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इजरायल में राजनीतिक संकट गहराया: नेतन्याहू सरकार पर खतरा, संसद भंग करने का प्रस्ताव

इजरायल में राजनीतिक संकट गहराया: नेतन्याहू सरकार पर खतरा, संसद भंग करने का प्रस्ताव

इज़रायल में मौजूदा समय में सियासी उथल-पुथल चरम पर पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गठबंधन सरकार पर संकट मंडरा रहा है, और अब मामला संसद भंग करने के कगार तक आ गया है। 

यरुशलम: इजरायल की राजनीति एक बार फिर गहरे संकट के मुहाने पर खड़ी है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गठबंधन सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं, क्योंकि विपक्ष ने संसद भंग करने का प्रस्ताव पेश कर दिया है। यह संकट केवल विपक्ष की असहमति का परिणाम नहीं है, बल्कि सरकार के भीतर ही धार्मिक दलों और नेतन्याहू के बीच गहराता टकराव इसकी मुख्य वजह बन गया है।

क्या है विवाद की जड़?

इस ताजा संकट की जड़ है एक पुराना और संवेदनशील मुद्दा – धार्मिक यहूदी छात्रों को सैन्य सेवा से छूट देने वाला कानून। इजरायल में हर नागरिक के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है, लेकिन दशकों से धार्मिक छात्रों को इससे छूट दी जाती रही है। हालांकि, 2017 में इजरायल की सुप्रीम कोर्ट ने इस छूट को असंवैधानिक ठहराया और सरकार को नया कानून लाने का आदेश दिया। तब से अब तक कोई भी सरकार इस मसले पर स्पष्ट कानून नहीं बना सकी है।

अब नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में शामिल दो प्रमुख अति-रूढ़िवादी पार्टियां – यूनाइटेड टोरा जूडाइज्म और शास – इस कानून को पास कराने के लिए दबाव बना रही हैं। उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि अगर यह कानून पास नहीं हुआ तो वे विपक्ष के साथ मिलकर संसद भंग करने का समर्थन करेंगी।

संसद भंग करने का प्रस्ताव: सरकार को झटका

बुधवार को विपक्षी नेताओं ने संसद भंग करने का विधेयक पेश कर दिया, जिससे नेतन्याहू सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि, यह विधेयक अभी कानून बनने से कई चरण दूर है। इजरायली कानून के मुताबिक संसद भंग करने के किसी भी प्रस्ताव को चार बार वोटिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है।इसका मतलब यह है कि अगर प्रस्ताव को प्रारंभिक समर्थन भी मिल जाता है, तो भी सरकार तुरंत नहीं गिरेगी। इसके पास अभी समय है कि वह समाधान निकाल सके या गठबंधन को फिर से एकजुट कर सके।

सरकार की रणनीति: समय खरीदने की कोशिश

इस संकट से बचने के लिए नेतन्याहू खेमा वक़्त खरीदने की रणनीति अपनाने में जुट गया है। संसद की कार्यसूची में बुधवार को दर्जनों नए बिल जोड़े गए, ताकि प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग की प्रक्रिया धीमी की जा सके। इसके अलावा, नेतन्याहू की लिकुड पार्टी उस समिति पर नियंत्रण रखती है, जो तय करती है कि कोई भी प्रस्ताव कितनी जल्दी आगे बढ़ेगा। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि नेतन्याहू समय का इस्तेमाल करके गठबंधन दलों को शांत करने और एक नया फॉर्मूला निकालने की कोशिश करेंगे।

गठबंधन दलों की चेतावनी: अब हम ब्रेकिंग प्वॉइंट पर हैं

यूनाइटेड टोरा जूडाइज्म और शास पार्टी ने संकेत दिए हैं कि वे अब पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। शास पार्टी के प्रवक्ता आशेर मेदिना ने इजरायली रेडियो से कहा, हमें दक्षिणपंथी सरकार गिराने में कोई खुशी नहीं है, लेकिन अब हम उस बिंदु पर आ गए हैं जहां सहन करना मुश्किल हो गया है। अगर समाधान नहीं निकला तो हम संसद भंग करने के पक्ष में वोट देंगे। यह बयान दर्शाता है कि गठबंधन के भीतर असंतोष गहराता जा रहा है और नेतन्याहू के पास समझौते की बहुत सीमित गुंजाइश बची है।

यह संकट ऐसे समय में आया है जब इजरायल हमास के साथ एक भीषण संघर्ष में उलझा हुआ है। युद्ध के हालात में राजनीतिक अस्थिरता देश के लिए बड़ा जोखिम बन सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार गिरती है तो इजरायल को जल्द नई चुनाव प्रक्रिया में उतरना पड़ सकता है, जिससे सुरक्षा और प्रशासन दोनों पर असर पड़ेगा।

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