कोलकाता लॉ कॉलेज में छात्रा से गैंगरेप मामले पर महिला आयोग ने जांच में बाधा डालने को लेकर बंगाल पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। चार आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं और SIT का गठन हुआ है।
Kolkata Gangrape Case: कोलकाता लॉ कॉलेज गैंगरेप मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक 24 वर्षीय छात्रा के साथ हुए इस जघन्य अपराध ने न सिर्फ राज्य प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने सक्रियता दिखाई है और जांच में बाधा डालने को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
कॉलेज का दौरा करने पहुंचीं महिला आयोग की सदस्य
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार ने हाल ही में कोलकाता के साउथ लॉ कॉलेज का दौरा किया। उन्होंने कहा कि इस केस में पुलिस की ओर से उन्हें किसी भी प्रकार की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। दौरे के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि "पुलिस ने न तो पीड़िता से जुड़ी जानकारी दी और न ही मामले की सही स्थिति स्पष्ट की।" उनका कहना है कि पुलिस की तरफ से सहयोग नहीं मिलने के कारण आयोग को अपनी जांच पूरी करने में कठिनाई हो रही है।
"पीड़िता और उसके माता-पिता से मिलना जरूरी"
महिला आयोग की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि वे पीड़िता के साथ खड़े हैं और जब तक पीड़िता चाहेगी, आयोग उसकी हर संभव मदद करता रहेगा। अर्चना मजूमदार ने कहा कि आयोग न केवल पीड़िता बल्कि उसके परिवार से मिलकर यह जानने की कोशिश करता है कि उन्हें किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है। सुरक्षा, चिकित्सा, कानूनी मदद और शिक्षा से संबंधित सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है।
सशर्त मिली लॉ कॉलेज में एंट्री
अर्चना मजूमदार जब लॉ कॉलेज के दौरे पर पहुंचीं, तो उन्हें वहां प्रवेश पाने के लिए कई शर्तें पूरी करनी पड़ीं। पुलिस ने उनका और उनकी टीम के अन्य दो सदस्यों का मोबाइल नंबर नोट किया और स्पष्ट कर दिया कि कॉलेज परिसर में किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस पूरे दौरे के दौरान कोलकाता पुलिस के ACP भी वहां मौजूद रहे।
बंगाल पुलिस पर सहयोग न करने का आरोप
महिला आयोग की सदस्य ने साफ तौर पर कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रही है। अर्चना मजूमदार ने कहा, "मैं अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख करूंगी कि हमें हमारी जांच प्रक्रिया को स्वतंत्र रूप से पूरा नहीं करने दिया गया।" उन्होंने कहा कि आयोग की टीम को आवश्यक दस्तावेज, मेडिकल रिपोर्ट, और प्राथमिक जांच की जानकारी तक नहीं दी गई। यह बात प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
चार आरोपी गिरफ्तार, SIT का गठन
इस शर्मनाक घटना में अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें से तीन छात्र और एक सिक्योरिटी गार्ड शामिल हैं। इस केस की जांच के लिए पुलिस ने 5 सदस्यीय SIT (Special Investigation Team) का गठन किया है जो मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हर पहलू की जांच कर रही है।
TMC से कनेक्शन को लेकर उठा राजनीतिक विवाद
इस केस में एक आरोपी मनोजीत मिश्रा का नाम सामने आया है, जिसका कथित संबंध तृणमूल कांग्रेस (TMC) से बताया जा रहा है। इसी आधार पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि राजनीतिक संरक्षण के कारण आरोपी अब तक गिरफ्तारी से बचते रहे। BJP नेताओं का कहना है कि यदि पुलिस निष्पक्ष तरीके से कार्रवाई करती तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।