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खरगे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र: लोकसभा डिप्टी स्पीकर चुनाव जल्द करवाने की उठाई मांग

खरगे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र: लोकसभा डिप्टी स्पीकर चुनाव जल्द करवाने की उठाई मांग

भारतीय लोकतंत्र में संसद के दोनों सदनों की भूमिका निर्णायक होती है, और संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए अध्यक्ष (स्पीकर) और उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) दोनों का होना अत्यावश्यक माना गया है। 

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लोकसभा उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) के चुनाव को तुरंत पूरा करने की मांग की है। खरगे ने इस मुद्दे को "संवैधानिक परंपरा के उल्लंघन" से जोड़ते हुए कहा कि पिछले दो लोकसभा कार्यकालों (17वीं और 18वीं) से यह पद खाली है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है।

खरगे का पीएम मोदी को पत्र: संविधान का उल्लंघन बताया

मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 93 स्पष्ट रूप से यह कहता है कि लोकसभा को "जितनी जल्दी हो सके" एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर चुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 2019 में 17वीं लोकसभा के गठन के बाद से आज तक डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ, और अब 18वीं लोकसभा में भी यह परंपरा टूटती दिख रही है।

खरगे ने यह भी तर्क दिया कि संविधानिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं का सम्मान करते हुए यह आवश्यक है कि डिप्टी स्पीकर का चुनाव जल्द से जल्द कराया जाए।

सरकार की चुप्पी पर विपक्ष का हमला

कांग्रेस अध्यक्ष ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि पहली से 16वीं लोकसभा तक यह परंपरा रही कि डिप्टी स्पीकर का पद मुख्य विपक्षी दल के सदस्य को दिया जाए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 16वीं लोकसभा में एआईएडीएमके के एम. थंबीदुरई इस पद पर रहे, जबकि उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी। खरगे ने आरोप लगाया कि 17वीं लोकसभा (2019-2024) में सरकार ने जानबूझकर इस पद को खाली रखा और अब 18वीं लोकसभा में भी यही हो रहा है।

विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार पर "लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी" का आरोप लगाया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, "डिप्टी स्पीकर का पद खाली रखकर सरकार ने संवैधानिक परंपरा को तोड़ा है। यह पीएम मोदी के 'संविधान विरोधी रवैये' को दर्शाता है।"

डिप्टी स्पीकर की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

  • स्पीकर की अनुपस्थिति में सदन का संचालन डिप्टी स्पीकर करता है।
  • वह सदन में व्यवस्था बनाए रखने, बहसों को नियंत्रित करने और नियमों के उल्लंघन पर निर्णय लेने का अधिकार रखता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत, यदि स्पीकर का पद खाली हो, तो डिप्टी स्पीकर कार्यवाहक स्पीकर की भूमिका निभाता है।

क्या कहता है इतिहास?

  • पहली लोकसभा (1952): एम. ए. अय्यंगर (कांग्रेस) स्पीकर बने, जबकि डिप्टी स्पीकर का पद एस. वी. कृष्णमूर्ति राव (सोशलिस्ट पार्टी) को मिला।
  • 1980-89: गोकुलभाई भट्ट (जनता पार्टी) और रबी रे (कांग्रेस) जैसे नेताओं ने इस पद पर काम किया।
  • 2014-19: एम. थंबीदुरई (एआईएडीएमके) को विपक्ष की सहमति से डिप्टी स्पीकर बनाया गया।

सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, भाजपा इस पद पर अपने किसी सांसद को बैठाना चाहती है, जबकि विपक्ष परंपरा के अनुसार इसे अपने हिस्से की मांग कर रहा है।

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