चीन के तियानजिन में SCO समिट 2025 की शुरुआत हो चुकी है। पीएम मोदी, पुतिन और चिनफिंग मंच पर साथ आए। आतंकवाद, आर्थिक सहयोग और यूक्रेन संकट पर चर्चा हुई। चीन ने सदस्य देशों को 281 मिलियन डॉलर की ग्रांट देने की घोषणा की।
SCO Summit: चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट की शुरुआत हो चुकी है। इस बार का समिट कई मायनों में खास है क्योंकि इसमें भारत, रूस और चीन के नेता एक साथ नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय चीन की यात्रा पर हैं और उनका संबोधन इस समिट का मुख्य आकर्षण है। पूरी दुनिया की नजरें इस समिट पर टिकी हैं, खासकर पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात पर।
इस समिट में तीनों नेता - भारत के पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन—एक साथ मंच साझा कर रहे हैं, जिसे एशिया की बड़ी कूटनीतिक डिप्लोमेसी माना जा रहा है।
चीनी राष्ट्रपति का उद्घाटन भाषण
समिट की शुरुआत चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने कहा कि 24 साल पहले जब SCO की स्थापना हुई थी, तब से ही संगठन ने शंघाई स्पिरिट की नींव रखी थी। यह भावना आपसी विश्वास, बराबरी, परामर्श, विभिन्न संस्कृतियों के सम्मान और साझा विकास पर आधारित है।
शी जिनपिंग ने याद दिलाया कि SCO ही वह मंच है जिसने सीमा क्षेत्रों में सैन्य विश्वास-निर्माण के तंत्र को मजबूत किया। इसके चलते सीमाएं न केवल सुरक्षित हुईं, बल्कि आपसी सहयोग और मित्रता के बंधन भी मजबूत हुए। उन्होंने यह भी कहा कि SCO आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ बहुपक्षीय कार्रवाई करने वाला पहला संगठन रहा है, जिसने कानून और सुरक्षा सहयोग में अहम भूमिका निभाई है।
281 मिलियन डॉलर की ग्रांट का एलान
उद्घाटन भाषण के दौरान चीन के राष्ट्रपति ने एक बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि इस साल चीन, SCO के सदस्य देशों को 281 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ग्रांट देगा। यह आर्थिक मदद सदस्य देशों की विकास योजनाओं और आपसी सहयोग को मजबूत बनाने में इस्तेमाल होगी। माना जा रहा है कि यह फंडिंग ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यापार जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने में मदद करेगी।
पीएम मोदी का संबोधन और भारत का रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SCO समिट में पहुंचकर पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने सदस्य देशों को संबोधित करना शुरू किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आतंकवाद, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय शांति पर भारत का रुख साफ किया। उन्होंने यह संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है और इस मुद्दे पर किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि SCO को आपसी व्यापार को बढ़ावा देने और स्थानीय करेंसी में लेन-देन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने विकास और सुरक्षा को साथ लेकर चलने की जरूरत पर जोर दिया।
मोदी-पुतिन की अहम मुलाकात
SCO समिट के दौरान पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी रहीं। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, ऊर्जा सहयोग, रक्षा साझेदारी और यूक्रेन संकट पर खुलकर बातचीत की। सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान जरूरी है और इसके लिए बातचीत का रास्ता अपनाना ही एकमात्र विकल्प है।
तीन दिग्गज नेता एक मंच पर
SCO समिट में भारत, रूस और चीन के नेता एक साथ मंच पर नजर आए। पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की यह मुलाकात एशिया की डिप्लोमेसी के लिए एक अहम पल माना जा रहा है। तीनों नेताओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जहां उन्हें गर्मजोशी से बातचीत करते और हंसते हुए देखा गया। यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि एशिया के ये तीन बड़े देश क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं।
भारत के लिए समिट का महत्व
SCO समिट भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। यह न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा का मंच है, बल्कि व्यापार, ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी पर भी सहयोग बढ़ाने का अवसर देता है। भारत इस समिट के जरिए अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने और एशिया में अपनी भूमिका को और स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा है।