महाराष्ट्र में बढ़ते भाषा विवाद के बीच उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने राज्य में रहने वाले गैर-मराठी भाषी नागरिकों से मराठी भाषा के प्रति सम्मान जताने और इसे सीखने की कोशिश करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में हम रहते हैं, वहां की भाषा के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान सामाजिक सौहार्द के लिए बेहद जरूरी है।
मराठी सीखने से सामाजिक समरसता को मिलेगा बढ़ावा
गुरुवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए अजित पवार ने कहा कि अगर कोई महाराष्ट्र में रहकर अच्छी मराठी नहीं बोल पाता, तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन यदि वह यह दिखाए कि वह मराठी भाषा का सम्मान करता है और इसे सीखने की कोशिश कर रहा है, तो इससे समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि भाषा को लेकर राज्य में जो टकराव का माहौल बन रहा है, उसे कम करने के लिए ऐसे छोटे लेकिन अहम कदम मददगार साबित हो सकते हैं। पवार के मुताबिक, भाषा को सम्मान देने से ना केवल स्थानीय संस्कृति की कद्र होती है, बल्कि आपसी समझ और सहयोग भी मजबूत होता है।
भाषा विवाद ने पकड़ा तूल
अजित पवार की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब महाराष्ट्र में भाषाई मुद्दों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मामला उस समय और गंभीर हो गया जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक भाषण में महाराष्ट्रियों को लेकर “पटक पटक के मारेंगे” जैसी टिप्पणी कर दी। इस पर संसद में हंगामा हुआ और महाराष्ट्र की महिला सांसदों ने विरोध दर्ज कराया। दबाव के बाद दुबे ने अपनी बात वापस ली और “जय महाराष्ट्र” कहकर क्षमा मांगी।
इस विवाद की जड़ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के एक भाषण से जुड़ी है, जिसमें उन्होंने गैर-मराठी लोगों को “डुबो डुबो के मारेंगे” कहकर चेताया था। राज ठाकरे लंबे समय से ‘भूमिपुत्र’ और मराठी पहचान के मुद्दे को लेकर मुखर रहे हैं और अब उन्होंने भाषा को भी अपने एजेंडे में शामिल कर लिया है।
त्रिभाषा नीति भी बना विवाद का कारण
राज्य में भाषा को लेकर बहस उस समय और तेज हो गई जब सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा तक त्रिभाषा नीति लागू करने का निर्णय लिया। इसके तहत मराठी के साथ-साथ हिंदी को भी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया था। इस पर शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे ने एक सुर में विरोध किया।
विपक्ष के दबाव के चलते सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा, लेकिन इस पूरे विवाद ने मराठी और गैर-मराठी समुदायों के बीच तनाव को और गहरा कर दिया। कई जगहों से ऐसी घटनाएं भी सामने आईं जहां मराठी न बोल पाने पर गैर-मराठी नागरिकों के साथ मारपीट की गई।
पवार की अपील
अजित पवार का मानना है कि अगर हम राज्य की भाषा का सम्मान करेंगे और उसे अपनाने की कोशिश करेंगे, तो इससे सामंजस्य का माहौल बनेगा और भाषाई टकराव की स्थिति से बचा जा सकेगा। उन्होंने दोहराया कि भाषा कोई बाध्यता नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और सौहार्द का माध्यम होनी चाहिए।