पश्चिम एशिया में जारी तनाव, खासकर ईरान के परमाणु ठिकानों पर इजरायल की बमबारी और उसके बाद ईरान की जवाबी कार्रवाई ने पूरे क्षेत्र में भू-राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है।
नई दिल्ली: पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है। खासतौर पर ईरान और इजरायल के बीच जारी टकराव और हॉर्मूज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी के कारण क्रूड ऑयल की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं। इस स्थिति ने वैश्विक ऊर्जा बाजार को झटका दिया है, लेकिन कुछ भारतीय कंपनियों के लिए यह सुनहरा अवसर बनकर उभर सकती है।
भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आमतौर पर चिंता का विषय होता है, लेकिन तेल और गैस क्षेत्र की कुछ घरेलू कंपनियों को इससे फायदा मिलने की संभावना है। ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल ने हालिया रिपोर्ट में उन कंपनियों के नाम उजागर किए हैं, जिनके शेयरों में इस कीमत वृद्धि के चलते तेजी आ सकती है।
तेल कीमतों में वृद्धि और शेयर बाजार का रुझान
जेएम फाइनेंशियल के अनुसार, कच्चे तेल की कीमत में प्रति बैरल 1 डॉलर की वृद्धि पर ऑयल इंडिया और ओएनजीसी जैसी कंपनियों के प्रति शेयर लाभ में करीब 1.5 से 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इसका मुख्य कारण यह है कि ये कंपनियां खुद तेल का उत्पादन करती हैं, और जैसे-जैसे कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे इनका मार्जिन भी मजबूत होता जाता है।
ओएनजीसी और ऑयल इंडिया दोनों ही भारत की अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल उत्पादक कंपनियां हैं। सरकार द्वारा 2022 में विंडफॉल टैक्स लागू किए जाने के बाद इन कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ा था, लेकिन 2024 के अंत में सरकार ने यह कर हटा लिया। इसका सीधा असर ये हुआ कि अब इन कंपनियों को अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा अपने पास रखने का अवसर मिल रहा है।
किन कंपनियों के शेयरों को मिल सकता है फायदा
विश्लेषकों के मुताबिक, निम्नलिखित कंपनियां तेल की बढ़ती कीमतों का सीधा लाभ उठा सकती हैं:
- ऑयल इंडिया लिमिटेड
- ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन)
- बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड)
- एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड)
- आईओसीएल (इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड)
हालांकि, इन कंपनियों का लाभ अलग-अलग तरीके से प्रभावित हो सकता है। उदाहरण के लिए, जहां ओएनजीसी और ऑयल इंडिया उत्पादन आधारित कंपनियां हैं और बढ़ती कीमतों से सीधे लाभ कमाती हैं, वहीं बीपीसीएल, एचपीसीएल और आईओसीएल जैसी कंपनियां रिफाइनिंग और मार्केटिंग से जुड़ी हैं, जिनकी लागत में बढ़ोतरी हो सकती है।
ब्रोकरेज हाउस की राय
जेएम फाइनेंशियल ने अपनी रिपोर्ट में ओएनजीसी को ‘बाय’ रेटिंग दी है, जिसका अर्थ है कि निवेशकों को इस स्टॉक को खरीदने की सलाह दी जा रही है। दूसरी ओर, एचपीसीएल और आईओसीएल पर ‘सेल’ रेटिंग दी गई है, यानी इनके शेयरों से फिलहाल दूरी बनाकर रखना बेहतर होगा। बीपीसीएल को ‘होल्ड’ रेटिंग दी गई है, यानी निवेशक इसमें न तो अभी खरीदारी करें और न ही इसे बेचें।
सरकार की नीति का असर
हालांकि, इन कंपनियों की लाभप्रदता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि सरकार कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद किस तरह की नीतिगत प्रतिक्रिया देती है। यदि तेल की कीमतें बहुत अधिक बढ़ती हैं, तो सरकार उपभोक्ताओं पर बोझ न बढ़ने देने के उद्देश्य से एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है या कंपनियों से खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने को कह सकती है। इससे इन कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ सकता है।
वहीं यदि कीमतें कम होती हैं, तो सरकार फिर से एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर राजस्व संतुलन का प्रयास कर सकती है। इसलिए तेल कंपनियों के शेयरों की चाल केवल कीमतों पर नहीं, बल्कि नीति परिवर्तन पर भी निर्भर करेगी।
भू-राजनीतिक घटनाक्रम और जोखिम
ईरान और इजरायल के बीच तनाव केवल क्रूड ऑयल की कीमतों को प्रभावित नहीं कर रहा, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन को भी संकट में डाल सकता है। हॉर्मूज जलडमरूमध्य दुनिया का सबसे व्यस्त और अहम तेल परिवहन मार्ग है। यदि ईरान इसे बंद करता है, तो वैश्विक कच्चे तेल आपूर्ति में गंभीर बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे कीमतें और अधिक बढ़ सकती हैं।
भारत, जो अपनी जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत तेल आयात करता है, के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बन सकती है। हालांकि, घरेलू तेल उत्पादक कंपनियों को इससे फायदा भी हो सकता है।