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हर दिन नॉन-वेज खाना पड़ सकता है भारी: जानिए सेहत को पहुंचने वाले 4 बड़े नुकसान   

हर दिन नॉन-वेज खाना पड़ सकता है भारी: जानिए सेहत को पहुंचने वाले 4 बड़े नुकसान   

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग खाने के शौकीन होते जा रहे हैं। खासतौर पर नॉन-वेज यानी मांसाहारी भोजन का चलन तेजी से बढ़ा है। चिकन, मटन, मछली जैसी चीजें न केवल स्वाद में लाजवाब होती हैं, बल्कि इन्हें प्रोटीन का अच्छा स्रोत भी माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आप रोज नॉन-वेज खाते हैं, तो इसके पीछे आपके शरीर को क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है? ज़्यादा मात्रा में और नियमित रूप से मांसाहारी भोजन करना आपकी सेहत के लिए खतरे की घंटी बन सकता है।

1. दिल को खतरा

रेड मीट यानी मटन, बीफ और पोर्क में सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है। ये शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ाकर धमनियों को संकरा कर देते हैं, जिससे ब्लड फ्लो बाधित होता है और हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।

क्यों है ये खतरनाक?

  • धमनियों में ब्लॉकेज की संभावना बढ़ती है
  • हाई ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है
  • हार्ट फेलियर का खतरा

बचाव कैसे करें?

  • सप्ताह में केवल 1-2 बार ही रेड मीट खाएं
  • चिकन या फिश को ग्रिल या उबालकर खाएं
  • अधिक घी-तेल से बचें और नियमित व्यायाम करें

2. मोटापा: हाई कैलोरी और फैट का बम

तला-भुना नॉन-वेज खाना यानी शरीर में हाई कैलोरी और फैट का भंडार भरना। मसालेदार और डीप फ्राइड मटन या चिकन खाने से शरीर में अतिरिक्त कैलोरी जमा होती है, जो मोटापा और पेट की चर्बी का कारण बनती है।

समस्या क्या हो सकती है?

  • वजन तेजी से बढ़ना
  • मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाना
  • मोटापे से जुड़ी बीमारियां जैसे डायबिटीज, बीपी, थायराइड

बचाव के उपाय:

  • डीप फ्राई के बजाय स्टीम्ड या बेक्ड नॉन-वेज खाएं
  • साथ में हरी सब्जियां, सलाद और फाइबरयुक्त चीजें खाएं
  • हर दिन 30 मिनट की वॉक या हल्का व्यायाम जरूर करें

3. पाचनतंत्र पर असर

रेड मीट को पचाने में शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि इसमें फाइबर नहीं होता और ये ज्यादा भारी होता है। इससे पेट में गैस, अपच, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

कैसे असर डालता है?

  • भोजन देर से पचता है
  • पाचन रस (Digestive Enzymes) पर अधिक दबाव पड़ता है
  • पेट फूलना और भारीपन महसूस होना

सुझाव:

  • नॉन-वेज के साथ दही, छाछ या नींबू पानी लें
  • पाचन को ठीक रखने के लिए त्रिफला या सौंफ का सेवन करें
  • भोजन के बाद थोड़ी देर टहलें

4. यूरिक एसिड और गाउट

नॉन-वेज में मौजूद प्यूरिन (Purine) शरीर में जाकर यूरिक एसिड में बदलता है। इसका अधिक स्तर हड्डियों और जोड़ों में दर्द, सूजन और गाउट जैसी बीमारियों को जन्म देता है।

क्या हो सकता है असर?

  • घुटनों, एड़ियों और उंगलियों में तेज दर्द
  • सूजन और जलन
  • किडनी पर असर

क्या करें?

  • रेड मीट की मात्रा कम करें
  • ज्यादा पानी पिएं ताकि यूरिक एसिड बाहर निकल सके
  • फलों और हरी सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं

क्या नॉन-वेज पूरी तरह छोड़ देना सही है?

नहीं, अगर आप सीमित मात्रा और सही तरीके से नॉन-वेज का सेवन करते हैं, तो यह आपकी सेहत के लिए लाभकारी भी हो सकता है। चिकन और फिश में लीन प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं जो मांसपेशियों की वृद्धि और दिमागी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।

संतुलन ही है असली समाधान:

  • सप्ताह में 2-3 बार ही खाएं
  • प्रोटीन के शाकाहारी विकल्प भी अपनाएं जैसे दाल, पनीर, सोया
  • फिजिकल एक्टिविटी को डेली रूटीन में शामिल करें

हेल्दी नॉन-वेज डाइट अपनाएं

यदि आप नॉन-वेज छोड़ना नहीं चाहते, तो इन बातों का ध्यान रखें:

  • सप्ताह में 2-3 बार ही खाएं
  • उबला, ग्रिल्ड या बेक किया हुआ नॉन-वेज बेहतर विकल्प है
  • मटन और बीफ के बजाय चिकन या फिश चुनें
  • भरपूर पानी पिएं और फाइबर का सेवन बढ़ाएं

रोज़ नॉन-वेज खाना आपकी आदत हो सकती है, लेकिन अगर आप लंबे समय तक स्वस्थ रहना चाहते हैं तो इस आदत को संतुलन में बदलना जरूरी है। हफ्ते में 2-3 बार हल्के मसाले में बना चिकन या ग्रिल्ड फिश खाना ठीक है, लेकिन रोजाना भारी और मसालेदार नॉन-वेज से परहेज़ करना ही समझदारी है।

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