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अमेजन लेऑफ के बाद बहस तेज: भारत में व्हाइट कॉलर नौकरियों पर AI का दबाव बढ़ रहा है?

अमेजन लेऑफ के बाद बहस तेज: भारत में व्हाइट कॉलर नौकरियों पर AI का दबाव बढ़ रहा है?

Amazon द्वारा 14,000 कर्मचारियों की छंटनी के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से नौकरी सुरक्षा पर चिंता बढ़ गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार खतरा अब सिर्फ टेक और प्रोग्रामिंग तक सीमित नहीं, बल्कि मार्केटिंग, फाइनेंस और HR जैसी व्हाइट कॉलर नौकरियों तक पहुंच चुका है। भारत जैसे युवा-प्रधान देश के लिए यह संकेत और भी गंभीर माने जा रहे हैं।

AI Jobs Impact: ई-कॉमर्स दिग्गज Amazon ने वैश्विक स्तर पर 14,000 कॉर्पोरेट नौकरियों की कटौती की घोषणा करके नौकरी बाजार में चिंता बढ़ा दी है। कंपनी का यह फैसला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती भूमिका और मानव कार्यबल पर उसके प्रभाव को लेकर नया सवाल खड़ा करता है। यह छंटनी केवल अमेरिका या यूरोप तक सीमित नहीं, बल्कि भारत जैसे देशों में भी असर दिखाने लगी है, जहां बड़ी संख्या में युवा कॉर्पोरेट सेक्टर पर निर्भर हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि AI टेक्नोलॉजी की तेजी ने मार्केटिंग, फाइनेंस और ऑडिटिंग जैसे क्षेत्रों की नौकरियों को भी जोखिम में डाल दिया है।

Amazon की छंटनी से बढ़ी AI की चिंता

ई-कॉमर्स कंपनी Amazon द्वारा 14,000 कॉर्पोरेट नौकरियां खत्म करने के फैसले ने वैश्विक स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती भूमिका और नौकरी सुरक्षा को लेकर बहस को तेज किया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि अब खतरा केवल कोडिंग या एंट्री लेवल टेक रोल तक सीमित नहीं है, बल्कि मार्केटिंग, फाइनेंस, ऑडिटिंग और HR जैसी सफेदपोश नौकरियां भी प्रभावित हो सकती हैं। भारत जैसे युवा-प्रधान देश के लिए यह संकेत और भी गंभीर हैं, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में ग्रेजुएट्स कॉर्पोरेट जॉब्स पर निर्भर हैं।

भारत में AI का असर तेजी से दिख रहा है

Amazon की हालिया लेऑफ का असर सीधे भारत में भले नहीं दिखा, लेकिन जिन जॉब रोल्स में कटौती हुई है, उनसे भारतीय मार्केट की तैयारी पर सवाल उठते हैं। बेंगलुरु, हैदराबाद और अन्य टेक हब्स में कंपनियां पहले से AI आधारित टूल्स पर शिफ्ट कर रही हैं। इससे ऐसे पेशेवरों पर दबाव बढ़ रहा है जो अब तक डिजिटल और टेक स्किल्स को करियर की सुरक्षा मानते थे।

विशेषज्ञ मानते हैं कि जनरेटिव AI की तेजी से बढ़ती क्षमता भविष्य में उन भूमिकाओं को भी प्रभावित कर सकती है जहां निर्णय लेने, डेटा एनालिसिस और कंटेंट क्रिएशन जैसे कार्य शामिल हैं। McKinsey ने भी अपने AI टूल Lilli को अपनाया है, जो डेटा प्रेजेंटेशन और विश्लेषण जैसे काम कर सकता है।

रिसर्च क्या कहती है

Northwestern University और MIT की संयुक्त स्टडी बताती है कि भाषा-आधारित AI का असर सबसे पहले उन नौकरियों पर पड़ेगा जहां संवाद और डाटा प्रोसेसिंग मुख्य काम है। पहले माना जाता था कि AI कम-शिक्षित कर्मचारियों की नौकरियां छीनेगा, लेकिन नए निष्कर्ष बताते हैं कि बैंकिंग और ऑडिटिंग जैसे क्षेत्रों में भी बदलाव तेज हो सकता है।

यानी इस बार असर उल्टा हो सकता है। जहां उच्च शिक्षा और विशेषज्ञता मांगने वाले कुछ रोल्स भी ऑटोमेशन की जद में आ जाएं। यह बदलाव कॉर्पोरेट करियर की शुरुआती सीढ़ियों को सबसे अधिक प्रभावित कर सकता है।

भारत के युवाओं पर असर बड़ा

भारत में 37 करोड़ से अधिक युवा हैं और शहरों में युवा बेरोजगारी पहले से 18 प्रतिशत से ऊपर है। यदि कंपनियां एंट्री लेवल रोल्स को AI से रिप्लेस करती रहीं, तो लाखों नए ग्रेजुएट्स के लिए शुरुआती नौकरी पाना कठिन हो सकता है। London School of Economics की रिपोर्ट बताती है कि जब शुरुआती अवसर घटते हैं, तो स्किल डेवलपमेंट और करियर ग्रोथ के रास्ते भी कमजोर हो जाते हैं।

यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देश के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि यहां बड़ी आबादी अपने करियर की शुरुआत निजी कंपनियों में करती है और AI का दबाव उनकी कमाई और प्रगति दोनों को प्रभावित कर सकता है।

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