बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। राज्य की 243 सीटों में से एक अहम सीट नबीनगर विधानसभा क्षेत्र भी इस बार चुनावी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
नबीनगर: बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं और सभी पार्टियां अपने प्रचार अभियान में जुटी हैं। इस बार नबीनगर विधानसभा सीट पर चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। बिहार की सियासत में इस चुनाव में कई नए मोड़ देखने को मिलेंगे। एक ओर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नई पार्टी जनसुराज मैदान में है, वहीं दूसरी ओर आरजेडी से निष्कासित तेज प्रताप यादव भी चुनाव में भाग लेने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।
नबीनगर सीट का चुनावी इतिहास
नबीनगर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास दर्शाता है कि यहां किसी भी पार्टी की जीत सुनिश्चित नहीं रही। शुरुआती दशकों में कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने 1990 तक आठ बार यह सीट जीती। इसके अलावा, इस क्षेत्र से सीपीआई और जनता पार्टी के भी विधायक चुने गए।
- 1995 में वीरेंद्र सिंह ने जनता दल (JD) का परचम लहराया।
- 1996 के उपचुनाव में बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद विधायक बनीं।
- इसके बाद RJD के भीम यादव दो बार विजयी रहे।
- 2005 में विजय सिंह ने LJP के लिए जीत दर्ज की।
- 2010 और 2015 में JDU के वीरेंद्र कुमार सिंह लगातार दो बार विधायक बने।
इस तरह नबीनगर हमेशा से ही राजनीतिक रूप से हॉट सीट रही है, जहां जातीय समीकरण और प्रत्याशियों की लोकप्रियता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
पिछले चुनावों के परिणाम
2020 विधानसभा चुनाव: RJD के विजय कुमार सिंह ने JDU के वीरेंद्र कुमार सिंह को 20,121 वोटों के अंतर से हराया। विजय कुमार को कुल 64,943 वोट मिले। JDU के वीरेंद्र कुमार सिंह को 44,822 वोट मिले। तीसरे नंबर पर RJD से निष्कासित या अन्य प्रत्याशी रहे, जैसे धर्मेंद्र कुमार जिन्हें 23,490 वोट मिले।
2015 विधानसभा चुनाव: JDU के वीरेंद्र कुमार सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्हें 42,035 वोट मिले, जबकि BJP के गोपाल नारायण सिंह दूसरे नंबर पर रहे। निर्दलीय प्रत्याशी विजय कुमार सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे।
2025 चुनाव की संभावनाएं
- इस बार नबीनगर विधानसभा सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो सकता है।
- RJD और CPI(ML)(L) का मजबूत आधार है।
- BJP-नीत NDA आज अधिक एकजुट दिखाई दे रही है, लेकिन नबीनगर में उनकी राह आसान नहीं है।
- नई पार्टी जनसुराज, जिसे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने तैयार किया है, भी इस बार अपना दांव आजमा रही है।
- आरजेडी से निष्कासित तेज प्रताप यादव भी चुनाव में सक्रिय हैं और जनता के बीच खुद को मजबूत उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस सीट पर राजपूत, यादव और रविदास वोटर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। जातीय समीकरण और प्रत्याशी की लोकप्रियता 2025 में निर्णायक साबित हो सकती है।