जेएनयू छात्र संघ चुनाव 2025 में कैंपस में लोकतंत्र की गहमागहमी चरम पर है। छात्रों में उत्साह दिख रहा है और मतदान जारी है। यह वही विश्वविद्यालय है जिसने एस. जयशंकर, निर्मला सीतारमण और कन्हैया कुमार जैसे बड़े राजनीतिक चेहरे दिए हैं। जेएनयू को राजनीति की नर्सरी माना जाता है, जहां विचारधारा आधारित छात्र राजनीति होती है।
JNU Student Politics: दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्र संघ चुनाव 2025 के दौरान मतदान जारी है, जहां माहौल पूरी तरह चुनावी रंग में डूबा है। सोमवार को कैंपस में छात्र नेता और समर्थक अपने उम्मीदवारों के लिए सक्रिय नजर आए। यह वही संस्थान है जिसने भारत को एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण जैसे नेता दिए हैं। जेएनयू में शिक्षा के साथ छात्र राजनीति को गंभीरता से लिया जाता है, क्योंकि यहां का हर चुनाव विचारधारा, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित होता है। छात्रों का मानना है कि यह चुनाव भविष्य के राजनीतिक नेतृत्व की बुनियाद रखता है और हर वोट महत्वपूर्ण है।
जेएनयू क्यों है राजनीति की नर्सरी
जेएनयू में छात्र राजनीति हमेशा मुद्दों पर आधारित रही है। यहां शिक्षा, रोजगार, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर खुली बहस होती है। छात्रों के बीच विचारधारा आधारित संगठन सक्रिय हैं और हर चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजबूत उदाहरण बनता है।
साल 2025 का चुनाव भी इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। कैंपस में पोस्टर, बहसें और छात्र रैलियां चुनावी माहौल को और जीवंत बना चुकी हैं। प्रचार बंद हो चुका है और अब फोकस मतदाताओं पर है, जो अपने नेताओं को चुनने में पूरी सक्रियता दिखा रहे हैं।

जेएनयू से निकले नेताओं की मजबूत मौजूदगी
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जेएनयू से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में शोध किया और आज देश की विदेश नीति को मजबूत दिशा दे रहे हैं। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की और आर्थिक नीतियों को आकार दे रही हैं।
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी राष्ट्रीय राजनीति का अहम चेहरा बन चुके हैं। इसके अलावा सीताराम येचुरी और मेनका गांधी जैसे नेता भी इस कैंपस से जुड़े रहे, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभाव छोड़ा है।
युवा वोटर्स में जोश और उम्मीद
कैंपस में पहली बार मतदान करने वाले छात्र इसे सीखने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया समझने का मौका मान रहे हैं। कई छात्र नेताओं का कहना है कि जेएनयू में राजनीति सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और वैचारिक नेतृत्व का मंच है।
वहीं वरिष्ठ छात्रों के लिए यह चुनाव जिम्मेदारी और अनुभव का विस्तार है। उनका मानना है कि यहां से चुने जाने वाले प्रतिनिधियों के पास समाज में बदलाव लाने की क्षमता होती है, इसलिए हर वोट मायने रखता है।













