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कौन हैं प्रेमानंद महाराज के पांच पांडव? प्रोफेसर से CA तक, जानें क्वालिफिकेशन और भक्ति मार्ग की कहानी

कौन हैं प्रेमानंद महाराज के पांच पांडव? प्रोफेसर से CA तक, जानें क्वालिफिकेशन और भक्ति मार्ग की कहानी

वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के साथ हमेशा मौजूद रहने वाले उनके पांच खास शिष्य, जिन्हें लोग ‘पांच पांडव’ कहते हैं, किसी आम पृष्ठभूमि से नहीं आते। इनमें कोई पूर्व प्रोफेसर रहा, कोई चार्टर्ड अकाउंटेंट और कोई सेना का अधिकारी। इनकी पढ़ाई-लिखाई और सफल करियर छोड़कर भक्ति मार्ग पर चलने की कहानी लोगों को आकर्षित करती है।

प्रेमानंद महाराज के पांच पांडव: वृंदावन स्थित श्री हित राधा केली कुंज आश्रम में संत प्रेमानंद जी महाराज के पांच शिष्य हमेशा उनके साथ देखे जाते हैं। इनमें से कोई भारतीय सेना में अधिकारी रह चुका है, कोई कॉलेज प्रोफेसर, कोई चार्टर्ड अकाउंटेंट और कोई सफल कारोबारी। सोशल मीडिया पर भी इन पांचों की चर्चा लगातार होती है क्योंकि सभी ने अपनी स्थापित जिंदगी छोड़कर महाराज की सेवा और भक्ति को जीवन का उद्देश्य बना लिया।

श्रीहित राधा केली कुंज आश्रम की पहचान

वृंदावन के श्रीहित राधा केली कुंज आश्रम का नाम आते ही भक्ति और श्रद्धा की छवि उभरकर सामने आती है। यहां के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज लाखों-करोड़ों लोगों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं। फिल्मी हस्तियों से लेकर कॉर्पोरेट जगत की नामी शख्सियतें तक उनके सत्संग में शामिल होती हैं। विराट कोहली, अनुष्का शर्मा और शिल्पा शेट्टी जैसे सेलिब्रिटी भी उनके शरणागत हो चुके हैं।

सोशल मीडिया पर भी प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता निरंतर बनी रहती है। खास बात यह है कि उनके साथ हमेशा पांच खास शिष्य रहते हैं, जिन्हें लोग “प्रेमानंद के पांच पांडव” कहते हैं। यह साधारण शिष्य नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे और सफल करियर छोड़कर भक्ति मार्ग पर समर्पित हुए लोग हैं।

1. सेना अधिकारी से बने भक्त: बाबा नवल नगरी

प्रेमानंद महाराज के सबसे करीबी शिष्य बाबा नवल नगरी पहले भारतीय सेना में अधिकारी थे। वे 2008 से 2017 तक सेना में कार्यरत रहे और उनका परिवार पंजाब के पठानकोट से है।

2016 में वृंदावन यात्रा के दौरान महाराज के सत्संग ने उन पर गहरा असर डाला। अगले ही वर्ष उन्होंने सेना की नौकरी छोड़ दी और महाराज की सेवा में समर्पित हो गए। आज वे आश्रम की सेवा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

2. प्रोफेसर छोड़कर अपनाया भक्ति मार्ग: महामधुरी बाबा

दूसरे शिष्य महामधुरी बाबा उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से हैं। वे एक डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी कर रहे थे।

एक बार भाई के साथ आश्रम पहुंचे और महाराज के सत्संग में सम्मिलित हुए। वहां का अनुभव इतना प्रभावशाली रहा कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और जीवन को पूरी तरह भक्ति के मार्ग पर समर्पित कर दिया। अब वे आश्रम में रहकर महाराज की सेवा करते हैं।

3. रिश्ते से भतीजे, समर्पण से शिष्य: श्यामा शरण बाबा

श्यामा शरण बाबा प्रेमानंद महाराज के रिश्ते में भतीजे हैं। उनका जन्म महाराज के ही गांव अखरी, जिला कानपुर में हुआ।

बचपन से ही भक्ति और महाराज की चर्चा सुनते-सुनते उनका मन साधना की ओर झुक गया। बड़े होते-होते उन्होंने दीक्षा लेकर पूरी तरह महाराज की सेवा स्वीकार कर ली और अब हर समय उनके साथ रहते हैं।

4. सफल बिजनेसमैन से सेवक: आनंद प्रसाद बाबा

आनंद प्रसाद बाबा कभी एक सफल फुटवियर बिजनेस चलाते थे। आर्थिक रूप से संपन्न होने के बावजूद उन्हें जीवन में अधूरापन महसूस होता था।

प्रेमानंद महाराज से मिलने के बाद उनकी सोच पूरी तरह बदल गई। उन्होंने बिजनेस छोड़ दिया और आश्रम के प्रबंधन से जुड़कर भक्ति और सेवा का मार्ग चुन लिया।

5. CA से साधु बने: अलबेलिशरण बाबा

अलबेलिशरण बाबा पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) थे। पढ़ाई और करियर दोनों में ही उनका भविष्य उज्ज्वल था।

लेकिन प्रेमानंद महाराज से मिलने के बाद उन्होंने सांसारिक जीवन से मुंह मोड़ लिया। अब वे पूरी तरह से आश्रम में रहकर महाराज के हर कार्य में सहभागी बनते हैं।

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