अफगानिस्तान में एक बार फिर धरती हिली। गुरुवार को 4.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। इससे पहले रविवार को आए 6.0 तीव्रता वाले भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। अब तक 1411 लोगों की मौत और 3250 से ज्यादा घायल हो चुके हैं।
Earthquake in Afghanistan: अफगानिस्तान पिछले कुछ दिनों से लगातार भूकंप के झटके झेल रहा है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार गुरुवार सुबह 10:40 बजे 4.8 तीव्रता का भूकंप आया। यह झटका 135 किलोमीटर गहराई में दर्ज किया गया। इससे पहले बुधवार रात 4.3 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी गहराई सिर्फ 10 किलोमीटर थी।
मंगलवार को दक्षिण-पूर्वी हिस्से में 5.5 तीव्रता का झटका आया था और रविवार को जलालाबाद में 6.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। लगातार आफ्टरशॉक्स से लोग अब घरों के भीतर जाने से भी डर रहे हैं।
रविवार का सबसे बड़ा झटका
रविवार को आया 6.0 तीव्रता का भूकंप सबसे ज्यादा विनाशकारी साबित हुआ। ज्यादातर लोग उस समय गहरी नींद में थे। अचानक धरती हिलने से इमारतें भरभराकर गिर गईं और सैकड़ों लोग मलबे में दब गए। यही वजह है कि मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता चला गया।
मौत और तबाही का आंकड़ा
अब तक 1411 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। घायलों की संख्या 3250 से ज्यादा है। 1372 मवेशी भी मारे गए हैं। हजारों घर ढह गए, सड़कें टूटीं और पुल बह गए। पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन के कारण राहत और बचाव टीमों को पहुंचने में परेशानी हो रही है।
क्यों खतरनाक होते हैं उथले भूकंप
विशेषज्ञ बताते हैं कि कम गहराई यानी उथले भूकंप गहरे भूकंपों से ज्यादा खतरनाक होते हैं। इसकी वजह यह है कि सतह तक पहुंचने वाली भूकंपीय तरंगें ज्यादा तेज होती हैं। जमीन ज्यादा हिलती है और इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। अफगानिस्तान में कई झटके 10 किलोमीटर जैसी कम गहराई पर आए, जिससे नुकसान और बढ़ गया।
राहत और बचाव में जुटी एजेंसियां
खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) ने अफगानिस्तान के कुनार और नंगरहार प्रांतों में आपातकालीन सहायता भेजी है। शुरुआती सहायता में खाद्य सामग्री और हाई-एनर्जी बिस्किट शामिल हैं। आगे और राहत सामग्री व कर्मचारी भेजने के लिए अतिरिक्त उड़ानों की व्यवस्था की जा रही है।
WFP के क्षेत्रीय निदेशक हैराल्ड मैनहार्ड्ट ने कहा कि हालात बेहद भयावह हैं। उनके मुताबिक, "घर मलबे में बदल गए हैं, सड़कें टूट गई हैं, हर तरफ भूस्खलन हुआ है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हमारी टीमें लगातार बचाव कार्य में जुटी हैं, लेकिन जरूरतें इतनी ज्यादा हैं कि और मदद की आवश्यकता है।"
लगातार आफ्टरशॉक्स से मुश्किल
राहत और बचाव कार्य आसान नहीं है। लगातार आफ्टरशॉक्स आ रहे हैं, जिससे पहले से कमजोर इमारतें और गिरने का खतरा बढ़ गया है। कई गांवों तक पहुंचने के लिए सड़कें टूटी हुई हैं। पहाड़ी इलाके होने की वजह से हेलिकॉप्टरों की मदद ली जा रही है।
भारत ने भेजी आपात सहायता
भारत भी इस आपदा की घड़ी में अफगानिस्तान के साथ खड़ा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जानकारी दी कि भारत ने काबुल के लिए 21 टन राहत सामग्री भेजी है। इसमें कंबल, टेंट, स्वच्छता किट, पोर्टेबल वाटर प्यूरीफायर, दवाएं, स्लीपिंग बैग, किचन आइटम, जनरेटर और अन्य जरूरी सामान शामिल हैं।
भारत की यह मदद अफगानिस्तान के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सैकड़ों लोग बेघर हो चुके हैं और उन्हें तुरंत शरण और भोजन की जरूरत है।
तबाही का मंजर
भूकंप से प्रभावित इलाकों का नजारा दिल दहला देने वाला है। जगह-जगह ढही हुई इमारतें, टूटी सड़कें और मलबे में दबे घर दिखाई दे रहे हैं। कई लोग अब भी अपने परिजनों की तलाश कर रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित जगह ले जाया जा रहा है।