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क्या मुकेश अंबानी रूस का तेल सरकार के निर्देश पर खरीदेंगे? जानिए रिलायंस का प्लान

क्या मुकेश अंबानी रूस का तेल सरकार के निर्देश पर खरीदेंगे? जानिए रिलायंस का प्लान

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने घोषणा की है कि वह रूस से तेल आयात पर भारत सरकार की नई गाइडलाइन का पालन करेगी। अमेरिका और यूरोप द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों Lukoil और Rosneft पर सख्त प्रतिबंध लगाने के बाद यह निर्णय लिया गया है। इस कदम से भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव और ऊर्जा सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना चाहता है।

Reliance plan: रूस पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपनी तेल खरीद नीति में बदलाव की घोषणा की है। कंपनी ने कहा कि वह भारत सरकार की दिशा-निर्देशों के अनुरूप रूस से तेल आयात को एडजस्ट करेगी। यह कदम तब आया है जब अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन ने रूस की तेल कंपनियों Lukoil और Rosneft पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। रिलायंस का यह निर्णय भारत को सस्ते रूसी तेल का लाभ लेते हुए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के उल्लंघन से बचने में मदद करेगा।

अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों का असर

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और यूरोप ने रूस पर नई सख्त पाबंदियां लागू की हैं। इन पाबंदियों में रूस की दो बड़ी तेल कंपनियां Lukoil और Rosneft शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन कंपनियों को निशाना बनाया है और यूरोपीय यूनियन ने भी रूस पर 19वां सैंक्शन पैकेज मंज़ूर किया है। इस पैकेज में रूसी लिक्विफाइड नेचुरल गैस के आयात पर रोक भी शामिल है।

ब्रिटेन ने पिछले हफ्ते इसी तरह की कार्रवाई करते हुए Lukoil और Rosneft पर प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिकी सैंक्शन के बाद भारत की सरकारी तेल कंपनियां अपने सौदों की समीक्षा कर रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी का कोई लेन-देन इन प्रतिबंधित कंपनियों से जुड़ा न हो।

रिलायंस: रूस से सस्ता तेल, अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन

रिलायंस ने साफ किया है कि कंपनी पूरी तरह से सरकार की गाइडलाइन के अनुसार काम करेगी। प्रवक्ता ने कहा कि हमारी प्राथमिकता भारत को आर्थिक रूप से संतुलित स्थिति में रखना है। इसका मतलब है कि रूस से सस्ता तेल मिलता रहेगा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होगा।

कंपनी का यह कदम यह भी दर्शाता है कि वैश्विक पॉलिटिक्स और व्यापारिक दबावों के बीच रिलायंस संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही है। गुरुवार को सुबह 10:48 बजे तक रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 1,463.85 रुपये पर कारोबार कर रहा था, जो 1.30 रुपये नीचे था।

तेल की कीमतों में उछाल

अमेरिका और यूरोप की नई कार्रवाई के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तुरंत असर देखने को मिला। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें दो डॉलर प्रति बैरल से अधिक बढ़कर करीब 64 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं। ट्रंप ने कहा कि रूस पर सैंक्शन राष्ट्रपति पुतिन की युद्ध मशीन को फंड करने वाली कंपनियों को निशाना बनाने के लिए लगाए गए हैं।

अमेरिका का भारत पर नजर

अमेरिका पहले भी भारत पर दबाव डाल चुका है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया था क्योंकि भारत रूस से डिस्काउंट पर तेल खरीद रहा था। हालांकि चीन, जो रूस का बड़ा खरीदार है, उस पर ऐसी कार्रवाई नहीं की गई।

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन युद्ध को रोकने में असफल होने के कारण अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने यह भी कहा कि सहयोगी देशों से अपील की जाती है कि वे इन सैंक्शनों का पालन करें।

रिलायंस: ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संतुलन

रिलायंस का यह कदम भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखता है। देश को ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन भी नहीं करना है। सरकार और बड़ी तेल कंपनियों के बीच तालमेल से यह संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि रिलायंस की यह नीति वैश्विक बाजार में भारत की स्थिरता बनाए रखने में सहायक होगी। साथ ही, रूस से तेल खरीद के मामले में किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय विवाद से बचने में भी यह मददगार साबित होगी।

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