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तेल बाजार में बड़ा बदलाव: भारत जल्द चीन से आगे निकलेगा, जानें वैश्विक बाजार पर असर

तेल बाजार में बड़ा बदलाव: भारत जल्द चीन से आगे निकलेगा, जानें वैश्विक बाजार पर असर

भारत की तेल मांग चीन को पीछे छोड़ने वाली है। Trafigura के मुताबिक, औद्योगीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और बढ़ती आमदनी से भारत में तेल की खपत तेजी से बढ़ रही है, जबकि चीन में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते इस्तेमाल और धीमी आर्थिक वृद्धि के कारण मांग सीमित है। 2026 में वैश्विक तेल मांग वृद्धि भी धीमी होगी।

India oil demand: वैश्विक कमोडिटी कंपनी Trafigura के अनुसार, भारत की तेल मांग बहुत जल्द चीन को पीछे छोड़ सकती है। देश में औद्योगीकरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और मध्यम वर्ग की बढ़ती आय के कारण तेल और गैस की खपत तेजी से बढ़ रही है। वहीं, चीन में इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार और आर्थिक धीमी गति के कारण तेल की मांग घट रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, 2026 में वैश्विक तेल मांग की वृद्धि धीमी होगी, जबकि भारत के लिए यह ऊर्जा सुरक्षा और वैकल्पिक ऊर्जा अपनाने का अवसर भी पेश करता है।

भारत में तेल की मांग बढ़ने के कारण

भारत में शहरीकरण तेज़ है और लोगों की आमदनी बढ़ रही है। नए उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के कारण ऊर्जा की जरूरत भी लगातार बढ़ रही है। ट्रांसपोर्ट सेक्टर में वाहन संख्या में वृद्धि और औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार से तेल की खपत में इजाफा हो रहा है। Trafigura के मुख्य अर्थशास्त्री साद रहीम के अनुसार, भारत में तेल की मांग अगले कुछ सालों में चीन को पीछे छोड़ देगी।

वहीं चीन में पेट्रोल और डीजल की मांग अब धीरे-धीरे बढ़ रही है और मुख्य रूप से पेट्रोकेमिकल्स के लिए ही बढ़ रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते इस्तेमाल ने पारंपरिक ईंधन की खपत को कम कर दिया है।

चीन में स्टॉकिंग का असर

चीन ने हाल के महीनों में अपनी तेल स्टॉक्स को बढ़ाने पर ध्यान दिया है। गनवोर ग्रुप के रिसर्च हेड फ्रेडरिक लासेरे के मुताबिक, चीन रोजाना लगभग 2 लाख बैरल अतिरिक्त तेल अपने स्टॉक में जोड़ रहा है। इसका मकसद चीन के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व (SPR) को मजबूत करना है। हालांकि, यह स्टॉकिंग लंबे समय तक बाजार की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएगी।

वैश्विक तेल बाजार पर असर

Trafigura ने कहा कि 2026 में दुनिया में तेल की मांग बढ़ने की रफ्तार धीमी होगी। अनुमान है कि तेल की मांग प्रतिदिन लगभग 10 लाख बैरल से कम बढ़ेगी। OPEC+ देशों द्वारा उत्पादन क्षमता बढ़ाने से आपूर्ति और बढ़ जाएगी। इसका असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा और बाजार में अस्थिरता आ सकती है।

तेल की बढ़ती मांग भारत की आर्थिक मजबूती का संकेत है। लेकिन यह एक बड़ी जिम्मेदारी भी है। बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही नवीकरणीय और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाना भी जरूरी है, ताकि तेल पर पूरी तरह निर्भर न रहना पड़े।

सरकारी तेल कंपनियां रिफाइनिंग और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में निवेश कर रही हैं। इससे देश में तेल की उपलब्धता बढ़ेगी और निरंतर खपत की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा।

आर्थिक विकास का संकेत

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। मूडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भारत की GDP 6.3 प्रतिशत और 2026 में 6.5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। यह विकास भारत को G-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बनाता है। आर्थिक वृद्धि से तेल की खपत में लगातार बढ़ोतरी होगी।

परिवहन और औद्योगिक खपत

भारत में परिवहन के क्षेत्र में तेल की मांग लगातार बढ़ रही है। नए वाहन, बसें, ट्रकों और औद्योगिक मशीनरी के लिए ईंधन की जरूरत बढ़ रही है। इसके अलावा, फैक्ट्रियों और निर्माण कार्यों के लिए भी पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ रही है। सरकारी और निजी कंपनियों द्वारा रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाने के प्रयास इस मांग को पूरा करने में मदद करेंगे।

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