कानपुर देहात के अकबरपुर थाने में मंगलवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब उत्तर प्रदेश सरकार में महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला भाजपा कार्यकर्ताओं के समर्थन में थाने पहुंचीं और सीधे धरने पर बैठ गईं। मंत्री ने थाना प्रभारी सतीश सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ अनुसूचित जाति अधिनियम के तहत झूठा और मनगढ़ंत मुकदमा दर्ज किया है।
मंत्री ने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। करीब पांच घंटे तक चला यह धरना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया। आखिरकार जिला प्रशासन ने चौकी प्रभारी को हटाने और SHO के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के आदेश दिए, जिसके बाद मंत्री ने धरना समाप्त किया।
यह योगी सरकार है
मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने साफ शब्दों में कहा कि यह समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं, बल्कि योगी आदित्यनाथ की सरकार है, जहां भाजपा कार्यकर्ताओं पर fabricated केस बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं को बेवजह फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
धरना स्थल पर पुलिस उपाधीक्षक (सिकंदरा) प्रिया सिंह ने कई बार मंत्री को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी मांगों पर अडिग रहीं। मंत्री ने कहा कि जब तक पुलिस अधीक्षक मौके पर आकर सार्वजनिक रूप से स्थिति स्पष्ट नहीं करते, तब तक धरना जारी रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पिछले 25 वर्षों में कभी पुलिस में शिकायत नहीं की, लेकिन अब यह उनके सम्मान की बात है और वह जानना चाहती हैं कि किसके दबाव में यह मुकदमा दर्ज किया गया।
जांच अधिकारी नियुक्त
जिलाधिकारी आलोक सिंह ने जानकारी दी कि मंत्री के धरने के बाद स्थिति की गंभीरता को देखते हुए SHO सतीश सिंह के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। साथ ही, अपर पुलिस अधीक्षक राजेश पांडेय को जांच अधिकारी नियुक्त कर विस्तृत रिपोर्ट जल्द सौंपने को कहा गया है।
इस घटनाक्रम के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इसे लेकर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब सत्ता पक्ष के मंत्री ही पुलिस से नाराज हैं, तो आम जनता की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।
पूर्व सांसद भी धरने में हुए शामिल
धरने के दौरान मंत्री के पति और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला भी उनके साथ मौजूद रहे। उन्हें फोन पर सरकार के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री से बातचीत करते और पूरे मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए देखा गया। उनकी मौजूदगी ने धरने को और गंभीर राजनीतिक रंग दे दिया।
यह घटनाक्रम न सिर्फ प्रशासन के लिए चिंता का कारण बना, बल्कि भाजपा के भीतर चल रहे असंतोष और अंदरूनी टकराव को भी उजागर कर गया। अब निगाहें इस बात पर हैं कि जांच रिपोर्ट में क्या सामने आता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।