जोखिम भरे क्षेत्रों में शीघ्रता से दाखिल होकर मिशन पूरा कर सकें। चीन और पाकिस्तान सीमाओं पर यह क्षमता खास तौर पर उपयोगी साबित होगी।
कहां-कहां तैनाती हुईं बटालियन
पहले से सक्रिय भैरव बटालियनों में से एक लेह में तैनात है। एक यूनिट श्रीनगर में है और एक नगरोटा पर काम कर रही है। बाकी दोनों बटालियनों को वेस्टर्न और ईस्टर्न बॉर्डर के रेगिस्तानी व पहाड़ी इलाकों में तैनात किया गया है। लेह में यह 14 कॉर्प्स के साथ काम कर रही है। श्रीनगर में 15 कॉर्प्स के साथ समन्वय है और नगरोटा में 16 कॉर्प्स का साथ मिल रहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हर बड़े कॉर्प्स के साथ भैरव यूनिट का तालमेल बना रहे।
ऑपरेशनल क्षमता
भैरव बटालियनों को तेज गति से मूव करने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। इनकी ट्रेनिंग में रात और दिन में ऑपरेशन, माउंटेनियरिंग, रेगिस्तानी ड्राइविंग और सी-नियर फाइटिंग जैसी स्किल्स शामिल हैं। इसके अलावा इन यूनिटों को आधुनिक कम्युनिकेशन और छोटे ड्रोन सिस्टम दिये जाएंगे। ड्रोन के जरिए रिकोनेसैंस और टारगेटिंग में शीघ्रता आएगी। लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि इन बटालियनों के पास छोटा लेकिन प्रभावी ड्रोन फ्लोट होगा। इससे दुश्मन गतिविधियों पर निगरानी और प्राथमिक हमले संभव होंगे।
भैरव बटालियन का मुख्य विचार यही है कि पारंपरिक इन्फैंट्री की स्थायित्वता और विशेष बल की तीव्रता का संयोजन हो। विशेष ऑपरेशन में जाने वाली टीमों की तरह ये बटालियन भी लक्षित मिशन कर सकेंगी। लेकिन इनके साथ ट्रांजैक्शनल समर्थन भी मिलेगा जैसे आर्टिलरी फायर कंट्रोल और एयर डिफेंस का त्वरित समन्वय। यह मॉडल विशेष परिस्थितियों में लॉजिस्टिक्स की जटिलता को कम करेगा और फील्ड कमांडर को निर्णय लेने में सहूलियत देगा।
नई टेक्नोलॉजी का उपयोग
इन बटालियनों में ड्रोन संचालन पर विशेष जोर दिया गया है। हर प्लाटून में अलग तरह के ड्रोन होंगे। इनसे हवाई निगरानी, सेंचुरींग, रसद निरीक्षण और लक्षित हमले के काम होंगे। युद्ध के नए स्वरूप में ड्रोन इंटेलिजेंस का महत्व बढ़ा है। सेना इस बदलाव के अनुरूप अपनी यूनिटों को सुसज्जित कर रही है। लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि सेना की 380 इन्फैंट्री यूनिटों में से कई को ड्रोन संचालन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
क्या है भर्ती का ढांचा
भैरव बटालियन बनाने के लिए रीकैनिस्टर्ड भर्ती और विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे हैं। असल में भर्ती के समय ही उन सैनिकों का चुनाव किया जा रहा है जिनमें शारीरिक सहनशीलता, मानसिक चुस्ती और तकनीकी समझ दोनों हों। प्रशिक्षण को समयबद्ध किया गया है ताकि छह महीने के भीतर जो यूनिटें अधूरी हैं, वे पूरी तरह से ऑपरेशनल बन जाएं। साथ ही इन बटालियनों में मौजूद जवानों को उच्च स्तर की लो-कॉस्ट सॉफ़्टवेयर और कम्युनिकेशन डिवाइसेस का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
सीनियर कमांड का समन्वय
भैरव बटालियन का प्रभाव तभी स्थायी होगा जब उन्हें ब्रिगेड, डिवीजन और कॉर्प्स कमांड के साथ सही तालमेल मिलेगा। इसलिए उच्च कमान ने लॉजिस्टिक सप्लाई चैन, मेडिकल इवैक्यूएशन और फील्ड कमांड कनेक्टिविटी पर भी काम किया है। फील्ड में फ्यूल, एएमयूनेशन और मेडिकल किट का सप्लाई नेटवर्क भी रीइन्फोर्स किया जा रहा है। इससे इन बटालियनों की ऑपरेशनल रेंज और कार्यकुशलता बढ़ेगी।