खनौरी बॉर्डर पर 96 दिन से अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के समर्थन में 5 मार्च को 100 किसान भूख हड़ताल करेंगे। हाल ही में डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ गई थी।
Kisan Andolan: खनौरी किसान मोर्चे पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) का आमरण अनशन 96वें दिन भी जारी है। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने जानकारी दी कि 5 मार्च को डल्लेवाल के अनशन के 100 दिन पूरे होने पर 100 किसान सांकेतिक भूख हड़ताल करेंगे। इसके अलावा, देशभर में जिला और तहसील स्तर पर भी किसान एक दिवसीय भूख हड़ताल करेंगे।
ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान

किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भारी ओलावृष्टि हुई है, जिससे सरसों और गेहूं की फसलों को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है। उन्होंने सरकार से मांग की कि तुरंत गिरदावरी करवाकर प्रभावित किसानों के लिए उचित मुआवजे की घोषणा की जाए।
महिला पंचायत और महापंचायत की तैयारियां
किसान नेताओं ने ऐलान किया कि 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून के मुद्दे पर खनौरी, शंभू और रत्नपुरा किसान मोर्चों पर महिला पंचायत आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही, मार्च महीने में देशभर के विभिन्न राज्यों में प्रदेश स्तर पर एमएसपी गारंटी कानून को लेकर महापंचायत आयोजित की जाएंगी।
डल्लेवाल की बिगड़ती तबीयत बनी चिंता का विषय

आमरण अनशन के 93वें दिन देर रात किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें तेज बुखार (103.6°F) हो गया और ठंड लगने के कारण कंपकंपी की समस्या होने लगी। डॉक्टरों की टीम ने लगातार प्रयास कर स्थिति को संभाला, लेकिन किसान नेताओं और समर्थकों के बीच उनकी सेहत को लेकर चिंता बनी हुई है।
ड्रिप लगाने में आ रही समस्या
डल्लेवाल की हालत इतनी कमजोर हो गई कि डॉक्टरों को नस नहीं मिल पा रही थी, जिससे उन्हें ड्रिप चढ़ाने में दिक्कत आ रही थी। उनके माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखकर बुखार कम करने की कोशिश की गई। किसान नेता काका सिंह कोटड़ा और अभिमन्यु कोहाड़ ने केंद्र सरकार से अपील की कि किसानों की मांगें स्वीकार कर डल्लेवाल की जान बचाई जाए।
सरकार से समाधान की अपील
किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि किसानों की प्रमुख मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि डल्लेवाल का अनशन खत्म हो सके और किसानों को राहत मिल सके। किसान नेता और समर्थक इस आंदोलन को और तेज करने की तैयारी में हैं, जिससे सरकार पर दबाव बढ़े।












