अगर आप गोल्ड लोन लेकर समय पर उसका भुगतान नहीं करते यानी डिफॉल्ट करते हैं, तो इसका सीधा असर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। क्रेडिट स्कोर खराब होने की स्थिति में भविष्य में किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
गोल्ड लोन आज के समय में सबसे तेजी से लोकप्रिय होने वाला एक कर्ज विकल्प बन गया है। यह एक सुरक्षित ऋण होता है जिसमें ग्राहक बैंक या एनबीएफसी को सोने की गिरवी रखकर पैसा प्राप्त करता है। इसमें ब्याज दर अपेक्षाकृत कम होती है और लोन जल्दी मंजूर भी हो जाता है। यही वजह है कि आर्थिक संकट या आपात स्थिति में लोग गोल्ड लोन को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन सवाल यह है कि यदि लोन लेकर ग्राहक समय पर EMI नहीं चुका पाए तो क्या होता है? कितनी किश्तें नहीं चुकाने पर बैंक आपका सोना नीलाम कर सकता है? और क्या नीलामी से पहले सोना बचाने का कोई रास्ता है? आइए इन सवालों के जवाब विस्तार से जानते हैं।
गोल्ड लोन में बढ़ती दिलचस्पी
पिछले कुछ वर्षों में खासकर कोरोना महामारी के बाद देश में गोल्ड लोन लेने वालों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। गोल्ड की कीमतें बढ़ने और लोन की त्वरित उपलब्धता ने इसे एक भरोसेमंद कर्ज विकल्प बना दिया है। छोटे व्यापारी, किसान, नौकरीपेशा और यहां तक कि महिलाएं भी गोल्ड लोन लेकर अपनी जरूरतें पूरी कर रही हैं।
गोल्ड लोन नहीं चुकाने पर क्या होता है?
गोल्ड लोन एक सिक्योर्ड लोन होता है जिसमें सोना बैंक के पास गिरवी रहता है। यह बैंक की सुरक्षा भी होती है और एक निश्चित अवधि में लोन चुकाने की जिम्मेदारी ग्राहक की। यदि ग्राहक तय समय पर EMI नहीं चुकाता तो बैंक के पास इस सोने को नीलाम करने का अधिकार होता है।
कब होता है NPA घोषित?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कोई ग्राहक लगातार 90 दिन तक लोन या EMI नहीं चुकाता, तो उसका खाता NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर दिया जाता है। इसका मतलब है कि बैंक को यह लोन मिलने की संभावना बेहद कम मानी जाती है।
नीलामी की प्रक्रिया कैसे शुरू होती है?
खाता NPA घोषित होने के बाद बैंक या वित्तीय संस्था ग्राहक को नोटिस जारी करती है। यह नोटिस आमतौर पर 15 से 30 दिन का समय देता है जिसमें ग्राहक को बकाया राशि जमा करनी होती है। यदि इस समयसीमा के भीतर भी लोन नहीं चुकाया जाता, तो बैंक गोल्ड की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करता है।
नीलामी से पहले बैंक सार्वजनिक सूचना भी देता है और ग्राहक को अंतिम मौका दिया जाता है कि वह नीलामी से पहले बकाया राशि चुका दे।
नीलामी से क्या नुकसान होता है?
नीलामी से ग्राहक का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि वह अपनी जमा पूंजी यानी सोना खो देता है। इसके अलावा, इस डिफॉल्ट का असर ग्राहक के क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ता है। कम क्रेडिट स्कोर भविष्य में किसी भी प्रकार के लोन या क्रेडिट सुविधा प्राप्त करने में बाधा बनता है। बैंक और वित्तीय संस्थान ऐसे ग्राहकों को जोखिम भरा मानते हैं और उन्हें लोन देने से कतराते हैं।
क्या सोने की नीलामी को टाला जा सकता है?
हां, यदि आप समय रहते सावधानी बरतें तो नीलामी को रोका जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं
- लोन रिस्ट्रक्चरिंग का विकल्प चुनें: यदि आप किसी आर्थिक या पारिवारिक संकट के कारण EMI नहीं चुका पा रहे हैं, तो बैंक से संपर्क करें और उन्हें स्थिति स्पष्ट करें। बैंक आपकी स्थिति को समझकर लोन रिस्ट्रक्चरिंग यानी पुनर्निर्धारण की सुविधा दे सकता है। इसमें EMI की राशि कम की जा सकती है या भुगतान की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
- आंशिक भुगतान करें: अगर आप पूरी रकम नहीं चुका सकते, तो कम से कम आंशिक भुगतान जरूर करें। इससे बैंक को यह संकेत मिलता है कि आप भुगतान को लेकर गंभीर हैं और नीलामी की प्रक्रिया को कुछ समय के लिए रोका जा सकता है।
- लोन ट्रांसफर करें: यदि आपको लगता है कि मौजूदा बैंक से EMI चुकाना कठिन हो रहा है तो आप किसी दूसरे बैंक में गोल्ड लोन ट्रांसफर करवा सकते हैं। कई बार अन्य बैंक कम ब्याज दर और बेहतर भुगतान शर्तों के साथ नया लोन ऑफर करते हैं।
- परिवार या दोस्तों से मदद लें: नीलामी से बचने के लिए आप अस्थायी रूप से दोस्तों या रिश्तेदारों से आर्थिक मदद ले सकते हैं और बकाया चुकाकर अपना सोना बचा सकते हैं।
- गोल्ड लोन की शर्तों को समझें: लोन लेने से पहले ही उसकी सभी शर्तों को ध्यान से पढ़ें और समझें। नीलामी की स्थिति कब आती है, EMI चुकाने में कितनी छूट है, विलंब शुल्क क्या है इन सब बातों की जानकारी पहले ही लेना बेहतर होता है।
गोल्ड लोन लेते समय बरती जाए सावधानी
- केवल जरूरत भर का लोन लें
- EMI चुकाने के लिए आय का आकलन सही करें
- ब्याज दर और प्रोसेसिंग फीस की तुलना अलग-अलग बैंकों में करें
- समय पर भुगतान करने की योजना बनाएं
- ऑटो-डेबिट या रिमाइंडर अलर्ट लगवाएं