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हरप्रीत सिंह बने अलग अकाली गुट के अध्यक्ष, सुखबीर बादल ने लगाया साजिश का आरोप

हरप्रीत सिंह बने अलग अकाली गुट के अध्यक्ष, सुखबीर बादल ने लगाया साजिश का आरोप

अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को शिरोमणि अकाली दल के अलग हुए गुट का अध्यक्ष चुना गया। ताजपोशी के तुरंत बाद सुखबीर सिंह बादल ने उन पर अकाल तख्त के आदेश तोड़ने और पंथ व पंजाब को बांटने की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया, जिससे पंजाब की पंथक राजनीति में हलचल तेज हो गई।

पंजाब: अमृतसर में सोमवार को आयोजित प्रतिनिधि सत्र की बैठक में अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति ने सर्वसम्मति से ज्ञानी हरप्रीत सिंह को शिरोमणि अकाली दल के अलग गुट का अध्यक्ष चुना। यह फैसला गुरुद्वारा बुर्ज अकाली फूल सिंह में लिया गया। हालांकि, ताजपोशी के कुछ घंटे बाद ही सुखबीर सिंह बादल ने उन पर अकाल तख्त के आदेश की अनदेखी, सिखों की एकता तोड़ने और पंजाब विरोधी ताकतों से मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए। इस घटनाक्रम ने पंजाब की राजनीति में नई सरगर्मी और संभावित सियासी चुनौतियों के संकेत दे दिए हैं।

हरप्रीत सिंह बने नए नेता

अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सोमवार को शिरोमणि अकाली दल के अलग हुए गुट का अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना गया। यह फैसला अमृतसर स्थित गुरुद्वारा बुर्ज अकाली फूल सिंह में आयोजित प्रतिनिधि सत्र की बैठक में लिया गया, जिसकी अगुवाई अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति ने की।

इस कदम के साथ ही हरप्रीत सिंह औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश कर चुके हैं और अब वे पार्टी संगठन व रणनीति को नए सिरे से दिशा देंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह गुट पंजाब की सियासत में एक नई और गंभीर चुनौती पेश कर सकता है।

सुखबीर बादल का पलटवार और गंभीर आरोप

हरप्रीत सिंह की ताजपोशी के कुछ ही घंटों बाद शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने उन पर तीखा हमला बोला। बादल ने आरोप लगाया कि हरप्रीत सिंह ने अकाल तख्त के आदेश की अनदेखी करते हुए पंथ और पंजाब को बांटने की साजिश रची।
सुखबीर बादल का कहना था कि अकाल तख्त ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि कोई अलग गुट न बनाया जाए, लेकिन इसके बावजूद हरप्रीत सिंह ने असंतुष्ट नेताओं और सिख विरोधी ताकतों के साथ मिलकर खालसा पंथ और अकाली दल को कमजोर करने की योजना बनाई है।

केंद्रीय एजेंसियों से मिलीभगत का दावा

सुखबीर सिंह बादल ने आगे आरोप लगाया कि हरप्रीत सिंह ने पंजाब विरोधी केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर सिखों की एकता तोड़ने और अकाली दल की ताकत घटाने का प्रयास किया है। उन्होंने इस घटनाक्रम को पंजाब की राजनीति और पंथक एकजुटता के लिए गंभीर खतरा करार दिया।

वहीं, हरप्रीत सिंह के समर्थक इस कदम को अकाली दल के पुनर्गठन और ‘नई दिशा’ की शुरुआत बताते हुए इसे सकारात्मक बदलाव मान रहे हैं।

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