ईरान-इजरायल तनाव के चलते खाड़ी देशों का एयरस्पेस बंद हो गया है। इससे मशहूर कवि गोपालदास नीरज का परिवार जॉर्जिया में फंस गया है। परिवार ने पीएम से मदद मांगी है।
Iran Israel Tension: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने खाड़ी क्षेत्र में उथल-पुथल मचा दी है। इसका असर अब भारत के आम नागरिकों पर भी पड़ने लगा है। मशहूर कवि गोपालदास नीरज के बेटे शशांक प्रभाकर नीरज अपने परिवार के साथ जॉर्जिया में फंसे हुए हैं। उन्होंने शादी की वर्षगांठ के मौके पर जॉर्जिया की यात्रा की थी, लेकिन अब खाड़ी देशों के हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण उनकी वापसी अधर में लटक गई है।
फ्लाइट तीन बार हुई रद्द, एयरस्पेस बंद होने से रुकी वापसी
शशांक नीरज अपने इंजीनियर बेटे असीम शिखर और एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही बेटी विदुषी के साथ 16 जून को जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी पहुंचे थे। 22 जून को उन्हें एयर अरेबिया की फ्लाइट से लौटना था, जो रद्द हो गई। इसके बाद 23 जून को इंडिगो की फ्लाइट में लगभग 140 अन्य भारतीयों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए, लेकिन दोहा होते हुए दिल्ली जाने वाली वह फ्लाइट भी कतर का एयरस्पेस बंद होने की वजह से रद्द कर दी गई।
हवाई अड्डे पर कोई व्यवस्था नहीं, भूखे-प्यासे रात गुजारी
फ्लाइट रद्द होने के बाद यात्रियों को त्बिलिसी एयरपोर्ट पर ही उतार दिया गया। शशांक नीरज ने बताया कि वहां सोने और खाने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। उन्हें एक प्राइवेट होटल लेना पड़ा और अब अतिरिक्त खर्च उठाकर रहना पड़ रहा है।
महंगी दाल और एक वक्त का खाना
शशांक ने बताया कि जॉर्जिया में एक प्लेट दाल की कीमत करीब 900 रुपये है। शाकाहारी भोजन मिलना भी मुश्किल है। इस कारण अब पूरा परिवार एक समय ही खाना खा रहा है ताकि खर्च को संभाला जा सके।
पैकेज खत्म, अब जेब से खर्च करने की मजबूरी
शशांक ने बताया कि वे टूर पैकेज के तहत घूमने गए थे, जो 21 जून को समाप्त हो गया। अब होटल, खाना और ट्रांसपोर्ट के सारे खर्च निजी तौर पर उठाने पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वापसी के लिए 2.25 लाख रुपये की फ्लाइट टिकट भी खरीद ली, लेकिन घर वापसी नहीं हो सकी।
भारतीय दूतावास से नहीं मिला सहयोग
परिवार की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। जब फ्लाइट रद्द हुई तो वहां मौजूद सभी भारतीय यात्रियों ने एक साथ भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन किसी तरह की मदद या प्रतिक्रिया नहीं मिली। दूतावास की ओर से रहने या खाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
सोशल मीडिया के जरिए पीएम से मदद की अपील
शशांक और उनके परिवार ने अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील की है। उन्होंने बताया कि आगरा में उनके परिजनों ने भी हमलों और खाड़ी क्षेत्र की स्थिति की जानकारी दी। तब उन्हें अहसास हुआ कि वापसी इतनी जल्दी संभव नहीं है।