दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक 114 वर्षीय फौजा सिंह का अंतिम संस्कार 20 जुलाई को दोपहर 12:00 बजे उनके गांव के शमशान घाट में किया जाएगा। इस संबंध में जानकारी उनके बेटे हरविंदर सिंह सुक्खा ने दी है।
पंजाब: दुनिया के सबसे बुजुर्ग और मशहूर मैराथन धावक फौजा सिंह (Fauja Singh) के निधन के बाद अब उनके अंतिम संस्कार की तारीख तय हो गई है। 114 वर्षीय फौजा सिंह का अंतिम संस्कार 20 जुलाई 2025, दोपहर 12 बजे उनके पैतृक गांव ब्यास पिंड के श्मशान घाट में किया जाएगा। यह जानकारी उनके बेटे हरविंदर सिंह सुक्खा ने दी है।
बेटे हरविंदर सिंह के मुताबिक, अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कनाडा और इंग्लैंड से फौजा सिंह के करीबी रिश्तेदार भारत पहुंच चुके हैं। चूंकि पूरा परिवार चाहता था कि सभी करीबी और प्रियजन इस अंतिम विदाई में शामिल हों, इसी वजह से अंतिम संस्कार में कुछ दिनों की देरी हुई।
दुर्घटना में हुआ निधन
14 जुलाई को जब फौजा सिंह दोपहर के समय अपने गांव ब्यास पिंड के पास पठानकोट-जालंधर नेशनल हाईवे पर रोज की तरह टहलने निकले थे, तभी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। इस हादसे में फौजा सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। पंजाब पुलिस ने तेज रफ्तार कार के चालक को वाहन सहित हिरासत में ले लिया है और मामले की कानूनी कार्रवाई जारी है।
जालंधर ग्रामीण जिले के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) डॉ. हिमांशु अग्रवाल स्वयं फौजा सिंह के घर पहुंचे और उनके परिवार से मुलाकात की। उन्होंने परिवार को हरसंभव सहायता का आश्वासन देते हुए कहा, फौजा सिंह जैसे प्रेरणास्त्रोत का जाना न केवल पंजाब के लिए, बल्कि दुनियाभर में बसे लाखों पंजाबी और खेलप्रेमियों के लिए गहरा आघात है।
प्रशासन इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़ा है। फौजा सिंह के निधन से पंजाब के साथ-साथ ब्रिटेन, कनाडा और दुनियाभर में फैले पंजाबी समुदाय में भी शोक की लहर है।
क्यों हुई अंतिम संस्कार में देरी? बेटे ने बताया कारण
फौजा सिंह के बेटे हरविंदर सिंह सुक्खा ने मीडिया को बताया कि परिवार की इच्छा थी कि अंतिम संस्कार में हमारे सभी नजदीकी रिश्तेदार और मित्र शामिल हो सकें। कनाडा और इंग्लैंड में बसे कई रिश्तेदार अंतिम दर्शन के लिए आ रहे थे, इसलिए थोड़ा समय लग गया। अब सभी के आने के बाद 20 जुलाई को अंतिम संस्कार होगा।
फौजा सिंह ने अपने जीवन में जो मुकाम हासिल किया, वह आज के युवाओं के लिए भी मिसाल है। उन्होंने 90 साल की उम्र में मैराथन दौड़ना शुरू किया था और 100 साल की उम्र में लंदन मैराथन को पूरा कर दुनियाभर में पहचान बनाई थी। उनके नाम दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक का खिताब है। वह ब्रिटेन, कनाडा, भारत सहित कई देशों में दौड़ कर फिटनेस और हौसले की मिसाल बने रहे। फौजा सिंह के जज्बे और सेहत को देखकर उन्हें "टर्बन टॉर्नेडो" नाम भी दिया गया था।