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काशी विश्वनाथ मंदिर पुजारियों को मिलेगा राज्य कर्मचारी का दर्जा, वेतन में तीन गुना वृद्धि

काशी विश्वनाथ मंदिर पुजारियों को मिलेगा राज्य कर्मचारी का दर्जा, वेतन में तीन गुना वृद्धि

काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों को जल्द ही राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलेगा। नियमावली लागू होने पर उनका वेतन 30 हजार से बढ़कर 80-90 हजार रुपये होगा। साथ ही पदोन्नति, अवकाश और अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।

वाराणसी: मशहूर काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। लंबे समय से प्रतीक्षित कर्मचारी सेवा नियमावली को 40 साल बाद हरी झंडी दे दी गई है। इसके लागू होने के बाद पुजारियों का वेतन तीन गुना बढ़कर 80 से 90 हजार रुपये तक हो जाएगा। इसके साथ ही उन्हें पदोन्नति, अवकाश और अन्य सुविधाएं भी राज्य कर्मचारियों के समान मिलेंगी।

मंडलायुक्त एस. राजलिंगम ने बताया कि पहले पुजारियों को सिर्फ 30 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाता था, लेकिन अब नियमावली लागू होने के बाद यह वेतन काफी बढ़ जाएगा।

कर्मचारी सेवा नियमावली में चार श्रेणियाँ तय

सूत्रों के अनुसार, कर्मचारी सेवा नियमावली में चार श्रेणियाँ तय की गई हैं। इसके तहत पुजारियों और अन्य कर्मचारियों को ग्रेड और मैट्रिक्स दिया जाएगा। नियमावली लागू होने के बाद न केवल वेतन बढ़ेगा, बल्कि पदोन्नति, बोनस, अवकाश और अन्य सुविधाओं का लाभ भी मिलेगा।

इससे पहले कई वर्षों से पुजारियों और सेवादारों को राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलने के कारण सुविधाओं में कमी महसूस हो रही थी। अब नियमावली के लागू होने के बाद वे राज्य कर्मचारियों के बराबर सभी अधिकार और लाभ प्राप्त करेंगे।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की 108वीं बैठक

गुरुवार को हुई काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की 108वीं बैठक में नियमावली को मंजूरी दी गई। बैठक में मंडलायुक्त एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में लगभग दो दर्जन प्रस्तावों पर मुहर लगी।

बैठक में विशालाक्षी कॉरिडोर के निर्माण, डिजिटल संग्रहालय की स्थापना और अन्य विकास कार्यों पर भी मंजूरी दी गई। इससे न केवल पुजारियों के अधिकार सुनिश्चित होंगे, बल्कि मंदिर परिसर का विकास और सुचारू संचालन भी सुनिश्चित होगा।

40 साल बाद नियमावली लागू

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रदेश सरकार द्वारा 1983 में अधिग्रहण किया गया था। इसके बाद से पुजारियों और कर्मचारियों की सेवा नियमावली नहीं बन सकी थी। कई प्रयासों के बावजूद मामला तब तक ठंडे बस्ते में रहा।

संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत 13 अक्टूबर 1983 को काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट लागू किया गया था। अब 40 साल बाद यह नियमावली लागू होने जा रही है, जिससे मंदिर प्रशासन और कर्मचारियों की व्यवस्था में स्थिरता आएगी।

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