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हजरतबल दरगाह विवाद: अशोक चिह्न तोड़ने पर किरण रिजिजू ने जताई निंदा, शांति बनाए रखने की अपील

हजरतबल दरगाह विवाद: अशोक चिह्न तोड़ने पर किरण रिजिजू ने जताई निंदा, शांति बनाए रखने की अपील

श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह पर अशोक चिह्न तोड़ा गया। पुलिस ने 26 लोगों को हिरासत में लिया। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने घटना की निंदा की। नेताओं ने शांति बनाए रखने और धार्मिक स्थलों का सम्मान करने की अपील की।

Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न को कुछ अज्ञात लोगों ने तोड़ दिया, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 26 लोगों को हिरासत में लिया है। यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है और राजनीतिक गलियारों में भी बहस शुरू हो गई है। अशोक चिह्न पर हुए इस हमले को लेकर प्रशासन ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने किया कड़ा विरोध

संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने इस घटना की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि हजरतबल दरगाह शांति का प्रतीक है और यह धार्मिक स्थल पैगंबर मोहम्मद के अवशेष से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस स्थान पर राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान बेहद निंदनीय है। रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह दरगाह विश्वास और एकता का संदेश देती है और अशोक चिह्न को तोड़ने का कृत्य समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश है।

जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड और अन्य राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉक्टर दरक्षन अंद्राबी ने इसे “आतंकी हमला” करार देते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए किरण रिजिजू ने कहा कि सभी जिम्मेदारों को कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए। वहीं, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए वक्फ बोर्ड को प्रभावी बनाने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और सम्मान के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दरगाह के दरवाजे पर अशोक चिह्न लगाने पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि धार्मिक स्थलों पर सरकारी प्रतीकों का होना विवादास्पद हो सकता है। उन्होंने इसे संवेदनशील मामले के रूप में देखा और कहा कि ऐसे कृत्य से सामाजिक तनाव पैदा हो सकता है।

अशोक चिह्न और हजरतबल दरगाह का महत्व

हजरतबल दरगाह न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश में शांति और सहिष्णुता का प्रतीक मानी जाती है। यह स्थल मुस्लिम समुदाय के लिए आस्था का केंद्र है और यहां पैगंबर मोहम्मद से जुड़े अवशेष सुरक्षित रखे गए हैं। दरगाह पर अशोक चिह्न का लगाया जाना यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय प्रतीक हर धार्मिक स्थल में सम्मान के रूप में मौजूद रह सकते हैं, ताकि धर्म और राष्ट्र की भावना दोनों संरक्षित रहें।

कानूनी और सामाजिक पहलू

अशोक चिह्न पर हुए हमले के बाद प्रशासन ने कानून के तहत आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। पुलिस की ओर से कहा गया कि सभी जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान की जा रही है और जल्द ही उन्हें कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा। वहीं, सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने भी इस घटना की निंदा की है और सभी समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि हजरतबल दरगाह जैसे धार्मिक स्थल न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी हैं। ऐसे स्थलों पर किसी भी तरह का तोड़फोड़ का कृत्य केवल आस्था का अपमान ही नहीं करता, बल्कि यह समाज में तनाव और अस्थिरता पैदा करता है। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे शांति और आपसी सम्मान बनाए रखें।

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