बिहार विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ जहां एनडीए की ओर से विकास और कानून-व्यवस्था मॉडल को प्रचारित कर रहे हैं, वहीं सपा और कांग्रेस यूपी में कथित अन्याय और जातिगत मुद्दों को उठाकर बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं। दोनों गठबंधन एक-दूसरे पर तीखे राजनीतिक हमले कर रहे हैं और बिहार का चुनाव अब दो राज्यों के राजनीतिक मॉडल की तुलना में बदलता दिख रहा है।
बिहार चुनाव में यूपी की सियासत: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार यूपी की सियासी मौजूदगी बेहद मजबूत दिख रही है। बिहार में जारी चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एनडीए की ओर से कई रैलियों में हिस्सा ले रहे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता अजय राय महागठबंधन के समर्थन में मैदान में हैं। यूपी मॉडल बनाम विपक्षी आरोपों का मुद्दा चुनावी मंच पर लगातार गूंज रहा है, जिससे चुनावी मुकाबला और भी गरमाया है। यह राजनीतिक टकराव वोटरों को प्रभावित करने और विकास बनाम सामाजिक न्याय की बहस को तेज कर रहा है।
यूपी का सियासी असर बिहार में तेज
बिहार विधानसभा चुनाव में अब यूपी की राजनीति गहरा प्रभाव डाल रही है। एनडीए की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मोर्चा संभाले हुए हैं और सभाओं में यूपी मॉडल की उपलब्धियां गिनाने में जुटे हैं। दूसरी तरफ महागठबंधन के नेता यूपी में दलितों और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों को सामने रखकर भाजपा पर हमला बोल रहे हैं। दोनों दल अपनी-अपनी विकास और सामाजिक न्याय की कथा के जरिए मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश में लगे हैं।
चुनावी मैदान में योगी आदित्यनाथ निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर और अपराध पर सख्ती जैसे दावों को दोहरा रहे हैं। वहीं सपा और कांग्रेस यूपी में कथित तौर पर बढ़ते उत्पीड़न और असमानता के मुद्दों को उठा रही हैं। इससे बिहार में चुनावी बहस सिर्फ स्थानीय नहीं रह गई, बल्कि राष्ट्रीय सियासत और पड़ोसी राज्य का असर भी दिख रहा है।

एनडीए का फोकस
एनडीए का प्रचार यूपी में बने एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट, धार्मिक पर्यटन और उद्योग निवेश पर केंद्रित है। योगी आदित्यनाथ दावा कर रहे हैं कि यूपी में कानून-व्यवस्था सुधरी है और माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई हुई है। बिहार-यूपी सीमा क्षेत्रों में आयोजित सभाओं में वे दोनों राज्यों की कनेक्टिविटी और रोजगार के अवसरों का भी उल्लेख कर रहे हैं।
भाजपा नेताओं का कहना है कि बिहार में एनडीए की सरकार बनने पर विकास और सुरक्षा को नई गति मिलेगी। वे चुनावी रैलियों में भ्रष्टाचार और जंगलराज के आरोप भी दोहरा रहे हैं। इसका लक्ष्य उन मतदाताओं को साधना है जो बेहतर शासन और रोजगार की उम्मीद कर रहे हैं।
विपक्ष का पलटवार
महागठबंधन यूपी मॉडल की कमियों को सामने रखकर एनडीए पर सवाल उठा रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता अजय राय जनसभाओं में दलित उत्पीड़न, जातिगत तनाव और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों का हवाला देते हुए भाजपा पर कटाक्ष कर रहे हैं।
विपक्ष यह भी कह रहा है कि बिहार में अगर एनडीए सत्ता में रही तो असल नियंत्रण भाजपा नेतृत्व के पास ही रहेगा। अखिलेश यादव ने भाजपा को सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला दल कहा, जबकि कांग्रेस ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर भी सीधा हमला बोला।












