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Karnataka: किसानों की आत्महत्याओं पर सियासत तेज, कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को बताया भ्रामक

Karnataka: किसानों की आत्महत्याओं पर सियासत तेज, कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को बताया भ्रामक

कर्नाटक में 16 महीनों में 981 किसानों की आत्महत्या दर्ज हुई। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया, वहीं कांग्रेस ने भाजपा को भ्रामक बताकर जवाब दिया। किसानों की समस्याएं फिर से केंद्र में हैं।

Karnataka: कर्नाटक में किसानों की आत्महत्याओं को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। वर्ष 2024 से 2025 के बीच बीते 16 महीनों में राज्य में कुल 981 किसान आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 825 मामले पात्र किसान आत्महत्या के रूप में चिह्नित किए गए हैं जबकि 138 मामलों को अन्य कारणों से जुड़ा माना गया है। राज्य सरकार ने अब तक 807 पीड़ित परिवारों को मुआवजा प्रदान किया है जबकि 18 मामलों में मुआवजा अभी लंबित है।

हावेरी में सबसे अधिक आत्महत्या के मामले दर्ज

प्रदेश के सभी जिलों में हावेरी में सबसे ज्यादा 128 आत्महत्याएं दर्ज की गईं हैं। इसके बाद मैसूरु में 73, धारवाड़ में 72 और बेलगावी में 71 मामलों की पुष्टि हुई है। इसके विपरीत बेंगलुरु शहरी, बेंगलुरु ग्रामीण, उडुपी और कोलार से किसी भी किसान आत्महत्या की सूचना नहीं मिली है। यह आंकड़े राज्य सरकार की तरफ से साझा किए गए हैं।

भाजपा ने कांग्रेस सरकार को ठहराया जिम्मेदार

किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर सीधा हमला बोला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि किसानों में भय और निराशा का माहौल कांग्रेस सरकार की नीतिगत लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने कृषि क्षेत्र में कोई ठोस सुधार नहीं किया।

विजयेंद्र ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का जिक्र करते हुए कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने केंद्र की सहायता राशि के अलावा 4,000 रुपये अतिरिक्त देकर 52 लाख से अधिक किसानों को राहत दी थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने बसवराज बोम्मई द्वारा शुरू की गई 'रैयत विद्यानिधि योजना' को भी बंद कर दिया है, जो किसानों के बच्चों की उच्च शिक्षा में सहायक थी।

कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को बताया भ्रामक

कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को गुमराह करने वाला बताया है। कांग्रेस विधायक रिज़वान अरशद ने कहा कि 981 किसानों की आत्महत्या बेहद गंभीर मामला है लेकिन भाजपा इस पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर इस मामले में सहयोग मांगा है और कीटनाशकों की कमी जैसे मसलों पर भी ध्यान दिलाया है।

नीतियों की समीक्षा और समाधान की मांग

विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों की आत्महत्या सिर्फ मौसमी या कर्ज से जुड़ी समस्या नहीं है बल्कि यह राज्य में कृषि नीति, समर्थन मूल्य, बाजार पहुंच और सिंचाई जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति से भी जुड़ी हुई है। किसान संगठनों का कहना है कि यदि इन मसलों पर तत्काल नीति स्तर पर काम नहीं किया गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

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