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क्या टीईटी परीक्षा पास करना जरूरी, सुप्रीम कोर्ट फैसले के खिलाफ शिक्षक करेंगे पुनर्विचार याचिका

क्या टीईटी परीक्षा पास करना जरूरी, सुप्रीम कोर्ट फैसले के खिलाफ शिक्षक करेंगे पुनर्विचार याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी परीक्षा पास करना कक्षा 1-8 के शिक्षकों के लिए अनिवार्य किया। दो साल में पास न होने पर नौकरी चली जाएगी। शिक्षक पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। नौकरी और प्रोन्नति दोनों के लिए टीईटी जरूरी।

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करने की अनिवार्यता को लेकर महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कोर्ट के अनुसार, शिक्षकों को अगले दो साल में टीईटी पास करना होगा अन्यथा उनकी नौकरी खतरे में रहेगी।

देशभर के सरकारी, सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाने वाले लाखों शिक्षकों पर यह आदेश लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि प्रोन्नति के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा।

कौन से शिक्षक प्रभावित होंगे?

यह फैसला उन शिक्षकों पर भी लागू होगा जिनकी नियुक्ति शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने से पहले हुई थी। हालांकि, जिनकी नौकरी पांच साल से कम समय की बची है, उन्हें बिना टीईटी के नौकरी में बने रहने की छूट दी गई है। लेकिन उन शिक्षकों को भी प्रोन्नति के लिए टीईटी पास करना होगा।

उत्तर प्रदेश के कुछ शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में बहस करते हुए कहा कि उनके लिए प्रोन्नति के लिए टीईटी अनिवार्यता से छूट दी जाए। इनके वकील राकेश मिश्रा का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी।

शिक्षक क्यों विरोध कर रहे हैं?

अभ्यर्थी शिक्षकों का कहना है कि कई मामलों में उनकी नौकरी सिर्फ कुछ सालों की बची है। ऐसे में उन पर नौकरी में बने रहने और प्रोन्नति के लिए टीईटी पास करने की अनिवार्यता उन्हें मुश्किल में डाल सकती है।

शिक्षकों का यह भी कहना है कि अगर कोर्ट को यह आदेश देशभर के शिक्षकों के लिए देना था तो सभी राज्यों को नोटिस जारी किया जाना चाहिए था और हर राज्य में शिक्षकों की स्थिति पर बहस होनी चाहिए थी। इसके बिना आदेश पारित किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और नियम

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि टीईटी पास करना दो साल के अंदर अनिवार्य होगा। वर्तमान नियमों के अनुसार, हर छह महीने में टीईटी परीक्षा आयोजित की जाती है। इसका मतलब है कि दो साल में शिक्षक चार बार परीक्षा दे सकते हैं। अगर पुनर्विचार याचिका में समय बढ़ाने की मांग मानी जाती है तो शिक्षकों को अधिक अवसर मिलेगा।

टीईटी दो स्तर की परीक्षा है। प्राइमरी टीईटी उन शिक्षकों के लिए है जो कक्षा एक से पांच तक पढ़ाते हैं। अपर टीईटी उन शिक्षकों के लिए है जो कक्षा छह से आठ तक पढ़ाते हैं। प्रोन्नति के लिए टीईटी पास होना अनिवार्य है।

टीईटी अनिवार्यता का दूरगामी प्रभाव

इस फैसले का प्रभाव केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित नहीं है। सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त सभी स्कूलों के शिक्षक भी इससे प्रभावित होंगे। इससे लंबे समय से सेवा दे रहे शिक्षकों के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

ऑल इंडिया बीटीसी शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि टीईटी पास करना अब नौकरी में बने रहने और प्रोन्नति दोनों के लिए जरूरी होगा। यह लाखों शिक्षकों के लिए कठिनाई पैदा कर सकता है।

टीईटी पास करने की समयसीमा और पुनर्विचार याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि शिक्षकों को दो साल के भीतर टीईटी पास करना होगा। हालांकि शिक्षक अब सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं। इस याचिका में वे समय बढ़ाने और कुछ शिक्षक वर्गों को राहत देने की मांग करेंगे।

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष राहुल पांडेय ने कहा कि सभी शिक्षकों को संगठित होकर अगला कदम उठाना होगा। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रोन्नति के लिए टीईटी अनिवार्यता की मांग को मंजूरी दी है, लेकिन अब इसे नौकरी में बने रहने के लिए भी लागू किया गया है।

टीईटी की तैयारी और परीक्षा प्रक्रिया

टीईटी की परीक्षा प्रक्रिया को लेकर शिक्षकों को तैयारी करनी होगी। दो साल के अंदर चार बार परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। टीईटी पास करने के लिए प्राइमरी और अपर टीईटी दोनों की तैयारी अलग-अलग होगी।

शिक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि नौकरी और प्रोन्नति के लिए दोनों स्तर की टीईटी पास कर ली जाए। स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग भी शिक्षकों को परीक्षा की जानकारी और आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे।

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