जुलाई 2025 के महीने में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी से सरकार को 1.68 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध राजस्व प्राप्त हुआ है। यह पिछले साल की तुलना में केवल 1.7 फीसदी ज्यादा है। हालांकि, सकल संग्रह यानी कुल जीएसटी वसूली 7.5 फीसदी बढ़कर लगभग 1.96 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। लेकिन रिफंड की भारी बढ़ोतरी के चलते शुद्ध राजस्व पर असर पड़ा है।
रिफंड में उछाल से धीमा हुआ शुद्ध संग्रह
जुलाई के महीने में सरकार ने जीएसटी रिफंड के रूप में लगभग 17,000 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जो पिछले साल जुलाई में जारी किए गए 8,000 करोड़ रुपये से दोगुना से भी ज्यादा है। इस वजह से शुद्ध जीएसटी संग्रह में खास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली। जीएसटी संग्रह के इस आंकड़े में जून महीने के लेनदेन शामिल होते हैं।
घरेलू कारोबार से हुआ 6.7 फीसदी ज्यादा संग्रह
घरेलू लेनदेन यानी देश के भीतर के व्यापार से सरकार को सकल रूप में 6.7 फीसदी ज्यादा राजस्व प्राप्त हुआ है। लेकिन चूंकि रिफंड की मात्रा बढ़ गई, इसलिए नेट यानी शुद्ध संग्रह में खास अंतर नहीं दिखा। घरेलू कारोबार से यह बढ़त अच्छे संकेत जरूर देती है, लेकिन रिफंड के दबाव के कारण वास्तविक राजस्व उतना उत्साहजनक नहीं रहा।
फरवरी के बाद से सबसे धीमी वृद्धि
शुद्ध जीएसटी संग्रह में फरवरी के बाद यह सबसे धीमी बढ़त है। जून में शुद्ध संग्रह 1.59 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले साल की तुलना में 3.3 फीसदी अधिक था। मई में यह आंकड़ा 1.73 लाख करोड़ रुपये और अप्रैल में 2.09 लाख करोड़ रुपये रहा था।
निर्यातकों को मिला ज्यादा रिफंड
सरकार की ओर से निर्यातकों को जीएसटी रिफंड में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। कुल मिलाकर निर्यातकों को 10,000 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक रिफंड मिला। इसका असर यह हुआ कि आयात से प्राप्त शुद्ध जीएसटी राजस्व 7.5 फीसदी बढ़कर 42,548 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इससे पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार से राजस्व प्राप्तियों में सकारात्मक गति बनी हुई है।
वित्त वर्ष 2025-26 के पहले चार महीने में 8.4 फीसदी की बढ़त
चालू वित्त वर्ष यानी 2025-26 के पहले चार महीनों में जीएसटी से शुद्ध प्राप्तियां 8.4 फीसदी बढ़कर 7.11 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई हैं। अगर इसमें घरेलू और आयात, दोनों लेनदेन को देखा जाए, तो घरेलू कारोबार से प्राप्त राजस्व 6.1 फीसदी बढ़कर 5.6 लाख करोड़ रुपये रहा। वहीं, आयात से जीएसटी राजस्व में 18.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और यह 1.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
चार महीने में कितना रहा कुल संग्रह और रिफंड
वित्त वर्ष की शुरुआत से अब तक यानी अप्रैल से जुलाई के बीच सकल जीएसटी संग्रह 8.18 लाख करोड़ रुपये का रहा है। इस अवधि में कुल रिफंड 1.07 लाख करोड़ रुपये के करीब रहा है। इससे साफ है कि जीएसटी प्रणाली में रिफंड की प्रक्रिया पहले से तेज हुई है और कारोबारियों को ज्यादा तेजी से भुगतान किया जा रहा है।
अर्थव्यवस्था के लिए क्या संकेत दे रहे हैं ये आंकड़े
जीएसटी संग्रह में स्थिरता और वृद्धि दोनों का मिलाजुला रूप देखने को मिल रहा है। जहां सकल संग्रह के आंकड़े सकारात्मक संकेत देते हैं, वहीं रिफंड की बढ़ती मात्रा सरकार की कर नीति की लचीलापन और पारदर्शिता को दर्शाती है। लेकिन इससे शुद्ध राजस्व की गति थोड़ी धीमी हो गई है।
जुलाई में क्यों कम रहा शुद्ध राजस्व
जुलाई में जीएसटी का शुद्ध संग्रह पिछले साल के मुकाबले 0.2 फीसदी कम रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भारी रिफंड रहा है। हालांकि सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यह रिफंड नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है और लंबे समय से लंबित दावों का निपटारा किया गया है।
सरकार की नजर आगे के संग्रह पर
वित्त मंत्रालय अब अगस्त और सितंबर के जीएसटी संग्रह पर नजर बनाए हुए है। त्योहारों के मौसम में व्यापार बढ़ता है और इस दौरान जीएसटी राजस्व में भी उछाल आने की उम्मीद की जाती है। पिछले वर्षों का ट्रेंड देखा जाए, तो त्योहारी सीजन में कर संग्रह में मजबूत बढ़त देखने को मिलती है।