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छिंदवाड़ा जहरीला कफ सिरप केस, श्रीसन फार्मा की केमिकल एनालिस्ट 3 दिन की रिमांड पर

छिंदवाड़ा जहरीला कफ सिरप केस, श्रीसन फार्मा की केमिकल एनालिस्ट 3 दिन की रिमांड पर

छिंदवाड़ा जहरीले कफ सिरप मामले में श्रीसन फार्मा की केमिकल एनालिस्ट माहेश्वरी को तीन दिन की रिमांड पर लिया गया। एसआईटी तमिलनाडु में कंपनी के रिकॉर्ड और सिरप निर्माण प्रक्रिया की जांच कर रही है। अब तक 26 बच्चों की मौत हुई।

छिंदवाड़ा: बच्चों की मौत का कारण बने जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामले में नया मोड़ आया है। एसआईटी ने सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मा की केमिकल एनालिस्ट माहेश्वरी को गिरफ्तार कर तीन दिन की रिमांड पर लिया है। अब उससे सिरप निर्माण प्रक्रिया, गुणवत्ता परीक्षण और कंपनी के आंतरिक दस्तावेजों के बारे में पूछताछ की जा रही है।

सिरप मामले में गंभीर लापरवाही का आरोप

सूत्रों के अनुसार, माहेश्वरी की जिम्मेदारी थी कि बच्चों के लिए तैयार किए गए सिरप की गुणवत्ता पूरी तरह से जांची जाए। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि उसने या तो मानक प्रक्रिया का पालन नहीं किया या जानबूझकर लापरवाही बरती। इस वजह से जहरीला सिरप बाजार में पहुंच गया। इस सिरप के सेवन से छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट जिलों में अब तक 26 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो चुकी है।

एसआईटी ने बताया कि सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और इथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे औद्योगिक रसायन पाए गए, जो मेडिकल उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं हैं। प्रारंभिक जांच में यह भी संकेत मिले कि कंपनी ने लागत कम करने के लिए मानक के विपरीत सस्ते रसायनों का इस्तेमाल किया।

पूछताछ में मिली जहरीले सिरप की अहम जानकारी

माहेश्वरी ने प्रारंभिक पूछताछ में कई तकनीकी जानकारियां दी हैं, जिससे जांच का दायरा बढ़ गया है। एसआईटी यह पता लगाने में जुटी है कि क्या कंपनी के मालिक रंगनाथन को इस लापरवाही की जानकारी थी या नहीं। इसके अलावा टीम यह भी जांच कर रही है कि जहरीले सिरप की खेप किन राज्यों में सप्लाई हुई और किसने टेस्टिंग सर्टिफिकेट को मंजूरी दी।

एसआईटी का एक हिस्सा तमिलनाडु में कंपनी के कार्यालय, ड्रग टेस्टिंग लैब और सप्लाई चेन नेटवर्क के दस्तावेज, ईमेल और कर्मचारियों के बयान जुटा रहा है। इससे सप्लाई चैन और उत्पादन प्रक्रिया की पूरी जानकारी मिलने की उम्मीद है।

सिरप मामले में होलसेलर और रिटेलर गिरफ्तार

सिरप के होलसेलर और रिटेलर को दो दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया था। रिमांड खत्म होने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया। पूछताछ में पुलिस को सप्लाई चैन और स्टॉक वितरण से जुड़े कई दस्तावेज मिले, जिन्हें जब्त कर आगे की जांच की जा रही है।

अधिकारियों का कहना है कि यह केवल फैक्ट्री या एक बैच की गलती नहीं है, बल्कि इसके पीछे बड़े स्तर पर लापरवाही और आर्थिक लाभ की साजिश की संभावना है। आने वाले दिनों में कंपनी मालिक रंगनाथन और अन्य प्रबंधकीय अधिकारी भी गिरफ्तारी की जद में आ सकते हैं।

प्रभावित परिवार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस जहरीली गलती से प्रभावित परिवारों में गहरा रोष बना हुआ है। परिजन चाहते हैं कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में बच्चों की औषधियों की रैंडम जांच शुरू कर दी है, ताकि किसी अन्य जिले में ऐसा हादसा दोबारा न हो। प्रशासन ने भी चेतावनी दी है कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

एसआईटी और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से उम्मीद है कि जल्द ही पूरे मामले का पर्दाफाश होगा और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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