हिंद महासागर में भारत की समुद्री शक्ति और भी मजबूत हो गई है। मंगलवार को विशाखापत्तनम स्थित नौसैनिक बेस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट उदयगिरि और हिमगिरि को भारतीय नौसेना में शामिल किया।
विशाखापत्तनम: भारत की समुद्री शक्ति अब और मजबूत हो गई है। मंगलवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विशाखापत्तनम स्थित नौसेना बेस पर अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट – उदयगिरि और हिमगिरि – को भारतीय नौसेना में शामिल किया। यह पहला अवसर है जब दो अलग-अलग शिपयार्डों में निर्मित अग्रिम पंक्ति के सतही युद्धपोतों को एकसाथ कमीशन किया गया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन युद्धपोतों के शामिल होने से नौसेना की युद्ध तत्परता बढ़ेगी और भारत के आत्मनिर्भर युद्धपोत निर्माण में संकल्प की पुष्टि होगी। इसके अलावा, हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय समुद्री हितों की रक्षा और निगरानी क्षमता मजबूत होगी।
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा, अनिश्चितताओं और प्रतिस्पर्धा के इस युग में समुद्र में भारी बल प्रदान करना भारत के दुश्मनों के लिए एक विश्वसनीय निवारक है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी नौसैनिक इकाइयों की त्वरित तैनाती और आक्रामक रुख ने पाकिस्तान को गतिज कार्रवाई बंद करने के लिए मजबूर कर दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि आईएनएस विक्रांत से पहले दिए गए आश्वासन के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर समाप्त नहीं हुआ है और आवश्यकता पड़ने पर इसे फिर से शुरू किया जा सकता है।
उदयगिरि और हिमगिरि की तकनीकी खूबियां
- निर्माण: उदयगिरि को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने और हिमगिरि को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने तैयार किया।
- वजन और आकार: दोनों जहाज लगभग 6,700 टन के हैं और लंबाई 149 मीटर (करीब 15 मंजिला इमारत के बराबर) है।
- गति और रेंज: इनकी गति 52 किमी/घंटा तक है और एक बार ईंधन भरने पर ये 10,000 किमी से अधिक की दूरी तय कर सकते हैं।
- स्टील्थ तकनीक: रडार-एबसॉर्बेंट मैटेरियल और एंगल्ड डिजाइन के कारण दुश्मन के रडार पर इनकी पहचान मुश्किल है।
- ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल: समुद्र और जमीन दोनों लक्ष्यों पर 290+ किमी की दूरी से हमला करने में सक्षम।
- पुस्तक प्रोटेक्शन: ड्रोन और मिसाइल को मार गिराने की क्षमता।
- पनडुब्बी रोधी हथियार और सोनार सिस्टम: गहरे पानी में पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम।
- हेलिकॉप्टर संचालन: सी किंग हेलिकॉप्टर ले जा सकते हैं, जो सतही जहाजों और पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम हैं।
परियोजना 17ए और आत्मनिर्भर भारत का बढ़ा कदम
उदयगिरि नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो का 100वां डिजाइन है और शिवालिक क्लास फ्रिगेट से बड़ा और उन्नत है। प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित इन जहाजों में स्टील्थ तकनीक, हथियार और सेंसर प्रणालियों में महत्वपूर्ण सुधार किया गया है। इन युद्धपोतों के निर्माण में 200 से अधिक भारतीय कंपनियों ने योगदान दिया, जिससे 4,000 से अधिक लोगों को सीधी नौकरी और 10,000 से अधिक को अप्रत्यक्ष रोजगार मिला। इससे भारत के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूती मिली।
नौसेना के मुताबिक, इसके बाद अन्य स्वदेशी पोत जैसे विध्वंसक आईएनएस सूरत, फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि, पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर और अन्य सहायक पोतों का जलावतरण 2025 में होगा।