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सावन में क्यों चढ़ाए जाते हैं राम नाम लिखे बेलपत्र? जानिए इसका आध्यात्मिक रहस्य

सावन में क्यों चढ़ाए जाते हैं राम नाम लिखे बेलपत्र? जानिए इसका आध्यात्मिक रहस्य

सावन का महीना शिव भक्ति के लिए जाना जाता है। इस पवित्र मास में भक्त रुद्राभिषेक करते हैं, शिव तांडव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं, उपवास रखते हैं और भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, आक और भांग अर्पित करते हैं। लेकिन अब एक नई और विशेष परंपरा भक्तों के बीच लोकप्रिय हो रही है सावन में ‘राम नाम’ लेखन।

पौराणिक प्रमाण से मिलती है पुष्टि

पद्मपुराण में उल्लेख मिलता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से प्रश्न किया कि वे किस नाम का जाप करते रहते हैं। शिव जी ने उत्तर दिया कि वे ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ का जप करते हैं। जब माता पार्वती ने अनुरोध किया कि वह एक ऐसा नाम बताएं जो हजारों नामों के बराबर हो, तब शिव जी ने ‘राम नाम’ को श्रेष्ठ बताया।

शिव बोले

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने

इस श्लोक से यह स्पष्ट होता है कि खुद महादेव भी राम नाम का स्मरण करते हैं। यह भाव भक्तों को प्रेरणा देता है कि शिव भक्ति के साथ-साथ राम नाम का जाप या लेखन एक अत्यंत शुभ और कल्याणकारी साधना है।

बेलपत्र पर ‘राम नाम’ लिखने से बढ़ता है पुण्य

सावन में एक विशेष धार्मिक परंपरा के अनुसार भक्त बेलपत्र पर अनार की कलम और चंदन की स्याही से ‘राम राम’ लिखते हैं और फिर उसे भोलेनाथ को अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से बेलपत्र चढ़ाने का पुण्य सौ गुना बढ़ जाता है।

काशी, उज्जैन, नासिक, हरिद्वार जैसे तीर्थ क्षेत्रों में इस परंपरा को बड़े भक्तिभाव से निभाया जाता है। वहां के मंदिरों में राम नाम लिखे हजारों बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाए जाते हैं। कई साधक इस मास में विशेष संकल्प लेकर हजारों की संख्या में राम नाम का लेखन करते हैं।

लाल स्याही और 108 की संख्या का विशेष महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लाल स्याही से 108 की संख्या में राम नाम लिखना विशेष फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि इस विधि से किया गया लेखन अनिष्ट ग्रहों की शांति करता है और मानसिक तनाव, भय व चिंता को समाप्त करता है।

राम नाम लेखन की यह प्रक्रिया ध्यान और साधना का रूप ले लेती है, जिससे मानसिक एकाग्रता, शांति और आत्मिक संतुलन बना रहता है। कई श्रद्धालु इसे एक तरह की आध्यात्मिक थेरेपी मानते हैं जो भीतर की उथल-पुथल को शांत करती है।

राम नाम से जुड़ी है शिव की विशेष कृपा

शिव और राम का संबंध केवल भक्तिभाव का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक परंपरा का भी है। यह कहावत प्रसिद्ध है कि भगवान शिव ने प्रभु श्रीराम को तारक मंत्र दिया था, जिससे मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

धर्मशास्त्र में वर्णन मिलता है

मुमूर्षोर्मणिकर्ण्यां तु अर्धोदकनिवासिनः
अहं ददामि ते मन्त्रं तारकं ब्रह्मदायकम्

अर्थ यह है कि मृत्यु के समय मणिकर्णिका घाट पर पड़े व्यक्ति को शिव स्वयं तारक मंत्र देते हैं और ब्रह्म में लीन करते हैं। यही कारण है कि शिव और राम का नाम एक-दूसरे से अलग नहीं है। सावन में शिव को प्रसन्न करने के लिए राम नाम लिखना या जपना अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

मनोकामनाओं की पूर्ति और शांति का माध्यम बन रहा राम नाम लेखन

सावन में राम नाम लेखन का चलन अब घर-घर तक पहुंच चुका है। युवा, बुजुर्ग, गृहणियां और छात्र सभी इसे अपने-अपने ढंग से अपनाते हैं। कहीं लोग कॉपियों में राम नाम लिखते हैं तो कहीं लोग बेलपत्र या भोजपत्र का प्रयोग करते हैं।

कई भक्तों का विश्वास है कि राम नाम लिखने से उनकी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। वे कहते हैं कि लेखन के कुछ दिनों के भीतर ही मानसिक शांति, कार्यों में सफलता और पारिवारिक सुख में वृद्धि अनुभव होती है।

भक्तों के अनुभव से बन रहा है यह परंपरा का हिस्सा

राम नाम लेखन को लेकर कई भक्तों के अनुभव सामने आए हैं। कुछ लोगों ने कहा कि इस साधना से उनकी बीमारियां दूर हुईं, तो कुछ ने कहा कि नौकरी, कारोबार और रिश्तों में आ रही समस्याएं स्वतः सुलझ गईं। इसके पीछे उनका दृढ़ विश्वास और राम नाम की शक्ति है।

सोशल मीडिया पर भी सावन में राम नाम लेखन से जुड़ी गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। कई संस्थाएं ‘राम नाम लेखन महायज्ञ’ चला रही हैं जहां हजारों भक्त एक साथ राम नाम लिखते हैं।

राम नाम लेखन बन रहा है भक्ति का सरल मार्ग

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ध्यान और भक्ति के लिए समय निकालना कठिन हो चला है। ऐसे में राम नाम लेखन एक सहज साधना के रूप में उभरा है, जो कहीं भी, कभी भी की जा सकती है।

न मंदिर की आवश्यकता, न विशेष अनुष्ठानों की जरूरत केवल राम नाम और सच्ची भावना ही इस साधना को फलदायी बना देती है। और जब यह साधना सावन जैसे पावन महीने में की जाए, तो इसका प्रभाव और भी अधिक होता है।

सावन की साधना में जुड़ रहा है राम नाम का दिव्य सुर

सावन के इस विशेष महीने में जब पूरे देश में शिव की आराधना हो रही है, वहीं राम नाम लेखन भी भक्ति के सुरों में एक अनोखा स्वर जोड़ रहा है। यह स्वर न केवल श्रद्धा को गहरा करता है, बल्कि भक्त के जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार भी करता है।

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