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Core Sector Update: सितंबर में कोर सेक्टर ग्रोथ सिर्फ 3%, 3 महीने में न्यूनतम स्तर

Core Sector Update: सितंबर में कोर सेक्टर ग्रोथ सिर्फ 3%, 3 महीने में न्यूनतम स्तर

सितंबर 2025 में भारत के आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 3% रही, जो पिछले तीन महीनों का सबसे निचला स्तर है। कोयला, क्रूड ऑयल, रिफाइनरी उत्पाद और नेचुरल गैस के उत्पादन में गिरावट के कारण यह सुस्ती आई। स्टील और बिजली में वृद्धि रही, जबकि उर्वरक और सीमेंट का उत्पादन धीमा रहा।

Core sector growth: भारत के आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि सितंबर 2025 में सालाना आधार पर 3% रही, जो पिछले तीन महीनों का सबसे निचला स्तर है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कोयला, क्रूड ऑयल, रिफाइनरी उत्पाद और नेचुरल गैस के उत्पादन में गिरावट के कारण यह सुस्ती आई। उर्वरक और सीमेंट का उत्पादन भी धीमा हुआ, जबकि स्टील और बिजली में क्रमशः 14.1% और 2.1% की वृद्धि दर्ज की गई। इन उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 40.27% योगदान है, जिससे आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।

अगस्त की तुलना में गिरावट

अगस्त 2025 में इन प्रमुख उद्योगों का उत्पादन 6.5 प्रतिशत बढ़ा था। वहीं, पिछले साल सितंबर में यह वृद्धि केवल 2.4 प्रतिशत दर्ज की गई थी। इस साल सितंबर में तीन फीसदी की वृद्धि दर्शाती है कि कोर सेक्टर में हाल के महीनों में मंदी का असर देखने को मिल रहा है।

गिरावट के प्रमुख कारण

इस वर्ष सितंबर में कोयला, क्रूड ऑयल, रिफाइनरी उत्पाद और नेचुरल गैस के उत्पादन में गिरावट ने वृद्धि दर को दबाया। इसके अलावा, उर्वरक और सीमेंट का उत्पादन भी धीमा रहा। उर्वरक का उत्पादन इस महीने में 1.6 प्रतिशत और सीमेंट का 5.3 प्रतिशत रहा। तुलना के लिए, सितंबर 2024 में यह क्रमशः 1.9 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत था।

हालांकि, स्टील और बिजली के उत्पादन में सालाना आधार पर सुधार देखा गया। सितंबर में स्टील का उत्पादन 14.1 प्रतिशत और बिजली का 2.1 प्रतिशत बढ़ा। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि कुछ उद्योगों में मजबूती है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में मंदी ने वृद्धि को सीमित किया।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में गिरावट

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर गिरकर 2.9 प्रतिशत पर आ गई। पिछली वर्ष की समान अवधि में यह 4.3 प्रतिशत दर्ज की गई थी। यह गिरावट संकेत देती है कि औद्योगिक गतिविधियों में धीमापन जारी है और आर्थिक पुनरुद्धार अपेक्षित गति से नहीं हो रहा है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पर प्रभाव

इन आठ बुनियादी उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। IIP में शामिल वस्तुओं के भार में इन उद्योगों का योगदान 40.27 प्रतिशत है। इसका अर्थ है कि कोर सेक्टर में कमी सीधे तौर पर देश के औद्योगिक उत्पादन पर असर डालती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कोर सेक्टर की वृद्धि में सुस्ती से IIP की मासिक और वार्षिक वृद्धि दर प्रभावित हो सकती है। यह औद्योगिक गतिविधियों की मजबूती और आर्थिक विकास की गति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है।

कोर सेक्टर पर मिश्रित प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, कोर सेक्टर की वृद्धि में सुधार के लिए उत्पादन में स्थिरता और मांग में सुधार आवश्यक है। कोयला, क्रूड ऑयल और रिफाइनरी उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि आने वाले महीनों में कोर सेक्टर ग्रोथ को प्रभावित कर सकती है।

स्टील और बिजली जैसे प्रमुख उद्योगों की मजबूती से यह संकेत मिलता है कि कुछ क्षेत्रों में उत्पादन क्षमता बनी हुई है। वहीं उर्वरक और सीमेंट जैसे सेक्टरों में धीमी वृद्धि से कुल कोर सेक्टर पर दबाव बना हुआ है।

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