बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में नवजात बच्ची के जन्म के साथ आरती कुमारी और अंकित का तीन साल पुराना प्रेम विवाह में बदल गया। अस्पताल में परिजनों की मौजूदगी में अंकित ने आरती की मांग में सिंदूर भरा।
बिहारशरीफ: बिहार के बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में गुरुवार को एक अनोखा नजारा देखने को मिला। आरती कुमारी ने नवजात बच्ची को जन्म दिया और इस जन्म ने उसके और अंकित के तीन साल पुराने प्रेम संबंध को नई दिशा दी। अस्पताल में ही अंकित ने आरती की मांग में सिंदूर भरकर शादी कर ली, जिससे परिवारों के बीच पुराने मतभेद भी मिट गए।
तीन साल पुरानी प्रेम कहानी को मिला नया मोड़
आरती कुमारी और अंकित का प्रेम संबंध करीब तीन साल पुराना है। दोनों ने अपने परिवारों से यह रिश्ता छुपाकर रखा था। हालात ऐसे बने कि आरती गर्भवती हो गई। उसने अपने प्रेमी से शादी करने की जिद की, लेकिन अंकित पारिवारिक दबाव और समाज के डर से पीछे हट गया।
आरती ने हार नहीं मानी और ठान लिया कि वह अपने बच्चे को जन्म देगी। प्रसव के दौरान उसकी चिंता का कारण केवल बच्ची का स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उसके और अंकित के भविष्य को लेकर अनिश्चितता भी थी।
अस्पताल में नवजात बच्ची ने बदली प्रेम कहानी कहानी
गुरुवार को जब आरती ने बच्ची को जन्म दिया, तो सदर अस्पताल का माहौल बदल गया। नवजात की किलकारियों ने प्रेम और चिंता दोनों का मिश्रण सामने ला दिया। अंकित को जैसे ही यह खबर मिली, वह घर भागा और परिवार को बताया कि बच्ची उसकी है और आरती उसकी पत्नी बनने की हकदार है।
परिवार पहले सकते में था, लेकिन अंकित की जिद और सच्चाई ने सबको पिघला दिया। इस नन्ही जान ने प्रेम को वास्तविकता में बदलने का काम किया। अस्पताल का माहौल तालियों और उत्साह से गूंज उठा।
अस्पताल में नवजात ने प्रेम को विवाह में बदला
अस्पताल में ही अंकित ने आरती के सामने अपनी भावनाओं का इज़हार किया और कहा, “अब और गलती नहीं… आज से तुम मेरी पत्नी हो।” इसके बाद उसने आरती की मांग में सिंदूर भरा। इस पल ने अस्पताल की दीवारों पर एक यादगार फिल्मी दृश्य को वास्तविकता में बदल दिया।
परिवार, रिश्तेदार और अस्पताल का स्टाफ इस दृश्य को देख कर भावुक हो गया। नवजात बच्ची की मासूम मुस्कान के बीच यह विवाह समारोह प्रेम की जीत का प्रतीक बन गया।
परिवारों के बीच मिटे पुराने मतभेद
इस घटना ने दोनों परिवारों के बीच पुराने मतभेद भी मिटा दिए। पहले जहां परिवार आरती और अंकित के प्रेम संबंध के विरोध में थे, वहीं अब उन्होंने इसे स्वीकार किया और नवजात बच्ची का स्वागत किया।
आरती की दृढ़ता और नवजात की खुशियों ने समाज के कई रूढ़िवादी दृष्टिकोणों को चुनौती दी। इस घटना को देखकर कई लोग इसे बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में एक ऐतिहासिक प्रेम और पारिवारिक मेलजोल का उदाहरण मान रहे हैं।