पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कई परिवारों में यह परंपरा है कि दिवाली के दिन सूरन की सब्जी ज़रूर बनाई जाए।
मान्यता है कि सूरन को काटने के बाद भी मिट्टी में कुछ हिस्सा बच जाता है, जिससे आगे नया पौधा निकल आता है — यह निरंतरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
यह माना जाता है कि जैसे सूरन कभी जल्दी खराब नहीं होता, वैसे ही घरपरिवार में समृद्धि और अच्छी सेहत बनी रहे।
स्वास्थ्य लाभ
सूरन में फ़ाइबर, विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो पाचन को बेहतर करते हैं, भूख को नियंत्रित करते हैं और वजन घटाने में मददगार हो सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, यह मंदाग्नि (कमज़ोर पाचन शक्ति) को सुधारने में, गैसअपच जैसी समस्याओं को कम करने में उपयोगी है।
इसके अतिरिक्त, सूरन का सेवन दिलस्वास्थ्य, ब्लडशुगर नियंत्रण तथा रोगप्रतिरोधक क्षमता के लिए भी लाभदायक माना जाता है।
क्यों दिवाली पर विशेष?
दिवाली के समय लोग पारंपरिक व्यंजन तैयार करते हैं और शुभसमृद्धि के प्रतीक की तलाश करते हैं — सूरन अपनी विशेष प्रकृति (कटने के बाद भी उगने वाली जड़) के कारण इस अवसर के लिए उपयुक्त माना जाता है।
कुछ सावधानियाँ
सूरन को अच्छी तरह पकाना ज़रूरी है, क्योंकि कच्चा या अधपका सूरन गले में जलन या खुजली पैदा कर सकता है।
यदि किसी को पाचन संबंधी गंभीर समस्या है या गर्भवती महिला हैं, तो चिकित्सकीय सलाह लेना बेहतर होगा।