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Boeing Starliner पर लगा ब्रेक, जानिए क्यों 2026 तक ठप रहेंगे क्रू लॉन्च

Boeing Starliner पर लगा ब्रेक, जानिए क्यों 2026 तक ठप रहेंगे क्रू लॉन्च

नासा और बोइंग के ज्वाइंट प्रोजेक्ट स्टारलाइनर को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। नासा ने घोषणा की है कि बोइंग CST-100 स्टारलाइनर को 2026 तक के लिए ग्राउंड कर दिया गया है। यानी, अब यह क्रू मिशन के लिए उड़ान नहीं भरेगा। जून 2024 में इसके क्रू टेस्ट के दौरान कई गंभीर तकनीकी समस्याएं सामने आई थीं, जिसके बाद नासा ने यह फैसला लिया।

पिछले साल मिशन के दौरान आईं थीं दिक्कतें

बोइंग स्टारलाइनर पिछले साल एक अहम मिशन पर गया था, जिसमें भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स समेत अन्य एस्ट्रोनॉट्स शामिल थे। ये मिशन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए था। लेकिन मिशन के दौरान अचानक कैप्सूल में दिक्कत आ गई और इसे वापस लाना पड़ा। तब नासा ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए फैसला लिया कि एस्ट्रोनॉट्स को ISS पर ही रहने दिया जाए और कैप्सूल को बिना क्रू के धरती पर भेजा जाए।

हीलियम लीकेज और थ्रस्टर फेलियर बने परेशानी की जड़

बोइंग स्टारलाइनर की तकनीकी खराबी का सबसे बड़ा कारण था हीलियम गैस का रिसाव। नासा के मुताबिक, फ्लाइट टेस्ट के दौरान कैप्सूल के अंदर से लगातार हीलियम लीक हो रहा था। इसके अलावा, थ्रस्टर यानी कंट्रोल इंजन में भी खराबी पाई गई। 28 में से 5 कंट्रोल थ्रस्टर ने काम करना बंद कर दिया था, जिससे कैप्सूल को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया था।

फ्लाइट के बाद बढ़ा रिसर्च और सुधार का काम

इस हादसे के बाद नासा और बोइंग ने संयुक्त रूप से जांच शुरू की। हर एक सिस्टम को दोबारा चेक किया गया और डिटेल में रिपोर्ट तैयार की गई। लेकिन जांच के दौरान कई और खामियां सामने आईं। स्टारलाइनर के कई कंपोनेंट्स में सुधार की जरूरत बताई गई। इसमें सॉफ्टवेयर से लेकर हार्डवेयर तक, हर हिस्से में तकनीकी बदलाव की आवश्यकता महसूस की गई।

बिना क्रू के की जाएगी अगली उड़ान

नासा के अधिकारीयों के अनुसार, अब जब तक बोइंग स्टारलाइनर की सभी तकनीकी खामियां दूर नहीं हो जातीं, तब तक उसे मानव मिशन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। अगली टेस्ट फ्लाइट में इसे बिना क्रू के भेजा जाएगा। अगर यह उड़ान पूरी तरह से सफल होती है, तभी इसे दोबारा इंसानों के लिए मंजूरी दी जाएगी।

2026 तक लग सकता है सुधार में समय

अभी की स्थिति को देखते हुए नासा का मानना है कि स्टारलाइनर को पूरी तरह दुरुस्त करने में 2026 तक का समय लग सकता है। इसमें नए पुर्जों की टेस्टिंग, सिस्टम अपग्रेड और फुल-स्केल सिमुलेशन जैसी कई तकनीकी प्रक्रियाएं शामिल हैं। साथ ही, सुरक्षा मानकों को लेकर भी कई बार रिव्यू किया जाएगा।

बोइंग की स्पेस यात्रा में फिर अड़चन

बोइंग लंबे समय से नासा के साथ मिलकर स्पेस मिशन में सक्रिय है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में स्टारलाइनर प्रोजेक्ट में लगातार देरी और तकनीकी गड़बड़ियों ने इस मिशन की साख पर असर डाला है। इससे पहले भी इस स्पेस कैप्सूल की कुछ टेस्ट उड़ानें असफल रही थीं। अब इस ताजा घटनाक्रम ने कंपनी की स्पेस यात्रा को फिर से पटरी से उतार दिया है।

नासा की सुरक्षा प्राथमिकता में कोई समझौता नहीं

नासा के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसी कारण किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। भले ही एक प्रोजेक्ट में देरी हो, लेकिन जब तक सभी पहलुओं से सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल जाती, तब तक मानव मिशन को अनुमति नहीं दी जाएगी।

स्पेसक्राफ्ट का भविष्य टेस्ट पर निर्भर

अब स्टारलाइनर का अगला ट्रायल बिना क्रू के किया जाएगा। नासा की योजना है कि सभी सिस्टम्स की टेस्टिंग के बाद उसे 2025 के अंत तक या 2026 की शुरुआत में एक बार फिर स्पेस में भेजा जाए। यह ट्रायल ही तय करेगा कि भविष्य में यह क्रू मिशन के लिए दोबारा उपयोग किया जाएगा या नहीं।

नासा और बोइंग का सहयोग जारी रहेगा

हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद नासा और बोइंग का रिश्ता बना रहेगा। दोनों संस्थाएं मिलकर आने वाले वर्षों में स्टारलाइनर को एक भरोसेमंद स्पेस व्हीकल बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। जब तक तकनीकी खामियां पूरी तरह से दूर नहीं हो जातीं, तब तक यह प्रोजेक्ट अपनी उड़ान नहीं भरेगा।

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