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हेल्थ इंश्योरेंस पर अब नहीं चलेगी कंपनियों की मनमानी? IRDAI करेगा कंट्रोल

हेल्थ इंश्योरेंस पर अब नहीं चलेगी कंपनियों की मनमानी? IRDAI करेगा कंट्रोल

IRDAI स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर सालाना वृद्धि की सीमा तय करने की तैयारी में है। इससे बीमा कंपनियां मेडिकल महंगाई के अनुसार ही प्रीमियम बढ़ा सकेंगी। अभी केवल वरिष्ठ नागरिकों के लिए 10% कैप है, लेकिन जल्द ही सभी ग्राहकों पर यह नियम लागू हो सकता है, ताकि उपभोक्ताओं पर अचानक बढ़ते खर्च का बोझ कम हो।

Health Insurance: भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) अब स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम की सालाना बढ़ोतरी पर नियंत्रण लगाने की योजना बना रहा है। जल्द ही इस पर एक परामर्श पत्र जारी होगा, जिसमें बीमा कंपनियों, उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सुझाव मांगे जाएंगे। फिलहाल केवल वरिष्ठ नागरिकों के प्रीमियम में 10% तक की वार्षिक वृद्धि की सीमा है, लेकिन भविष्य में यह नियम सभी पॉलिसीधारकों पर लागू हो सकता है। कोविड के बाद बढ़ी चिकित्सा लागत और बीमा कंपनियों की निर्भरता को देखते हुए यह कदम उपभोक्ताओं को राहत देने और उद्योग को टिकाऊ बनाए रखने की कोशिश है।

क्यों उठाना पड़ा यह कदम

अभी तक की स्थिति में देखा गया है कि कई बीमा कंपनियां शुरुआत में कम प्रीमियम पर पॉलिसी देती हैं। लेकिन कुछ साल बाद अचानक बड़ी वृद्धि कर देती हैं। इस कारण ग्राहकों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है और उनके पास विकल्प भी बहुत कम रह जाते हैं। फिलहाल केवल वरिष्ठ नागरिकों के मामले में सालाना प्रीमियम वृद्धि पर सीमा तय है। वहां 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी की अनुमति नहीं है। लेकिन बाकी ग्राहकों के लिए अभी तक कोई साफ नियम मौजूद नहीं है।

क्या होगा नया नियम

IRDAI की नई सोच यह है कि बीमा कंपनियां हर साल प्रीमियम में उतनी ही वृद्धि करें जितनी मेडिकल महंगाई दर है। यानी अगर अस्पतालों और दवाओं की कीमतें किसी साल 6 प्रतिशत बढ़ती हैं तो बीमा कंपनियां प्रीमियम में उससे ज्यादा वृद्धि नहीं कर पाएंगी। यह सीमा सिर्फ किसी एक पॉलिसी पर ही नहीं बल्कि बीमा कंपनी के पूरे पोर्टफोलियो पर लागू की जा सकती है।

महामारी के बाद क्यों बढ़ा दबाव

कोविड महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं की लागत तेजी से बढ़ी है। अस्पताल के खर्च, दवाओं की कीमतें और टेस्ट कराने की दरों में लगातार उछाल आया है। इसका सीधा असर बीमा पॉलिसियों पर भी पड़ा। कई कंपनियों ने इसी आधार पर प्रीमियम बढ़ाए। लेकिन उपभोक्ता संगठन लंबे समय से मांग कर रहे थे कि इस पर कोई सीमा तय हो ताकि आम लोग हेल्थ इंश्योरेंस आसानी से जारी रख सकें।

वित्त वर्ष 2025 में बड़ा योगदान

बीमा क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि आने वाले समय में स्वास्थ्य बीमा की भूमिका और ज्यादा बढ़ जाएगी। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 तक सामान्य बीमा प्रीमियम में स्वास्थ्य बीमा का हिस्सा 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। ऐसे में IRDAI के लिए जरूरी हो गया है कि वह कंपनियों और ग्राहकों दोनों के हितों का संतुलन बनाए।

बीमा कंपनियों की कमाई का बड़ा जरिया बना हेल्थ इंश्योरेंस

फिलहाल की स्थिति में देखा जाए तो कई बीमा कंपनियां अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य बीमा से कमा रही हैं। उदाहरण के तौर पर न्यू इंडिया एश्योरेंस को कुल प्रीमियम का लगभग आधा हिस्सा यानी करीब 50 प्रतिशत स्वास्थ्य बीमा से मिलता है। IRDAI लोम्बार्ड के लिए यह योगदान करीब 30 प्रतिशत है। वहीं गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस के लिए यह आंकड़ा 14 प्रतिशत के आसपास है। इससे साफ है कि बीमा कंपनियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बेहद अहम हो चुका है।

बीमा कंपनियों की मनमानी पर लगाम

IRDAI ने इस साल की शुरुआत में वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत दी थी। उनके लिए नियम बनाया गया था कि बीमा कंपनियां सालाना प्रीमियम में 10 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि नहीं कर सकतीं। हालांकि इसके बाद यह चिंता भी जताई गई कि कंपनियां बाकी वर्गों पर बोझ डाल सकती हैं। अब नई नीति से सभी ग्राहकों को समान राहत मिलने की उम्मीद है।

हेल्थ इंश्योरेंस आम लोगों के लिए अब जरूरत बन चुका है। इलाज का खर्च तेजी से बढ़ रहा है और बिना बीमा के गंभीर बीमारी की हालत में परिवारों पर भारी दबाव आ सकता है। ऐसे में उपभोक्ता लंबे समय से मांग कर रहे थे कि प्रीमियम में अचानक और ज्यादा बढ़ोतरी रोकी जाए। IRDAI का यह कदम उनकी उसी मांग का जवाब माना जा रहा है।

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