उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन सत्ता और विपक्ष के बीच जमकर हंगामा हुआ. कांग्रेस नेता भुवन कापड़ी ने दावा किया कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है और विधायक निधि में 15 प्रतिशत कमीशन लिया जा रहा है. सत्ता पक्ष ने आरोपों को चुनौती दी, जिसके बाद सदन में तीखी नोकझोंक देखने को मिली.
उत्तराखंड विधानसभा विशेष सत्र: उत्तराखंड में राज्य गठन के 25 साल पूरे होने पर आयोजित विशेष सत्र के पहले दिन मंगलवार को सदन में राजनीतिक टकराव तेज हो गया. कांग्रेस के उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि अधिकारी विधायक निधि में 15 प्रतिशत तक का कमीशन ले रहे हैं. यह बयान आते ही सत्ता पक्ष ने विरोध जताया और अधिकारियों के नाम पूछे. जवाब में कापड़ी ने कहा कि मामला सबके सामने है. आरोप प्रत्यारोप के बीच सत्र का माहौल गरमाता गया और सदन में अफरा तफरी देखी गई.
कापड़ी का दावा, भ्रष्टाचार चरम पर
भुवन कापड़ी ने कहा कि उत्तराखंड को बने 25 साल पूरे हो गए हैं और भ्रष्टाचार इन वर्षों में "जवान" हो गया है. उन्होंने कहा कि सरकार पारदर्शिता की बात करती है, लेकिन जमीन पर तस्वीर अलग है. कांग्रेस नेता का आरोप था कि अधिकारी विधायक निधि से जारी होने वाले कामों पर 15 प्रतिशत तक कमीशन मांग रहे हैं.
उनकी टिप्पणी पर सत्ता पक्ष ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और पूछा कि वह उन अधिकारियों के नाम बताएं जिन्होंने कमीशन मांगा है. कापड़ी ने पलटवार करते हुए कहा कि यह किसी से छुपा नहीं है और सबको पता है कि यह सब कैसे होता है. इसी मुद्दे पर सदन में हंगामा हुआ और कुछ देर के लिए कार्यवाही बाधित रही.

विशेष सत्र में 25 साल का लेखा-जोखा
राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित इस दो दिवसीय विशेष सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण हुआ. इसके बाद कार्यवाही स्थगित की गई और शाम को दोबारा शुरू होने पर विपक्ष ने भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के मुद्दे पर सरकार को घेरा.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में मौजूद रहते हुए विपक्ष के सवालों के जवाब दिए. सदन में राज्य के 25 वर्षों की उपलब्धियों और चुनौतियों पर चर्चा होती रही, साथ ही विधायकों ने अपने सुझाव और सवाल रखे. देर रात तक सत्र जारी रहा और आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा.
पहला दिन पूरी तरह टकराव भरा रहा
सदन के पहले दिन भ्रष्टाचार का मुद्दा केंद्र में रहा और बहस कई बार तीखी हो गई. विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और सत्ता पक्ष ने जवाबी हमला करते हुए दावों को निराधार बताया. दोनों पक्षों ने अपने राजनीतिक तर्क मजबूत करने की कोशिश की और माहौल कई बार गर्म हुआ.
साथ ही विकास कार्यों, पारदर्शिता और राज्य के भविष्य को लेकर भी चर्चा हुई. यह सत्र राज्य की यात्रा और आने वाले समय की दिशा तय करने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
                                                                        
                                                                            
                                                












