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दिल्ली की CCTV परियोजना में गड़बड़ी! 32 हज़ार कैमरे फेल, सरकार ने दिए तकनीकी ऑडिट के आदेश

दिल्ली की CCTV परियोजना में गड़बड़ी! 32 हज़ार कैमरे फेल, सरकार ने दिए तकनीकी ऑडिट के आदेश

दिल्ली की सीसीटीवी परियोजना में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। 32,000 कैमरे खराब हैं, 15,000 अभी तक लगाए नहीं गए। सरकार ने तकनीकी ऑडिट और भ्रष्टाचार की जांच शुरू की है।

Delhi News: दिल्ली में सार्वजनिक सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई सीसीटीवी कैमरा परियोजना अब सवालों के घेरे में आ गई है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत राजधानी के 70 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 2.64 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। लेकिन अब यह खुलासा हुआ है कि इनमें से 32,000 से अधिक कैमरे खराब हैं जबकि 15,000 कैमरे अब तक लगाए ही नहीं गए हैं।

खराब पड़े कैमरे, गायब हुए हजारों उपकरण

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, जिन इलाकों में कैमरे लगाए गए हैं, वहां पर भी संख्या स्वीकृत से काफी कम है। इसका मतलब यह है कि जिन क्षेत्रों को सुरक्षा कवच देने के उद्देश्य से यह योजना लागू की गई थी, वहां इसकी वास्तविकता अपेक्षा से बहुत पीछे है।

सरकार का ऐलान, होगा तकनीकी ऑडिट

इन गड़बड़ियों के सामने आने के बाद मौजूदा दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि पूरी सीसीटीवी परियोजना का व्यापक तकनीकी ऑडिट कराया जाएगा। इसका उद्देश्य न सिर्फ कमियों का पता लगाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि आगे कोई तकनीकी या प्रशासनिक लापरवाही न हो।

भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी परियोजना

सीसीटीवी परियोजना पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं। 19 मार्च को दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने 571 करोड़ रुपये की इस परियोजना में रिश्वत और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।

7 करोड़ की रिश्वत लेकर 16 करोड़ का जुर्माना माफ

एसीबी के अनुसार, एक ठेकेदार ने 7 करोड़ रुपये की रिश्वत दी ताकि 16 करोड़ रुपये के क्षतिपूर्ति मुआवजे को माफ किया जा सके। यह राशि कैमरे लगाने में हुई देरी के कारण लगाई गई थी। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17A के तहत सत्येंद्र जैन के खिलाफ अनुमति मिलने के बाद FIR दर्ज की गई।

BEL को मिला अतिरिक्त ऑर्डर, उठे सवाल

परियोजना में देरी के बावजूद भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को 1.4 लाख कैमरों का अतिरिक्त ऑर्डर दिया गया। ACB का दावा है कि यह ऑर्डर भी रिश्वत के माध्यम से ही प्राप्त हुआ। आरोप है कि ठेकेदारों को इस अतिरिक्त काम से लाभ हुआ और उन्होंने रिश्वत की रकम जैन तक पहुंचाई।

घटिया काम, मैन्युफैक्चरिंग में लापरवाही

अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना बहुत ही घटिया तरीके से पूरी की गई थी। कई कैमरे तो हस्तांतरण के समय से ही खराब थे। यही नहीं, भुगतान की राशि को भी कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया ताकि रिश्वत के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराया जा सके।

BEL के एक अधिकारी से पूछताछ की जा चुकी है, जिसने आरोपों की पुष्टि की है और पूरी शिकायत का विवरण साझा किया है। अब PWD और BEL के दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है ताकि आगे के सबूत मिल सकें।

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