सावन महीने की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। यह दिन ना केवल धार्मिक दृष्टि से खास होता है, बल्कि प्रकृति से जुड़ने का भी एक पवित्र अवसर होता है। इस दिन पेड़-पौधे लगाने की परंपरा सदियों पुरानी है, जिसका मकसद सिर्फ पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और ज्योतिषीय फल प्राप्त करना भी होता है।
इस बार कब है हरियाली अमावस्या
साल 2025 में हरियाली अमावस्या 24 जुलाई, गुरुवार को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार यह तिथि पितृ तर्पण, दान-पुण्य, व्रत और शिव पूजा के लिए विशेष मानी जाती है। साथ ही इस दिन कुछ विशेष पेड़-पौधे लगाने का भी विधान है, जिन्हें लगाकर व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता बढ़ा सकता है।
क्यों लगाते हैं इस दिन पौधे
हरियाली अमावस्या का संबंध बारिश और प्रकृति से जुड़ा होता है। सावन में धरती पर हरियाली फैल जाती है और वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। इस दिन पेड़-पौधे लगाना न केवल प्रकृति की सेवा मानी जाती है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी पुण्यदायी माना गया है।
तुलसी का पौधा: घर में सुख-शांति का प्रतीक
हरियाली अमावस्या के दिन तुलसी का पौधा लगाना बहुत शुभ माना गया है। तुलसी का संबंध भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से है। जिस घर में तुलसी होती है वहां नकारात्मक ऊर्जा नहीं टिकती। तुलसी को सुबह-शाम दीपक दिखाने और जल अर्पित करने से घर में धन, स्वास्थ्य और सुख-शांति बनी रहती है। तुलसी का पौधा पूर्व दिशा में लगाना उत्तम माना गया है।
शमी का पौधा: शनि की कृपा पाने का उपाय
शमी वृक्ष को शनि देव का प्रिय माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति हरियाली अमावस्या पर शमी का पौधा लगाता है, उसे शनि दोष से राहत मिलती है। इस पौधे की पूजा करने से जीवन में आ रही अड़चनों का समाधान भी होता है। शमी का पौधा विशेषकर उन लोगों को लगाना चाहिए जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति ठीक नहीं है।
आंवला: संतुलन और सौभाग्य का प्रतीक
आंवला का पेड़ भी इस दिन लगाना शुभ होता है। यह पेड़ धन, स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक माना गया है। इसके फलों में औषधीय गुण होते हैं और इसे आयुर्वेद में भी बहुत महत्व दिया गया है। आंवला वृक्ष को देवी लक्ष्मी का वास भी माना जाता है। इस पेड़ के नीचे पूजा करने और दीपक जलाने से घर में आर्थिक समृद्धि बनी रहती है।
नीम: रोग नाशक और शुभता का प्रतीक
नीम का पेड़ पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इसे हरियाली अमावस्या के दिन लगाने से घर में रोगों का प्रभाव कम होता है। नीम के पत्तों का उपयोग पूजा-पाठ, हवन और आयुर्वेदिक उपचार में भी होता है। धार्मिक मान्यता है कि नीम घर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
केले का पौधा: विष्णु और बृहस्पति का आशीर्वाद
केले का पौधा भगवान विष्णु और बृहस्पति ग्रह से जुड़ा हुआ माना गया है। इसे पूजा स्थल के पास लगाना शुभ माना जाता है। केले के पत्तों का उपयोग पूजा-पाठ में भी होता है। अगर हरियाली अमावस्या के दिन केले का पौधा लगाया जाए तो व्यक्ति को बृहस्पति ग्रह से संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है।
हरियाली अमावस्या पर पौधारोपण का महत्व बढ़ता जा रहा है
आज के समय में जब प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है, ऐसे में हरियाली अमावस्या जैसे पर्व लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करते हैं। मंदिरों, आश्रमों, विद्यालयों और घरों में इस दिन पौधारोपण का विशेष आयोजन किया जाता है। कई धार्मिक संस्थाएं और सामाजिक संगठन भी इस दिन को वृक्षारोपण दिवस के रूप में मनाते हैं।
सावधानी और नियम भी होते हैं जरूरी
हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे पौधे पूर्व या उत्तर दिशा में लगाएं, नियमित जल दें और पौधों की देखभाल का संकल्प लें। पौधे लगाने के बाद उन्हें यूं ही छोड़ देना अनुचित माना गया है। इन पौधों की सेवा करने से ही सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
भक्तों में दिखती है विशेष श्रद्धा
हरियाली अमावस्या पर लोगों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है। कई लोग नदी किनारे स्नान करने जाते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और उसके बाद पौधे लगाते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस दिन को खास मानते हैं। ग्रामीण इलाकों में यह पर्व किसी उत्सव की तरह मनाया जाता है जहां महिलाएं समूह में पौधारोपण करती हैं और हरियाली गीत गाती हैं।