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तिरुपति भगदड़ रिपोर्ट पर YSRCP का विरोध तेज़, उठी CBI जांच की मांग

तिरुपति भगदड़ रिपोर्ट पर YSRCP का विरोध तेज़, उठी CBI जांच की मांग

तिरुपति भगदड़ मामले में YSRCP ने न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर CBI जांच की मांग की है। पार्टी ने इसे पूर्व-नियोजित और पक्षपातपूर्ण बताते हुए उच्च अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया है।

Tirupati Stampede: वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने तिरुपति मंदिर की भगदड़ पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया है। पार्टी का कहना है कि यह रिपोर्ट एकतरफा, पूर्व-नियोजित और पक्षपातपूर्ण है, जिसका उद्देश्य सच्चाई को छिपाना और कुछ चुनिंदा अधिकारियों को बचाना है।

टीटीडी (तिरुमला तिरुपति देवस्थानम) के पूर्व अध्यक्ष और YSRCP के वरिष्ठ नेता भुमना करुणाकर रेड्डी ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इस मुद्दे पर पार्टी की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने आरोप लगाया कि न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में ज़िम्मेदारी से जुड़े कई बड़े नामों को छोड़कर केवल निचले स्तर के अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया गया है।

किन अधिकारियों पर डाला गया दोष

करुणाकर रेड्डी के अनुसार, रिपोर्ट में दो अधिकारियों हरिनाथ रेड्डी और रमण कुमार को सीधे तौर पर दोषी ठहराया गया है और उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

यह हादसा वैकुंठ एकादशी के अवसर पर हुआ था जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 29 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए थे। यह रिपोर्ट राज्य मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत की गई है, लेकिन YSRCP का आरोप है कि यह केवल दिखावा है और इससे सच्चे ज़िम्मेदारों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

वरिष्ठ अधिकारियों को क्यों छोड़ा गया

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाया कि आखिर रिपोर्ट में टीटीडी, राजस्व विभाग और पुलिस विभाग के उन वरिष्ठ अधिकारियों का नाम क्यों नहीं लिया गया जो इस तरह की भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था के लिए जिम्मेदार थे।

भुमना करुणाकर रेड्डी ने कहा कि यह पूरा मामला "selective targeting" का प्रतीक है और आयोग ने असली जिम्मेदार लोगों को जानबूझकर नजरअंदाज किया है। उन्होंने इसे एक "case study" करार दिया जो आगे आने वाले सभी हादसों की जांच को प्रभावित कर सकती है।

पिछली सरकार की व्यवस्था क्यों रद्द की गई

पूर्व सरकार द्वारा लागू की गई विस्तारित दर्शन व्यवस्था पर भी सवाल उठाए गए। रेड्डी ने कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार ने धार्मिक प्रमुखों से परामर्श कर दस दिनों के लिए विस्तारित दर्शन की व्यवस्था लागू की थी, जिससे भीड़ का दबाव विभाजित होता था और दुर्घटनाओं की संभावना कम होती थी।

उन्होंने दावा किया कि वर्तमान गठबंधन सरकार ने उस प्रभावी व्यवस्था को रद्द कर दिया, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई। उनका कहना था कि नई व्यवस्था श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रही है।

टिकट काउंटर और अन्य विसंगतियां

भुमना करुणाकर रेड्डी ने भगदड़ के दिन ठहरने की व्यवस्थाओं, टिकट वितरण और crowd management से जुड़े कई निर्णयों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हरिनाथ रेड्डी को निलंबित कर दिया गया जबकि उसी समय टिकट काउंटर पर मौजूद अधिकारी सूर्यप्रकाश को पूरी तरह छोड़ दिया गया।

रेड्डी ने इसे न्याय की स्पष्ट विफलता बताया और कहा कि ऐसी कार्रवाई केवल उन लोगों को बचाने के लिए की गई जो ऊंचे पदों पर हैं और राजनीतिक संरक्षण में हैं।

YSRCP की मांग: हो CBI जांच

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की मांग है कि इस पूरे मामले की CBI जांच कराई जाए। पार्टी का मानना है कि जब तक एक स्वतंत्र एजेंसी इस मामले की गहराई से जांच नहीं करती, तब तक सच्चाई सामने नहीं आ सकती।

CBI जांच से उन सभी अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्षता से समीक्षा की जा सकेगी जो वर्तमान रिपोर्ट में छूट गए हैं। YSRCP का यह भी कहना है कि यह मामला केवल लापरवाही का नहीं बल्कि एक संगठित प्रशासनिक विफलता का है।

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