जून 2025 में देश का औद्योगिक उत्पादन 10 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। आंकड़ों के अनुसार, इस महीने औद्योगिक उत्पादन में सिर्फ 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि मई में संशोधित आंकड़ों के मुताबिक यह दर 1.9 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी किए गए ताजा आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है।
इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह खनन और बिजली उत्पादन में आई कमी को बताया जा रहा है। दोनों क्षेत्रों में उत्पादन गिरा है, जिससे कुल औद्योगिक गतिविधि प्रभावित हुई है। हालांकि विनिर्माण क्षेत्र में थोड़ी मजबूती देखने को मिली है, लेकिन वह कुल आंकड़ों को संभालने में नाकाफी रही।
लगातार तीसरे महीने घटा खनन उत्पादन
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी IIP के आंकड़ों पर नजर डालें तो खनन क्षेत्र की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। जून में इस क्षेत्र में उत्पादन में 8.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह तीसरा महीना है जब खनन उत्पादन में गिरावट आई है।
जानकारों का मानना है कि जून के आखिरी पखवाड़े में तेज बारिश और मौसम संबंधी समस्याओं के कारण खनन गतिविधियों पर असर पड़ा है। इससे ना सिर्फ उत्पादन घटा, बल्कि इससे जुड़े अन्य सेक्टरों पर भी असर हुआ।
बिजली क्षेत्र की स्थिति भी कमजोर
जून में बिजली उत्पादन में भी गिरावट देखी गई। यह लगातार दूसरा महीना है जब इस सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई है। इस बार 2.6 प्रतिशत की कमी आई है। मांग में कमी, मौसमी प्रभाव और खपत में उतार-चढ़ाव जैसे कारणों को इसकी वजह माना जा रहा है।
विनिर्माण ने दिखाई थोड़ी मजबूती
हालांकि कुल मिलाकर औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट रही, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है। जून में विनिर्माण उत्पादन 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, जो मई के 3.2 प्रतिशत के मुकाबले ज्यादा है। यह पिछले तीन महीनों का सबसे अच्छा प्रदर्शन है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र की ये बढ़त घरेलू मांग में सुधार और कुछ विशेष उपभोक्ता वस्तुओं की बढ़ी हुई मांग की वजह से आई है।
तिमाही आधार पर भी कम रही ग्रोथ
जून तिमाही यानी अप्रैल से जून 2025 के बीच औद्योगिक उत्पादन में कुल 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह आंकड़ा 5.4 प्रतिशत रहा था। इस तरह साल दर साल आधार पर IIP में भारी गिरावट देखी गई है।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र में उम्मीद की किरण
जहां बाकी क्षेत्रों में गिरावट दिख रही है, वहीं बुनियादी ढांचा क्षेत्र ने जून में कुछ उम्मीदें जगाई हैं। इस क्षेत्र में उत्पादन 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। यह सरकार की ओर से किए गए निवेश और निर्माण गतिविधियों के चलते संभव हुआ है।
इंटरमीडिएटरी वस्तुओं का उत्पादन भी बढ़कर 5.5 प्रतिशत हो गया है, जो उद्योगों में कच्चे माल की बढ़ती खपत को दिखाता है।
उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में मिला-जुला असर
उपभोक्ता वस्तुओं के वर्गीकरण पर नजर डालें तो प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन लगातार तीसरे महीने घटकर 3 प्रतिशत माइनस में चला गया है। वहीं उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं की वृद्धि दर भी नकारात्मक रही और लगातार पांचवें महीने संकुचन की स्थिति में बनी रही है।
दूसरी ओर, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में 2.9 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। इसका मतलब यह है कि टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसी वस्तुओं की मांग में थोड़ी तेजी आई है।
निजी निवेश में धीमापन, सरकारी खर्च बरकरार
सिन्हा ने यह भी बताया कि निजी निवेश अब भी सुस्त बना हुआ है। हालांकि सरकार की ओर से किया जा रहा पूंजीगत व्यय सकारात्मक दिशा में है। फिर भी वैश्विक स्तर पर बनी आर्थिक अनिश्चितता का असर देश में निवेश की धारणा पर पड़ा है।
मुद्रास्फीति में राहत से आगे की उम्मीदें बढ़ीं
इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि महंगाई दर में जो टिकाऊ गिरावट आई है, उसका असर फरवरी 2025 से मौद्रिक नीति में ढील के तौर पर सामने आया है। इसके अलावा बेहतर मॉनसून से खरीफ फसल की उम्मीदें बढ़ी हैं, जो ग्रामीण मांग को सहारा दे सकती हैं।
इन परिस्थितियों को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दो महीनों में औद्योगिक उत्पादन में धीरे-धीरे स्थिर सुधार देखने को मिल सकता है।
अब निगाहें जुलाई और अगस्त के आंकड़ों पर
जून के कमजोर आंकड़ों के बाद अब सबकी नजर जुलाई और अगस्त के IIP आंकड़ों पर होगी। महंगाई दर में स्थिरता, ब्याज दरों में राहत और मानसून की स्थिति में सुधार जैसे कारक इन महीनों में उत्पादन को नई दिशा दे सकते हैं।